अब और बिगड़ेगी नगर निगम की स्थिति, धन की भारी कमी

कोलकाता संवाददाता सिलीगुड़ी: चार-पांच महीने पहले सिलीगुड़ी नगर निगम में जो बदहाली शुरू हुई थी वह अब तक जारी है. जन प्रतिनिधियों के नगर निगम नहीं आने और राज्य सरकार द्वारा अब तक प्रशासक की नियुक्ति नहीं किये जाने से स्थिति काफी बिगड़ गई है. कुछ महीने पहले सिलीगुड़ी नगर निगम का बोर्ड भंग होने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 11, 2014 9:19 PM

कोलकाता संवाददाता

सिलीगुड़ी: चार-पांच महीने पहले सिलीगुड़ी नगर निगम में जो बदहाली शुरू हुई थी वह अब तक जारी है. जन प्रतिनिधियों के नगर निगम नहीं आने और राज्य सरकार द्वारा अब तक प्रशासक की नियुक्ति नहीं किये जाने से स्थिति काफी बिगड़ गई है. कुछ महीने पहले सिलीगुड़ी नगर निगम का बोर्ड भंग होने के बाद से ही जो स्थिति बिगड़ी थी वह अब भी जारी है.

नागरिक सेवा से संबंधित सभी कार्यों पर इसका असर पड़ रहा है. सिलीगुड़ी शहर सहित पूरे उत्तर बंगाल में इन दिनों इंसेफलाइटिस की बीमारी ने महामारी का रूप ले लिया है. इस बीमारी को लेकर रेड अलर्ट जारी होने के बाद भी सिलीगुड़ी नगर निगम क्षेत्र में साफ-सफाई को लेकर अब तक कोई विशेष पहल नहीं की गई है.

धन की भारी कमी को बताया जा रहा कारण

नगर निगम के इस उदासीनता के कारण विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों को साफ-सफाई के लिए मैदान में उतरना पड़ा है. इस बीच, नगर निगम के विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार धन की भारी कमी के कारण ही नागरिक सेवाओं पर इसका असर पड़ा है. नगर निगम बोर्ड भंग होने के बाद से ही विभिन्न परियोजनाओं पर काम रूक गया है. सूत्रों ने बताया कि बिल्डिंग प्लान के पास करने से नगर निगम को काफी आय प्राप्त होती है, लेकिन बोर्ड के भंग होने के बाद से बिल्डिंग प्लान को पास करने का काम रूक गया है.

सूत्रों ने कहा कि नियमानुसार मेयर परिषद की बैठक में बिल्डिंग प्लान को पास किया जाता है और इससे नगर निगम को विभिन्न मदों में मोटी रकम मिलती है, लेकिन जब मेयर पार्षद ही नहीं है, तो फिर इसकी बैठक कैसे होगी. इसके अलावा होल्डिंग टैक्स, म्यूटेशन टैक्स आदि से भी नगर निगम को काफी आय होता है. यह सभी काम इन दिनों मानो रूक सा गया है. नगर निगम के आय में कमी होने के कारण नागरिक सेवा कार्यों में लगे विभिन्न ठेकेदारों के बकाये का भुगतान भी रूक गया है.

विश्वस्त सूत्रों ने बताया है कि साफ-सफाई के काम में लगे एक ठेकेदार को पिछले सात महीने से एक रुपये का भी भुगतान नहीं मिला है जिसकी वजह से उसने ना केवल साफ-सफाई के काम को रोक दिया है, बल्कि बकाये भुगतान के लिए नगर निगम को एक कानूनी नोटिस भी भेज दी है. इस नोटिस के मिलने के बाद नगर निगम में हड़कंप मचा हुआ है. नगर निगम प्रशासन ने उस ठेकेदार से बातचीत कर मामले को सुलझाने की कोशिश की, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ है.

सूत्रों ने बताया कि उस ठेकेदार का नगर निगम पर 35 लाख रुपये का बकाया है. इस बकाये के भुगतान नहीं होने के कारण उसने साफ-सफाई का काम रोक दिया है. स्वाभाविक तौर पर इसका असर साफ-सफाई के क्षेत्र में पड़ेगा. इस संबंध में सिलीगुड़ी नगर निगम के आयुक्त सोनम वांग्दी भुटिया ने सिर्फ इतना कहा कि कानूनी नोटिस है और उससे कानूनी तरीके से जवाब दिया जायेगा.

क्या कहना है विपक्ष का

दूसरी तरफ नगर निगम की इस उदासीनता के प्रति भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस पर निशाना साधा है. भारतीय जनता युवा मोरचा के अध्यक्ष बापी पाल ने कहा है कि सिलीगुड़ी नगर निगम क्षेत्र में साफ-सफाई नियमित रूप से नहीं होने के कारण परिस्थिति बिगड़ गई है. तृणमूल कांग्रेस तथा कांग्रेस ने गठबंधन कर सिलीगुड़ी नगर निगम पर कब्जा किया और बाद में पद की लड़ाई में दोनों पार्टी के नेता उलझ गये.

इन लोगों ने सिलीगुड़ी के आम लोगों की कोई चिंता नहीं की. उन्होंने राज्य सरकार से अविलंब सिलीगुड़ी नगर निगम का चुनाव कराने की मांग की. श्री पाल ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस को हार का डर सता रहा है. इसी वजह से वह चुनाव नहीं कराना चाहता. उन्होंने सिलीगुड़ी नगर निगम के विभिन्न वार्डों के काउंसिलरों की भी आलोचना की.

श्री पाल ने कहा कि नगर निगम का बोर्ड भंग हो जाने के बाद काउंसिलर भी एक तरह से चुप्पी साधकर बैठ गये हैं. अपने वार्डों के समस्या समाधान के लिए यह लोग किसी प्रकार की कोई कोशिश नहीं कर रहे हैं. ऐसे में इस समस्या का एकमात्र समाधान चुनाव है.

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