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आरएसएस समर्थकों को पीटा

कोलकाता: खिदिरपुर इलाके के दही घाट पर आरएसएस समर्थकों के छठ पूजा सेवा शिविर लगाने को लेकर विवाद गुरुवार को मारपीट में बदल गया. आरोप है कि गुरुवार की सुबह छठ पर्व समाप्त होने के बाद कुछ स्थानीय तृणमूल नेताओं ने आरएसएस के सेवा शिविर में सेवारत आरएसएस के स्वयंसेवकों के साथ मारपीट की. इस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 31, 2014 6:36 AM
कोलकाता: खिदिरपुर इलाके के दही घाट पर आरएसएस समर्थकों के छठ पूजा सेवा शिविर लगाने को लेकर विवाद गुरुवार को मारपीट में बदल गया. आरोप है कि गुरुवार की सुबह छठ पर्व समाप्त होने के बाद कुछ स्थानीय तृणमूल नेताओं ने आरएसएस के सेवा शिविर में सेवारत आरएसएस के स्वयंसेवकों के साथ मारपीट की. इस संबंध में दोनों पक्षों की ओर दक्षिण पोर्ट थाने में परस्पर शिकायत भी दर्ज की गयी है.
पुलिस का कहना है कि दोनों पक्षों में बुधवार से ही तनाव चल रहा था. गुरुवार को यह तनाव मारपीट और झड़प में बदल गया. दोनों पक्षों के बीच हाथापाई की घटना हुई. पुलिस के प्रयास से मामला शांत हुआ.
दूसरी ओर, आरएसएस समर्थकों ने आरोप लगाया कि बुधवार से ही स्थानीय तृणमूल नेताओं द्वारा सेवा शिविर लगाने को लेकर धमकी दी जा रही थी, लेकिन धमकी के बावजूद उन लोगों ने शिविर लगाया था. हालांकि उन लोगों को बैनर नहीं लगाने दिया गया था. उन्होंने कहा कि सुबह लगभग साढ़े आठ बजे वे लोग गणवेश में सुबह सेवारत थे और छठव्रतियों को चाय, शिकंजी व अन्य सुविधाएं उपलब्ध करा रहे थे. उसी समय लगभग साढ़े आठ बजे कुछ स्थानीय तृणमूल समर्थक पहुंचे और उन लोगों के साथ मारपीट की. उल्लेखनीय है कि इसी घाट पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी प्रत्येक वर्ष छठ पूजाव्रतियों को निगम की ओर से आयोजित कार्यक्रम में शुभकामनाएं देती हैं. मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के मद्देनजर ही आरएसएस को सेवा शिविर लगाने में बाधा दी जा रही थी.
आरएसएस के बढ़ते प्रभाव से बौखला गयी है तृणमूल कांग्रेस : संघ
पश्चिम बंगाल के आरएसएस के प्रचार प्रमुख डॉ जिष्णु बसु ने सेवारत आरएसएस समर्थकों पर तृणमूल कांग्रेस समर्थकों के हमले की निंदा की है. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल पहले माकपा के शासनकाल में आरएसएस समर्थकों पर अत्याचार होता था. अब तृणमूल के शासन में आरएसएस समर्थकों पर अत्याचार और भी बढ़ गयी है. उन्होंने कहा कि अत्याचार इतना बढ़ गया है कि छठव्रतियों की सेवा में रत आरएसएस समर्थकों को भी तृणमूल नहीं छोड़ रही है. इससे साफ हो गया है कि आरएसएस के बढ़ते प्रभाव से तृणमूल बौखला गयी है. यह बर्दवान से लेकर वीरभूम में घटी घटना से देखी जा सकती है. इन घटनाओं से साफ है कि किस तरह से राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए राष्ट्रविरोधी ताकतों को मदद दी जा रही है.

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