तीन वर्षीय विबिशा को मिली नयी जिंदगी

सिलीगुड़ी: तीन वर्षीय गुड़िया विबिशा दास ने आखिरकार जिंदगी की जंग जीत ली. वह जब मात्र तीन महीने की थी तभी से हार्ट में छेद होने के कारण जिंदगी-मौत की लड़ाई लड़ रही थी. पिता बबलू दास प्राइवेट फर्म में नौकरी करते हैं. आर्थिक रूप से काफी कमजोर होने के कारण उसके हार्ट का ऑपरेशन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 6, 2014 10:52 AM

सिलीगुड़ी: तीन वर्षीय गुड़िया विबिशा दास ने आखिरकार जिंदगी की जंग जीत ली. वह जब मात्र तीन महीने की थी तभी से हार्ट में छेद होने के कारण जिंदगी-मौत की लड़ाई लड़ रही थी. पिता बबलू दास प्राइवेट फर्म में नौकरी करते हैं.

आर्थिक रूप से काफी कमजोर होने के कारण उसके हार्ट का ऑपरेशन कराने में वहअसमर्थ थे. बीते दिनों विबिशा का यह हाल जब मीडिया में प्रकाशित हुआ तो समाजसेवी व तृणमूल नेता मदन भट्टाचार्य से रहा नहीं गया.

उन्होंने दरियादिली दिखायी और विबिशा के उपचार के लिए सहयोग का हाथ बढ़ाया. करीब 15 दिन पहले सिलीगुड़ी के वार्ड नंबर 15 के हाकिमपाड़ा के मेघनाद शरणी स्थित विबिशा के घर पहुंच कर मदन भट्टाचार्य ने दस हजार नगद रुपये विबिशा के पिता बबलू दास व मां रूम्पा दास के हाथों में सौंपा. साथ ही कोलकाता के बीएम बिड़ला अस्पताल में विबिशा के ऑपरेशन व उपचार नि:शुल्क किये जाने की पूरी व्यवस्था करवायी. 28 मई को अस्पताल में विबिशा का ऑपरेशन हुआ और आज वह सही सलामत सिलीगुड़ी पहुंच चुकी है.

इससे पहले विबिशा को बचाने एवं उसके सही उपचार में अपनी जिंदगी की पूरी कमाई हार चुके बबलू दास व पत्नी रूम्पा दास आज मदन भट्टाचार्य की इस दरियादिली पर काफी गदगद हैं. बबलू और रूम्पा का कहना है कि वह अपनी लाडली को बचाने कहां-कहां नहीं गये. दर-दर की ठोकरें खायी.लोगों ने जहां बताया, वहां पहुंचे. बेंगलौर के साईं बाबा नर्सिग होम से भी उन्हें बाहर कर दिया गया. कहीं उनकी लाडली को बचाने के लिए उपचार नहीं किया गया. मदन भट्टाचार्य का कहना है कि सरकार शिशुओं को लेकर कई योजनाएं चला रही हैं. इसकी जागरूकता की कमी की वजह से लोग इस योजनाओं का फायदा नहीं उठा पाते.

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