कोलकाता: केंद्रीय एमएसएमइ मंत्री कलराज मिश्र ने बताया कि जल्द ही नयी एमएसएमइ (सूक्ष्म, लघु व मझोले उद्यम) नीति की घोषणा की जायेगी. इसमें दो महीने का वक्त लग सकता है.
इसके लिए अन्य देशों की नीतियों के अलावा देश के विभिन्न राज्यों की नीतियों का अध्ययन किया जा रहा है. उद्यमियों को बेहतर आधारभूत ढांचे के अलावा अन्य सभी सुविधाएं मुहैया करने के लिए नयी नीति होगी. यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि उद्यमियों को हर संभव मदद की जाये. सब्सिडी को अपग्रेड करने की प्रणाली विकसित की जा रही है. श्री मिश्र ने यह भी कहा कि एमएसएमइ को प्रायोरिटी सेक्टर का दर्जा देने का आग्रह भी नयी नीति में होगा.
शनिवार को एमसीसी चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की ओर से आयोजित परिचर्चा में पहुंचे श्री मिश्र ने कहा कि देश भर में एमएसएमइ की 3.60 करोड़ इकाइयां हैं. देश का 40 फीसदी निर्यात इसी क्षेत्र के जरिये होता है. जीडीपी का आठ फीसदी इसकी बदौलत ही है. हालांकि कुल एमएसएमइ में से अधिकांश पंजीकृत नहीं हैं.
आठ करोड़ लोगों को इससे रोजगार मिलता है. इसकी व्यापकता काफी है. इसे और भी सुदृढ़ करने की जरूरत है. केंद्र ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है. नयी नीति इसी दिशा में होगी. बंगाल में एमएसएमइ के संबंध में उनका कहना था कि यहां 25 लाख इकाइयां हैं. हालंकि 94 फीसदी के पास वित्त की समस्या है. कभी बंगाल इस क्षेत्र में अग्रणी था, लेकिन आज इकाइयों की हालत ठीक नहीं है. आधारभूत ढांचे की कमी है. जमीन, बिजली, पानी आदि की समस्या है. एमएसएमइ को क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट के जरिये मदद की दिशा में हुई बैठक में बंगाल के प्रतिनिधि शामिल नहीं हुए थे. श्री मिश्र ने यह भी बताया कि एमएसएमइ के पंजीकरण के लिए सभी प्रक्रिया ऑनलाइन की जायेगी. देश के एमएसएमइ सेक्टर को किसी भी अन्य देश के साथ तुलना करने की बजाय वह क्षेत्र को मजबूत करने पर जोर देते हैं.