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चिटफंड कंपनियों की करोड़ों की जमीन गुपचुप बेचने की तैयारी

कोलकाता संवाददाता – पुलिस प्रशासन उदासीन – जांच में ढिलाई का आरोप सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी तथा इसके आसपास के इलाकों में विभिन्न चिटफंड कंपनियों के निदेशकों एवं उनके परिवार वालों के नाम पर करोड़ों रुपये की जमीन होने का पता चला है. उत्तर बंग अमानतकारी सुरक्षा समिति ने अपनी ओर से जिस छह सदस्यीय जांच कमेटी […]

कोलकाता संवाददाता

– पुलिस प्रशासन उदासीन

– जांच में ढिलाई का आरोप
सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी तथा इसके आसपास के इलाकों में विभिन्न चिटफंड कंपनियों के निदेशकों एवं उनके परिवार वालों के नाम पर करोड़ों रुपये की जमीन होने का पता चला है. उत्तर बंग अमानतकारी सुरक्षा समिति ने अपनी ओर से जिस छह सदस्यीय जांच कमेटी का गठन का किया था उसने इस तथ्य का खुलासा किया है. इस जांच कमेटी के सदस्य विभिन्न रजिस्ट्री कार्यालय गये और वहां से जमीन की खरीद-बिक्री संबंधी दलीलें निकाली.
इन दलीलों के बाद ऐसा लग रहा है कि विभिन्न चिटफंड कंपनियों के मालिकों ने अपने तथा अपने परिवार वालों के नाम पर करोड़ों रुपये की जमीन खरीदी है. आज सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उत्तर बंग अमानतकारी सुरक्षा समिति के अध्यक्ष अलकेश चक्रवर्ती ने कहा है कि विभिन्न जमा योजनाओं के माध्यम से चिटफंड कंपनियों के निदेशकों ने अपने तथा अपने परिवार वालों के नाम पर सिलीगुड़ी के फांसीदेवा, फूलबाड़ी, माटीगाड़ा, बागडोगरा आदि इलाके में करोड़ों रुपये की जमीन खरीदी है.
इसमें सबसे अधिक रेमल इंडस्ट्रीज के निदेशकों ने अपने परिवार वालों के नाम पर जमीनें खरीदी है. अब इस जमीन को गुपचुप तरीके से बेचने की तैयारी की जा रही है. हाल ही में रेमल इंडस्ट्रीज के सिपाहीपाड़ा स्थित 55 बीघा जमीन को खरीदने के लिए कोलकाता के कुछ लोग आये थे. जमीन देखने के दौरान रेमल इंडस्ट्रीज के निवेशकों तथा इसके एजेंटों को इस बात की जानकारी मिल गयी. काफी संख्या में पीडि़त निवेशक और एजेंट मौके पर पहुंचे.
उसके बाद जमीन देखने वाले लोग वहां से फरार हो गये. श्री चक्रवर्ती ने आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस प्रशासन इस पूरे मामले में पूरी तरह से उदासीन बना हुआ है. सिलीगुड़ी तथा इसके आसपास के इलाकों में रेमल के अलावा गोल्डमाइंड, ब्लूसाइन, साथीशिल्प, साहा इंडिया, मां संध्या ज्वेलरी और सुमंगल आदि जैसी चिटफंड कंपनियों के निदेशकों एवं उनके परिवार वालों के नाम पर करोड़ों रुपये की जमीन और फ्लैट का पता चला है.
पुलिस से इस मामले में कई बार जांच की गुहार लगायी गयी है, लेकिन इसका कोई लाभ नहीं हुआ है. राज्य में एक तरह से कहें तो सारधा कांड तक जांच को सीमित कर दिया गया है. जबकि 126 से भी अधिक चिटफंड कंपनियां आम निवेशकों के करोड़ों रुपये डकार कर फरार हो गयी है. श्री चक्रवर्ती ने आगे बताया कि रेमल इंडस्ट्रीज तथा इसके निदेशकों ने जितनी भी जमीन खरीदी है उसमें केएस इंटरप्राइजेज ने बिचौलिये का काम किया है.
जमीन के अधिकांश दलीलों में केएस इंटरप्राइजेज का नाम है और इसका पता सुभाषपल्ली सिलीगुड़ी है. उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में केएस इंटरप्राइजेज की क्या भूमिका रही है, इसकी जांच की जानी चाहिए. इसके अलावा रेमल इंडस्ट्रीज ने अपने बैलेन्स सीट में जमीन की कीमतों को भी बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया है. एक दलील में इस बात का पता चला है कि रेमल इंडस्ट्रीज ने 0.34 एकड़ जमीन 7 लाख रुपये के बाजार दर पर खरीदी थी, जबकि कंपनी ने 2011-12 के बैलेन्स सीट में इसी जमीन की कीमत 27 लाख रुपये दिखायी है.
उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ महीनों में जिन चिटफंड कंपनियों के मालिकों की गिरफ्तारी हुई थी उनमें से कई वर्तमान में रिहा हो गये हैं. इन कंपनियों के मालिकों के खिलाफ पुलिस ने धारा 420 के तहत मामला दर्ज किया था और 60 दिनों के बाद इन लोगों की जमानत हो गई है. इनमें से कई ऐसे भी हैं जो बांग्लादेश निवासी हैं. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि मां संध्या ज्वेलरी चिटफंड कंपनी के मालिक रतन मित्रा बांग्लादेश के रहने वाले हैं. सिलीगुड़ी में उनके कई फ्लैट हैं. गिरफ्तारी के 41 दिन बाद ही वह जमानत पर रिहा हो गये थे. वह भी अपने फ्लैटों को बेचकर बांग्लादेश भागने की फिराक में हैं.

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