सारधा प्रकरण ने उतारा तृणमूल सरकार का मुखौटा: वृंदा करात
-पश्चिम बंगाल में गुंडा राज -शासक दल का होकर काम कर रही है पुलिस -महिलाएं असुरक्षित -आम लोगों से किया आंदोलन का आह्वान -तृणमूल नेताओं के जेल जाने की संभावना जतायी मालदा: पश्चिम बंगाल में गुंडाराज चल रहा है. शासक दल की मदद से गुंडे लोग अपना दबदबा कायम कर रहे हैं. सरकार ने गुंडों […]
-पश्चिम बंगाल में गुंडा राज
-शासक दल का होकर काम कर रही है पुलिस
-महिलाएं असुरक्षित
-आम लोगों से किया आंदोलन का आह्वान
-तृणमूल नेताओं के जेल जाने की संभावना जतायी
मालदा: पश्चिम बंगाल में गुंडाराज चल रहा है. शासक दल की मदद से गुंडे लोग अपना दबदबा कायम कर रहे हैं. सरकार ने गुंडों को विपक्षियों पर आक्रमण करने का लाइसेंस दे रखा है और पुलिस उन्हें बचाने की कोशिश कर रही है. तृणमूल के खिलाफ इन कड़ी भाषाओं का प्रयोग माकपा के पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा करात ने की है. वह मालदा, उत्तर व दक्षिण दिनाजपुर जिले के माकपा महिला संगठन गणतांत्रिक महिला समिति के सदस्यों को लेकर मैराथन बैठक करने मालदा आयी थीं.
वृंदा करात ने राज्य भर में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार व दुष्कर्म के खिलाफ गणतांत्रिक महिला समिति को सड़क पर उतर कर आंदोलन करने का आह्वान किया. वृंदा करात ने कहा कि सारधा प्रकरण ने वर्तमान राज्य सरकार का मुखौटा खोल दिया है. शासक दल के नेता अब आतंकित हैं. इसलिए दिल्ली में जाकर भाजपा नेताओं के साथ भेटवार्ता कर रहे हैं. परेशानी खड़ी होती देख केंद्र सरकार तथा भाजपा नेताओं के साथ तृणमूल कांग्रेस के नेता डील करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन तृणमूल जितनी भी कोशिश कर ले, सीबीआइ की नजर से बच नहीं सकती.
कई तृणमूल नेताओं के जेल जाने की संभावना है. वृंदा करात ने यह भी कहा कि वाम मोरचा के सत्ता में रहने के दौरान महिलाओं को जो अधिकार मिले थे, तृणमूल सरकार उसे छीन लेने की कोशिश कर रही है. तृणमूल पश्चिम बंगाल की तस्वीर इतनी खराब कर देगी यह कोई नहीं समझ पाया था. उन्होंने आगे कहा पूर्व मेदिनीपुर में जो जघन्य घटना घटी, उससे साफ हो गया है कि आम लोगों के जीवन का कोई मोल नहीं है. राजनीतिक दलों को चाहिए कि महिलाओं पर अत्याचार होते ही आंदोलन पर उतरें. राजनीति से परे रह कर ये सब करना चाहिए. नहीं तो महिलाओं की रक्षा कौन करेगा. सरकार तो अपनी मरजी की मालिक है. पुलिस भी सरकार की अंगुलियों पर नाच रही है. कानून व्यवस्था टूट चुकी है. आम लोगों को इन सबके खिलाफ आंदोलन करना चाहिए.