नाबालिग लड़कियों की आदर्श बनीं सुषमा दीदी
जलपाईगुड़ी: डुवार्स के कठहलगुड़ी चाय बागान के नाबालिग लड़कियों के लिए सुषमा दीदी एक आदर्श बन गयी है. सुषमा दीदी के नाम से परिचित सुषमा महाली डुवार्स के चाय बागान इलाके से बाल तस्करी व नाबालिग लड़की तस्करी के रास्ते का कांटा बन गयी है. वह बागान के लड़कियों को सिलाई का प्रशिक्षण देती है. […]
जलपाईगुड़ी: डुवार्स के कठहलगुड़ी चाय बागान के नाबालिग लड़कियों के लिए सुषमा दीदी एक आदर्श बन गयी है. सुषमा दीदी के नाम से परिचित सुषमा महाली डुवार्स के चाय बागान इलाके से बाल तस्करी व नाबालिग लड़की तस्करी के रास्ते का कांटा बन गयी है. वह बागान के लड़कियों को सिलाई का प्रशिक्षण देती है.
जलपाईगुड़ी जिले के धूपगुड़ी ब्लॉक स्थित बानरहाट का कठहलगुड़ी चाय बागान वर्ष 2002 से लगातार बंद रहने के बाद विगत वर्ष खुल गया था.
बागान खोलने के बाद भी चाय पत्तियों का उत्पादन कम होने के कारण श्रमिक व कर्मचारियों की आर्थिक-सामाजिक हालातों में ज्यादा सुधार नहीं आया. कई सालों तक बागान बंद रहने के कारण बागान के कई बच्चों व नाबालिग लड़कियों को काम देने व शादी का झांसा देकर बाहरी राज्यों में तस्करी कर दी गयी. इनमें से कईयाें को बरामद भी किया गया, लेकिन कई नाबालिग लड़कियां आज भी लापता है. बागान खुलने के बाद, नये सिरे से फिर से बागान से नाबालिग लड़कियां रोजीरोटी की जुगाड़ में किसी गलत लोगों के हाथ में ना पड़ जाये, इसलिए कठहलगुड़ी की आदिवासी लड़की सुषमा महाली ने कमर कस ली है.
सुषमा ने बागान की लड़कियों को स्वनिर्भर बनाने का जिम्मा लिया है. उसके इस काम में उसकी दोस्त रीमा उरांव व अन्य कुछ सहेलियां मदद कर रही है. सुषमा कहती है सीमा सुरक्षा बल व एसएसबी की ओर से उसे पांच सिलाई मशीन दी गयी है. वह चाय बागान की नाबालिग लड़की व युवतियों को सिलाई का प्रशिक्षण दे रही है. रोजगार की आशा में बागान की लड़कियां सुषमा दीदी की सिलाई प्रशिक्षण केंद्र में जमा हो रही है. अब बागान की लड़कियों को काम की तलाश में बाहर नहीं जाना पड़ता है. खुद ही कपड़े की सिलाई कर बागान की लड़कियां बाजार में इन्हें बेच रही है. सुषमा नि:शुल्क प्रशिक्षण दे रही है. सीमा उरांव ने बताया कि सुषमा दीदी की इस पहल ने बागान की लड़कियों को जीने का तरीका सीखा दिया. अब बागान की लड़कियां तस्करों के चंगुल में नहीं फंसती है.