ना बाबा! चिकन-मटन ना, माछ खाबो, मत्स्य पालन विभाग के आंकड़ों से हुआ खुलासा
कोलकाता : नॉनवेज फूड के शौकीन इन दिनों नॉनवेज खाने के मामले में बड़ी सावधानी बरत रहे हैं. चाहे होटल हो या रेस्तरां या शादी-पार्टी का फंक्शन, तुंरत कहते हैं ना बाबा! चिकन- मटन ना, माछ खाबो.हालांकि मछली बंगाल का पारंपरिक भोजन रहा है. लेकिन चिकन-मटन भी यहां बड़ी चाव से खाया जाता है. एक […]
कोलकाता : नॉनवेज फूड के शौकीन इन दिनों नॉनवेज खाने के मामले में बड़ी सावधानी बरत रहे हैं. चाहे होटल हो या रेस्तरां या शादी-पार्टी का फंक्शन, तुंरत कहते हैं ना बाबा! चिकन- मटन ना, माछ खाबो.हालांकि मछली बंगाल का पारंपरिक भोजन रहा है. लेकिन चिकन-मटन भी यहां बड़ी चाव से खाया जाता है. एक से बढ़कर एक होटल व रेस्तरां हैं, जहां की दम बिरयानी व गोश्त मशहूर हैं. जिसे खाने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं.
लेकिन भगाड़ मांस कांड के बाद मछली की मांग फिर से बढ़ गयी है. महानगर के रेस्तरां में सड़े मांस की सप्लाई किये जाने की घटनाओं के बाद मांस की बिक्री में कमी आयी है. वहीं गर्मी के कारण मछली की बढ़ती हुईं मांग से इसके दाम आसमान छूने लगे हैं.
मत्स्य विकास निगम लिमिटेड के प्रंबध निदेशक सौम्यजीत दास का कहना है कि महानगर में मछली की बिक्री 30- 40 फीसदी बढ़ गयी है. अप्रैल के मध्य में तो यह बिक्री करीब 650-700 किलो प्रतिदिन थी. जो अब बढ़ कर करीब 950 किलो हो गयी है.
िनगम के अधिकारी भी कर रहे मांस खाने से परहेज
चिकन-मटन में कुत्ते बिल्लियों के मांस की मिलावट से आम लोगों के साथ निगम अधिकारी भी भयभीत है. हालांकि निगम ने महानगर में चिकन-मटन की बिक्री पर रोक नहीं लगायी है. मेयर शोभन चटर्जी व निगम के स्वास्थ्य विभाग के मेयर परिषद सदस्य अतिन घोष पहले ही यह बता चुके हैं कि महानगर के चिकन-मटन में कोई दोष नहीं है.
लोग बेखौफ हो कर मांस खाये. जहां एक ओर निगम लोगों मांस खाने की सलाह दे रहा है, वहीं दूसरी दूसरे निगम के आला अधिकारी और मेयर खुद एहतियात बरत रहे हैं. इसका नजारा हाल में ही देखने को मिला. निगम के गत मासिक अधिवेशन की बैठक के बाद मेयर, मेयर परिषदों, पार्षदों, निगम के कुछ आला अधिकारियों तथा मीडियाकर्मियों के लिए आयोजित भोज में चिकन या मटन से बने किसी व्यंजन को शामिल ही नहीं किया गया था. यहां तक कि निगम के कैंटीन में भी मांस नहीं पकाया जा रहा है.
क्या कहते हैं आंकड़े
केंद्रीय मत्स्यपालन विभाग द्वारा 2014 में जारी आकड़े के अनुसार मछली की खपत के मामले में पश्चिम बंगाल देश में चौथे स्थान पर है, जबकि लक्षद्वीप प्रथम, गोवा दूसरे तथा केरल तीसरे स्थान पर है.