कोलकाता: भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न नेताजी सुभाष चंद्र बोस को दिये जाने की अटकलों के बीच नेताजी के प्रपौत्र ने रविवार को दावा किया कि उनके परिवार के अधिकतर सदस्य इस विचार को स्वीकार नहीं करते हैं.
नेताजी के प्रपौत्र चंद्र कुमार बोस ने दावा किया कि परिवार के अधिकतर सदस्य नेताजी को यह सम्मान प्रदान किये जाने के खिलाफ हैं और इसके बजाय उनकी मांग है कि पहले उनके गायब होने की पहेली सुलझायी जाये.
श्री बोस ने कहा : नेताजी 1945 से ही लापता हैं. जब आप उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करेंगे, आपको यह कहना होगा कि उनकी मौत कब हुई, लेकिन सबूत कहां हैं? उन्हें सम्मानित करने का सर्वश्रेष्ठ तरीका यह होता कि उन सरकारी फाइलों को सार्वजनिक किया जाता, जिससे उनके गायब होने के पीछे की सच्चाई का खुलासा हो सकता. श्री बोस ने कहा कि उन्होंने महान नेता के परिवार के करीब 60 सदस्यों से बात की है, जिसमें कोई भी नेताजी की ओर से सम्मान प्राप्त करने को तैयार नहीं है. उन्होंने कहा : हम सभी का मानना है कि भारत रत्न उनके लिए उचित पुरस्कार नहीं होगा. हममें से कोई भी उनकी तरफ से यह पुरस्कार प्राप्त करने का इच्छुक नहीं है.
नेताजी के परिवार के सदस्यों और ओपन प्लेटफॉर्म फॉर नेताजी ने हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर नेताजी के गायब होने की जांच करने के लिए उच्चतम न्यायालय के एक वर्तमान न्यायाधीश के निदर्ेेशन में एक विशेष जांच दल गठित करने की मांग की थी.
नेताजी 1941 में अंग्रेजों की नजरबंदी से भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग प्राप्त करने के लिए भारत से बच निकले थे. वह 1945 में गायब हो गये थे, जो कि भारत का सबसे चर्चित रहस्य बन गया. मुखर्जी आयोग ने उनके गायब होने की जांच की थी और इस विचार को खारिज कर दिया था कि उनकी ताइवान में 18 अगस्त 1945 को हुए एक विमान दुर्घटना में मौत हो गयी थी.