सारधा घोटाला: ममता के रेल मंत्री रहते रेलवे व सारधा के बीच हुआ था समझौता
अजय विद्यार्थी – भारत तीर्थ परियोजना में सारधा टूर एंड ट्रेवलर्स था ऑफिशियल पार्टनर – रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने दिया जांच का आदेश – तत्कालीन अधिकारियों से पूछताछ कर सकती है सीबीआइ कोलकाता : ममता बनर्जी के रेल मंत्री रहने के दौरान रेल के अधीनस्थ संस्था इंडियन रेलवे कैंटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन लिमिटेड […]
अजय विद्यार्थी
– भारत तीर्थ परियोजना में सारधा टूर एंड ट्रेवलर्स था ऑफिशियल पार्टनर
– रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने दिया जांच का आदेश
– तत्कालीन अधिकारियों से पूछताछ कर सकती है सीबीआइ
कोलकाता : ममता बनर्जी के रेल मंत्री रहने के दौरान रेल के अधीनस्थ संस्था इंडियन रेलवे कैंटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन लिमिटेड ( आइआरसीटीसी) ने भारत तीर्थ परियोजना के तहत दक्षिण भारत में भ्रमण के लिए सारधा की संस्था के साथ समझौता किया था. इस समझौता के अनुसार इस परियोजना के लिए बुकिंग, टूरिज्म तथा समन्वय का काम सारधा की संस्था सारधा टूर एंड ट्रेवलर्स को दिया गया था. भारत तीर्थ (विशेष भ्रमणमूलक ट्रेन परिसेवा) नामक इस परिसेवा से पूरे देश के एतिहासिक शहरों के 16 रूटों में भ्रमण के लिए पैकेज शुरू किया गया था.
इस परियोजना में दक्षिण भारत के भ्रमण के लिए ऑफिसयल पार्टनर सारधा की कंपनी को बनाया गया था. 2010 में आइआरसीटीसी तथा सारधा टूर एंड ट्रेवल्र्स के बीच समझौता हुआ था. उस समय रेल मंत्री ममता बनर्जी थीं. सारधा चिटफंड घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ दोनों कंपनियों के बीच हुए समझौता की तहकीकात कर रही है. यह जांच की जा रही है कि क्या कोई प्रभावशाली व्यक्ति का इस समझौते के पीछे हाथ है. सीबीआइ अधिकारियों का कहना है कि शीघ्र ही तत्कालीन वरिष्ठ रेल अधिकारियों से इस संबंध में पूछताछ की जायेगी.सीबीआइ जांच कर रही है कि क्या किसी निविदा प्रक्रिया के माध्यम से सारधा की कंपनी को यह दायित्व दिया गया था. सीबीआइ अधिकारियों का कहना है कि इस परियोजना में सारधा की कंपनी टूर्स एंड ट्रेवल्स विभाग को आइआरसीटीसी को लॉजिस्टक स्पोर्ट दे रही थी.
इसके तहत बुकिंग, पर्यटकों को विभिन्न स्थानों पर घुमाने के लिए बस सेवा, होटल आदि व्यवस्था करने का दायित्व सारधा की इस कंपनी को था. समझौता के अनुसार इस परियोजना से रेलवे को जो आय होती थी. उसका एक अंश कमीशन सारधा की कंपनी को मिलता था, लेकिन मात्र डेढ़ वर्ष में ही यह समझौता रद्द हो गया था. उल्लेखनीय है कि 2010-11 के रेल बजट में तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी ने रेल के आय में वृद्धि के लिए भारत भ्रमण परियोजना की घोषणा की थी. इसमें सारधा की कंपनी को ऑफिशियल पार्टनर बनाया गया था. सारधा की यह कंपनी दिसंबर 2010 से डेढ़ वर्ष तक आइआरसीटीसी के साथ युक्त था. इस दौरान दोनों के बीच आर्थिक लेनदेने की सीबीआइ जांच कर रही है. इस कंपनी का दायित्व देवयानी मुखोपाध्याय के पास था. सीबीआइ देवयानी मुखोपाध्याय से इस संबंध में पूछताछ कर रही है.
अधीर ने ममता से पूछताछ की मांग की
पूर्व रेल राज्य मंत्री व प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने इस मामले में पूर्व रेल मंत्री व राज्य की वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, आइआरसीटीसी के तत्कालीन प्रमुख व सुदीप्त सेन को एक साथ बैठाकर पूछताछ करने की मांग की. उन्होंने कहा कि सारधा के चिटफंड कंपनी के विस्तार के पीछे तृणमूल कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का समर्थन रहा है. उन्होंने कहा कि आइआरसीटीसी रेल की एक पीएसयू है. प्रत्येक प्रक्रिया के पीछे रेलवे की एक गाइड लाइन होती है. इस समझौता करने के पीछे गाइडलाइन का पालन किया गया या नहीं. किस तरह से अपने हित के लिए गाइडलाइन के साथ छेड़छाड़ की गयी है. इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए तथा दोषी को सजा मिलनी चाहिए.
दोषियों को मिलेगी सजा : मनोज सिन्हा
रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने इस संबंध में टिप्पणी करते हुए कहा कि इस पूरे मामले को देखने का निर्देश दिया गया है. रेलवे के दिशा निर्देश का उल्लंघन कर यदि कोई समझौता किया गया है, तो इसके लिए दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. उनके खिलाफ कानून के अनुसार व्यवस्था ली जायेगी. श्री सिन्हा ने इस संबंध में वरिष्ठ रेल अधिकारियों को जांच का भी निर्देश दिया.