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सारधा घोटाले से जुड़ीं पूजा कमेटियां भी

कोलकाता. सारधा चिटफंड घोटाले की जांच कर रही एजेंसियों की उत्तर व दक्षिण कोलकाता की कई प्रमुख पूजा कमेटियों पर निगाह है. प्रवर्तन निदेशालय (इडी) व सीबीआइ का मानना है कि कई बड़ी पूजा कमेटियों के साथ प्रभावशाली लोग जुड़े हैं. 2011 में दुर्गा पूजा थीम की प्रतिस्पर्धा में बड़े-बड़े पुरस्कार दिये गये थे. पूजा […]

कोलकाता. सारधा चिटफंड घोटाले की जांच कर रही एजेंसियों की उत्तर व दक्षिण कोलकाता की कई प्रमुख पूजा कमेटियों पर निगाह है. प्रवर्तन निदेशालय (इडी) व सीबीआइ का मानना है कि कई बड़ी पूजा कमेटियों के साथ प्रभावशाली लोग जुड़े हैं.

2011 में दुर्गा पूजा थीम की प्रतिस्पर्धा में बड़े-बड़े पुरस्कार दिये गये थे. पूजा कमेटियों को बड़ी राशि मिली थी. हालांकि यह रकम विज्ञापन के एवज में दी गयी थी, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि सारधा प्रमुख सुदीप्त सेन पर दबाव डाल कर यह राशि ली गयी थी. जांचकर्ताओं को जानकारी मिली है कि दुर्गा पूजा की 15 बड़ी कमेटियों ने सुदीप्त सेन से करोड़ों रुपये की मदद ली थी. ऐसी 10 पूजा कमेटियां दक्षिण कोलकाता की हैं. इनमें से पांच पूजा कमेटी भवानीपुर इलाके की हैं. बाकी 10 में से तीन बेहला इलाके की हैं.

सूत्रों के अनुसार, दक्षिण कोलकाता की दो पूजा कमेटियों से राज्य के दो मंत्री सीधे तौर पर जुड़े हैं. इन मंत्रियों से संबंधित पूजा कमेटियों के लिए सारधा ने 50 लाख रुपये खर्च किये थे. इनके अतिरिक्त ऐसी अन्य पूजा कमेटियों से दूसरे मंत्री जुड़े हुए थे, जिन्हें सारधा की मदद मिली. जांचकर्ता यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि सारधा की ओर से किन-किन पूजा कमेटियों को कितनी राशि दी गयी थी और इसके पीछे किसका हाथ था.

असम में सारधा के इंजीनियर से हुई पूछताछ
उधर, सारधा चिटफंड जांच मामले में प्रवर्तन निदेशालय (इडी) चाजर्शीट दायर की तैयारी कर रहा है. इडी के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि जांच में सुदीप्त सेन के लगभग 350 करोड़ रुपये की संपत्ति का पता चला है. इडी एक साथ असम, ओड़िशा व पश्चिम बंगाल में मामले की जांच कर रही है. जांच के दौरान कई विशिष्ट लोगों से पूछताछ की गयी है. गौरतलब है कि करोड़ों रुपये के घोटाले की इडी ने अप्रैल 2013 में जांच शुरू हुई थी. इस मामले की जांच सीबीआइ भी कर रही है. सीबीआइ मुख्यत: सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार जांच कर रही है तथा इस घोटाले संलिप्तप्रभावशाली लोगों को पता लगाने की कोशिश कर रही है. दूसरी ओर, इडी के अधिकारियों ने असम में सारधा कंस्ट्रक्शन के इंजीनियर मनोज तालुकदार से पूछताछ की.

जांच से बचाना चाहती हैं सीएम : जस्टिस गांगुली
कोलकाता. राज्य मानवाधिकार आयोग के पूर्व चेयरमैन व सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश अशोक कुमार गांगुली ने नाम लिये बगैर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को आड़े हाथों लिया है. जस्टिस (सेवानिवृत्त) गांगुली ने कहा कि वह सच्चई की प्रतीक नेता हैं.

पहले लोगों को ठगा गया. अब जब जांच हो रही है तो कहा जा रहा है कि षडयंत्र हो रहा है. सारधा अपनी स्थापना के तीन वर्ष के भीतर ही रेलवे से जुड़ गया. वह कैसे जुड़ा, इसकी जांच सीबीआइ कर रही है. ओड़िशा व अन्य राज्य सरकारों ने सीबीआइ जांच की इजाजत पहले ही दे दी थी. पश्चिम बंगाल सरकार ही इसके खिलाफ थी. अब जब जांच शुरू हुई है तो इसे षडयंत्र कहा जा रहा है.

ममता-सुदीप्त की बैठक पर सीबीआइ की नजर
कोलकाता. रेलवे व सारधा की कंपनी के बीच समझौते को लेकर पहले ही सारधा चिटफंड की जांच की आंच मुख्यमंत्री व तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी तक पहुंच चुकी है. अब सीबीआइ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और सारधा समूह के प्रमुख सुदीप्त सेन के बीच हुई बैठक की जानकारी जुटा रही है. सूत्रों के अनुसार, तृणमूल कांग्रेस से निकाले गये सांसद कुणाल घोष से पूछताछ के बाद सीबीआइ को जानकारी मिली है कि सुश्री बनर्जी व तृणमूल सांसद तथा पार्टी के महासचिव मुकुल राय के आधिकारिक दौरे के दौरान मार्च 2012 में दाजिर्लिंग के कालिम्पोंग में सारधा प्रमुख सुदीप्त सेन के साथ बैठक हुई थी.

कुणाल घोष ने पिछले वर्ष नवंबर में गिरफ्तार होने के दो दिन के बाद जारी सीडी में सुदीप्त सेन के साथ सुश्री बनर्जी की बैठक का आरोप लगाया था तथा अपनी गिरफ्तारी को गलत बताया था. कुणाल ने अपनी गिरफ्तारी के बाद 12 लोगों के नाम बताये थे जिसमें ममता बनर्जी का नाम भी शामिल था. उल्लेखनीय है कि सुश्री बनर्जी के रेल मंत्री रहने के दौरान रेल की संस्था आइआरसीटीसी तथा सारधा समूह की कंपनी के बीच हुए समझौते पर हस्ताक्षर हुआ था. इस समझौते के खुलासे के बाद सीबीआइ पहले से ही इस मामले की जांच कर रही है.

कुणाल घोष के 10 चेक को किया जब्त
कोलकाता. सीबीआइ ने गोलपार्क स्थित ओवरसीज बैंक की तलाशी के दौरान 10 चेक बरामद किये. ये चेक गिरफ्तार सांसद कुणाल घोष के हैं. सीबीआइ के एक अधिकारी के अनुसार, कुणाल घोष सहित कई प्रभावशाली लोगों को सारधा प्रमुख सुदीप्त सेन चेक देता था. ये चेक करोड़ों रुपये के होते थे. हाल में सेन से पूछताछ में सीबीआइ को जानकारी मिली कि ओवरसीज बैंक में सारधा का अकाउंट था. गत 14 अगस्त को बैंक की तलाशी ली गयी. बुधवार को भी सीबीआइ ने बैंक की तलाशी ली. तलाशी के दौरान सीबीआइ को चेक सहित कई प्रमाण मिले. सीबीआइ के बैंकिंग क्षेत्र के विशेषज्ञ इस तलाशी में शामिल थे.

मंत्री ने दूसरे की जमीन बेच दी थी सुदीप्त को
कोलकाता. सारधा चिटफंड घोटाले में फंसे राज्य के वस्त्र मंत्री श्यामपद मुखर्जी की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं. बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (इडी) की जांच के दौरान श्री मुखर्जी के संबंध में एक तथ्य का खुलासा हुआ है. बांकुड़ा स्थित सीमेंट कारखाने की जमीन श्री मुखर्जी ने सुदीप्त सेन को बेची थी. बेची गयी जमीन में से सात एकड़ भूमि किसी दूसरे की थी. जिसकी रजिस्ट्री व ऑफिस के कागजात दूसरे के नाम से था. उल्लेखनीय है कि 2009 में वस्त्र मंत्री श्यामापद मुखर्जी से सुदीप्त सेन ने एक कारखाना खरीदा था.

इडी अधिकारियों का कहना है कि कारखाने के कागजात फर्जी हैं तथा जमीन हस्तांतरण की प्रक्रिया भी पूरी नहीं की गयी है. फिलहाल मामले को गंभीरता से देखा जा रहा है.

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