राज्य में 176 बच्चे ऑटिज्म के शिकार : शशि पांजा

49 लाख बच्चों का हुआ सर्वे

By Prabhat Khabar News Desk | August 2, 2024 10:51 PM

49 लाख बच्चों का हुआ सर्वे कोलकाता. ऑटिज्म शारीरिक विकास से जुड़ा एक गंभीर डिसऑर्डर है, जो बातचीत करने और दूसरों से घुलने-मिलने की क्षमता को कम कर देता है. ऑटिज्म का असर नर्वस सिस्टम पर पड़ता है. साथ ही, यह प्रभावित बच्चों के मानसिक, भावनात्मक, सामाजिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालता है. इस बीमारी से पीड़ित बच्चों की पहचान के लिए राज्य सरकार की ओर से एक सर्वे कराया गया है. यह जानकारी शुक्रवार को विधानसभा में राज्य के उद्योग, वाणिज्य और महिला व बाल विकास और सामाजिक कल्याण विभाग की मंत्री डॉ शशि पांजा ने दी. मंत्री ने बताया कि विभाग की ओर 49 लाख बच्चों पर यह सर्वे किया गया. सर्वे में 5,840 बच्चों में प्राथमिक रूप से यह लक्षण देखे गये थे. मंत्री ने बताया कि चिह्नित बच्चों को जिला अस्पतालों या दूसरे किसी रेफरल स्वास्थ्य केंद्रों में पहचान करायी गयी है. उन्होंने बताया कि 5,840 बच्चों में से 176 ऑटिज्म के शिकार मिले. वहीं, 476 बच्चे अन्य किसी शारीरिक बीमारी से पीड़ित पाये गये. सभी की सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा चल रही है. मंत्री ने बताया कि आंगनबाड़ी यानी आइसीडीएस कर्मियों से यह सर्वे कराया गया. मंत्री ने बताया कि आंगनबाड़ी कर्मियों के पास चिकित्सकीय ज्ञान नहीं है. सर्वे के लिए प्रश्नावली तैयार कर उन्हें सौंपी गयी थी, जिसके आधार पर सर्वे किया गया. मंत्री ने बताया कि, आंगनबाड़ी में छह माह से छह साल के बच्चों को खिलाया जाता है. इसके साथ ही प्रसूताओं को भी पुष्टिकर भोजन दिया जाता है. उन्होंने बताया कि हर महीने करीब 67 लाख 95 हजार 445 बच्चों को भोजन कराया जाता है. इसके अलावा 12 लाख 34 हजार प्रसूताओं को भी भोजन कराया जाता है. आइसीडीएस सेंटर को चलाने में अब राज्य सरकार को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि केंद्र सरकार का अनुदान लगातार कम होता जा रहा है. मंत्री ने बताया कि आइसीडीएस सेंटरों की मरम्मत के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रति वर्ष प्रत्येक सेंटर के लिए तीन हजार खर्च किये जाते हैं. इस राशि का केंद्र 60 फीसदी और राज्य सरकार 40 फीसदी वहन करती है. मंत्री डॉ शशि पांजा ने बताया कि राज्य में एक लाख 19 हजार 483 आइसीडीएस केंद्र हैं. मंत्री ने यह भी बताया कि राज्य के बड़े 81 हजार 321 केंद्रों के लिए गैस सिलिंडर और ओवन खरीदे जायेंगे. इसके लिए करीब 286 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे.

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