काला धन मामला : स्वामी ने कहा, नाम जाहिर करने का जायज कारण नहीं बताया गया

कोलकाता : भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आज एक बार फिर काला धन मामले पर कहा कि सरकार की ओर से नाम उजागर नहीं करने का कोई वैध कारण नहीं बताया गया है. स्वामी ने बताया ‘‘सरकार कहती है कि भारत ने दूसरे देशों के साथ जो डबल कर अवायडेन्स एग्रीमेंट (डीटीएए) पर हस्ताक्षर किए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 8, 2014 2:57 PM

कोलकाता : भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आज एक बार फिर काला धन मामले पर कहा कि सरकार की ओर से नाम उजागर नहीं करने का कोई वैध कारण नहीं बताया गया है.

स्वामी ने बताया ‘‘सरकार कहती है कि भारत ने दूसरे देशों के साथ जो डबल कर अवायडेन्स एग्रीमेंट (डीटीएए) पर हस्ताक्षर किए हैं वह उसे विदेशी बैंकों के खाता धारकों के नामों का खुलासा करने से रोकता है. यह वैध कारण नहीं है.’’

उन्होंने कहा कि डीटीएए में हालांकि गोपनीयता का एक उपबंध है जो सरकार को नामों का खुलासा करने से रोकता है लेकिन इस बाधा को दूर किया जा सकता है. स्वामी ने कहा कि जब प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति बनने से पहले वित्त मंत्री थे तब उन्होंने जर्मन सरकार को लाइचेन्स्टीन में खाता रखने वालों के नामों का डीटीएए के तहत खुलासा करने के लिए लिखा था.

उन्होंने कहा ‘‘अब सरकार को यह करना है कि एक बार फिर से वह जर्मन समकक्ष को लिखे कि पूर्व में उसने भूलवश डीटीएए के तहत नामों का खुलासा करने की मांग की थी. अब सरकार संयुक्त राष्ट्र के एक विशेष संकल्प के तहत नामों का खुलासा करने की मांग कर रही है.’’ स्वामी ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा अग्रसारित की गई जिरह सही नहीं है.

उनसे कहा गया कि जब भाजपा विपक्ष में थी तब उसने डीटीएए का हवाला देने के लिए कांग्रेस नीत संप्रग सरकार की आलोचना की थी क्योंकि तब इसी एक कारण के चलते सरकार नामों का खुलासा नहीं कर रही थी. अब वर्तमान सरकार भी यही कर रही है. इस पर स्वामी ने कहा ‘‘यह भाजपा सरकार है जिसने सत्ता में आने के तुरंत बाद विशेष जांच दल गठित किया.’’

उन्होंने कहा ‘‘उच्चतम न्यायालय द्वारा वर्ष 2011 में आदेश दिए जाने के बावजूद कांग्रेस ने विशेष जांच दल क्यों गठित नहीं किया ?’’ स्वामी ने कहा ‘‘विदेशी बैंकों में जमा किया गया काला धन भारत में वापस लाया जाना चाहिए और हम यह करेंगे.’’ उन्होंने कहा कि भागीदारी परिपत्रों :पार्टिसिपेटरी नोट्स: के जरिये काले धन को भी वैध कर दिया गया.

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