17 नगरपालिकाओं में फिलहाल चुनाव संभव नहीं

कोलकाता: राज्य चुनाव आयोग के 17 नगरपालिकाओं में चुनाव कराने के आवेदन को आखिरकार राज्य सरकार ने खारिज कर दिया. राज्य के नगरपालिका विभाग के सचिव ने राज्य चुनाव आयोग को स्पष्ट रूप से जवाब दे दिया है कि फिलहाल इन नगरपालिकाओं में चुनाव नहीं किया जा सकता है. राज्य सरकार ने यहां बैरकपुर, बारासात, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 28, 2014 10:10 AM

कोलकाता: राज्य चुनाव आयोग के 17 नगरपालिकाओं में चुनाव कराने के आवेदन को आखिरकार राज्य सरकार ने खारिज कर दिया. राज्य के नगरपालिका विभाग के सचिव ने राज्य चुनाव आयोग को स्पष्ट रूप से जवाब दे दिया है कि फिलहाल इन नगरपालिकाओं में चुनाव नहीं किया जा सकता है.

राज्य सरकार ने यहां बैरकपुर, बारासात, दमदम व बजबज में चार नये नगर निगम के साथ चंदननगर, आसनसोल व हावड़ा नगर निगम के क्षेत्र को बढ़ाने का फैसला किया है. राज्य कैबिनेट की बैठक में इस योजना को मंजूरी भी दी जा चुकी है. राज्य सरकार ने 22 नगरपालिकाओं को तोड़ कर वहां चार नये नगर निगम का गठन करने की योजना बनायी है, इसके साथ-साथ तीन नगर निगम में 13 नगरपालिओं का विलय किया जायेगा. इसलिए जिन 17 नगरपालिकाओं में मतदान होना है, उनमें से सात नगरपालिका नये नगर निगम में शामिल हो जायेंगे. इसलिए यहां चुनाव नहीं कराया जा सकता है.

राज्य के नगरपालिका विभाग की ओर से राज्य चुनाव आयोग को पत्र देकर यह जानकारी दी गयी है. सबसे पहले नगरपालिकाओं को संयुक्त कर नगर निगम बनाने के लिए वार्ड के अनुसार नगरपालिकाओं का डिलिमिटेशन किया जायेगा.

डिलिमिटेशन की प्रक्रिया खत्म होने के बाद ही चुनाव कराना संभव हो पायेगा. गौरतलब है कि राज्य चुनाव आयोग ने राज्य सरकार से 17 नगरपालिकाओं में चुनाव कराने के लिए 26 जून की तारीख का प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन राज्य सरकार फिलहाल नगरपालिका चुनाव कराना नहीं चाहती है. राज्य सरकार दुर्गा पूजा के बाद ही कोई चुनाव चाहती है. इस समस्या के समाधान के लिए राज्य चुनाव आयोग की आयुक्त मीरा पांडे ने राज्यपाल एमके नारायणन से भी मुलाकात की थी और राज्यपाल ने राज्य सरकार व चुनाव आयोग को इस समस्या का समाधान करने का सुझाव दिया था. अब राज्य सरकार ने नगरपालिकाओं को तोड़ कर नगर निगम का गठन करने का फैसला किया है.

गौरतलब है कि इन 17 नगरपालिकाओं की समय सीमा 31 जुलाई को खत्म हो रही है, अगर तब तक यहां चुनाव नहीं होता है तो समय सीमा के बाद यहां राज्य सरकार की ओर से प्रशासक नियुक्त किया जायेगा. ज्ञात हो कि जब तक यहां चुनाव नहीं हो जाता तब तक प्रशासक ही नगरपालिकाओं के कार्यो पर नजर रखेंगे.

चुनाव बाद राज्य में विरोधी दलों के समर्थक निशाने पर

लोकसभा चुनाव के दौरान मुख्य रूप से वामपंथी दलों के नेता और कार्यकर्ता राजनीतिक हिंसा के शिकार हुए थे. चुनाव बाद अब भाजपा के नेता व कार्यकर्ताओं पर भी हमले बढ़ गये हैं. राजनीतिक विेषकों का मानना है कि राज्य में लगभग 17 प्रतिशत वोट हासिल करनेवाली भाजपा के कार्यकर्ता अपनी सफलता से उत्साहित होकर संगठन बढ़ाने में लगे हैं, तो दूसरी ओर सत्ताधारी दल अपनी खोई हुई प्रतिष् ठा को हासिल करने के लिए एक बार फिर से कमर कस रहा है. इसी क्रम में तृणमूल के कई नेताओं व मंत्रियों को पार्टी ने दंडित किया है, क्योंकि उनके इलाके में तृणमूल का जनाधार खिसका है. उन्हें कम महत्वपूर्ण विभाग दिये गये हैं या फिर बिना विभाग का मंत्री कर दिया गया है.

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