सारधा चिटफंड: देवब्रत सरकार व सुदीप्त सेन 26 अगस्त तक सीबीआइ हिरासत में

कोलकाताः करोड़ों रुपये के सारधा चिटफंड घोटाले से जुड़े होने के आरोप में गिरफ्तार इस्ट बंगाल क्लब के पूर्व अधिकारी देवब्रत सरकार को गुरुवार को अलीपुर कोर्ट की सीबीआइ अदालत ने उसे 26 अगस्त तक सीबीआइ हिरासत में भेजने का निर्देश दे दिया. इस दिन अदालत में सीबीआइ की तरफ से सभी बरामद दस्तावेज किये […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 21, 2014 6:58 PM

कोलकाताः करोड़ों रुपये के सारधा चिटफंड घोटाले से जुड़े होने के आरोप में गिरफ्तार इस्ट बंगाल क्लब के पूर्व अधिकारी देवब्रत सरकार को गुरुवार को अलीपुर कोर्ट की सीबीआइ अदालत ने उसे 26 अगस्त तक सीबीआइ हिरासत में भेजने का निर्देश दे दिया. इस दिन अदालत में सीबीआइ की तरफ से सभी बरामद दस्तावेज किये गये, जहां इस सिलसिले में पूछताछ के लिए सीबीआइ हिरासत की मांग की गयी, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया.

इसके साथ ही सारधा चिटफंड कांड के मुख्य आरोपी सुदीप्त सेन को भी अदालत ने सीबीआइ हिरासत में भेजने का निर्देश दिया. सुनवाई के दौरान सुदीप्त सेन ने अदालत में कहा कि उन्हें सीबीआइ को कई जानकारियां देनी हैं, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया. सीबीआइ देवव्रत सरकार व सुदीप्त सेन को एक साथ बैठाकर पूछताछ करेगी, ताकि पूरे मामले की जानकारी मिल सके. बाद में सुदीप्त सेन ने पत्रकारों को बताया कि वर्तमान परिस्थिति में बहुत कुछ बोलना चाहते हैं, लेकिन कह नहीं पा रहे हैं. उन्हें बहुत कुछ बोलना है.

सीबीआइ अधिकारियों का दावा है कि देवब्रत सरकार से पूछताछ करने पर अन्य आरोपियों को भी हिरासत में लिया जायेगा. ज्ञात हो कि गत बुधवार को सीबीआइ कार्यालय में पूछताछ के दौरान उनके बयान में असमानता के बाद सीबीआइ ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. उस पर सेबी के अधिकारी से परिचय कराने के के नाम पर सुदीप्त सेन से चार करोड़ रुपये लेने ने अन्य अधिकारियों के नाम पर 80 लाख रुपये लेते थे. वहीं, दूसरी तरफ इस दिन सारधा के मुख्य आरोपी सुदीप्त सेन ने जेल में पेशी के दौरान दो व्यापारियों का नाम का खुलासा भी किया है.

देवव्रत सरकार से पूछताछ के दौरान सीबीआइ अधिकारियों को जानकारी मिली है कि संदीप अग्रवाल व सज्जन अग्रवाल नाम के दो व्यवसायियों के माध्यम से देवव्रत सरकार सेबी अधिकारियों को रुपये देते थे. उन व्यवसायियों से पूछताछ कर पूरी जानकारी हासिल करने की कोशिश सीबीआइ करेगी. सीबीआइ का दावा है कि मिडलैंड पार्क की तलाशी के दौरान सीबीआइ की जानकारी मिली है कि सुदीप्त सेन ने देवव्रत सरकार को पहली बार तीन करोड़ रुपये दिये थे. इसके बाद प्रति माह वह देवव्रत सरकार को 70 लाख रुपये देते थे.

मिडलैंड से प्राप्त कागज से इस राशि का पूरा हिसाब लिखा हुआ है. इस कागज में लिखा गया है कि सेबी के चेयरमैन को देवव्रत सरकार 20 लाख रुपये देते थे. 35 लाख रुपये सेबी के अन्य अधिकारी को देते थे. बाकी 10 लाख रुपये भारतीय रिजर्व बैंक के शील बाबू नामक एक व्यक्ति को. सीबीआइ यह तलाश कर रही है कि यह शील बाबू कौन है. देवव्रत सरकार बाकी पांच लाख रुपये कभी भी नहीं दिखाते हैं. सीबीआइ इन तथ्यों की जांच कर रही है कि क्या देवव्रत सरकार सेबी व आरबीआइ को राशि देते थे.

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