एटक समर्थित टैक्सी यूनियन ने किया एलान, हावड़ा में टैक्सी बॉयकाट

कोलकाता: एटक समर्थित वेस्ट बंगाल टैक्सी ऑपरेटर्स को-ऑर्डिनेशन कमेटी के संयोजक व कोलकाता टैक्सी ऑपरेटर्स यूनियन के महासचिव नवल किशोर श्रीवास्तव ने घोषणा की है कि हावड़ा में ट्रैफिक पुलिस की टैक्सी चालकों पर ज्यादती के विरोध सहित विभिन्न मांगों के समर्थन में संगठन की ओर से 27 व 28 नवंबर को 48 घंटे का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 19, 2014 3:59 AM

कोलकाता: एटक समर्थित वेस्ट बंगाल टैक्सी ऑपरेटर्स को-ऑर्डिनेशन कमेटी के संयोजक व कोलकाता टैक्सी ऑपरेटर्स यूनियन के महासचिव नवल किशोर श्रीवास्तव ने घोषणा की है कि हावड़ा में ट्रैफिक पुलिस की टैक्सी चालकों पर ज्यादती के विरोध सहित विभिन्न मांगों के समर्थन में संगठन की ओर से 27 व 28 नवंबर को 48 घंटे का टैक्सी बॉयकाट किया जायेगा. यानी दोनों दिन हावड़ा में टैक्सियां नहीं चलेंगीं. इसके साथ ही 27 नवंबर को दोपहर 12 बजे हावड़ा ब्रिज से टैक्सी चालकों का एक जुलूस निकलेगा. यह जुलूस हावड़ा स्टेशन की परिक्रमा कर फिर हावड़ा ब्रिज पर लौट आयेगा. इसके बाद वहां धरना-प्रदर्शन किया जायेगा.

मंगलवार को एटक कार्यालय में टैक्सी संगठन की बैठक हुई. इस बैठक में कोलकाता, उत्तर 24 परगना, हुगली व कोलकाता के आसपास के जिलों के टैक्सी संगठनों ने हिस्सा लिया. बैठक के बाद श्री श्रीवास्तव ने बताया कि सात अगस्त को उनके नेतृत्व में टैक्सी संगठन के प्रतिनिधियों ने राज्य के परिवहन मंत्री मदन मित्रा से मुलाकात की थी.

श्री मित्रा ने आश्वासन दिया था कि दो सप्ताह के अंदर टैक्सी रिफ्यूजल के नाम पर केस बंद करने, टैक्सी चालकों के लिए हावड़ा स्टेशन व सांतरागाछी में शौचालय बनाने, हावड़ा स्टेशन के प्रीपेड टैक्सी स्टैंड में तृणमूल समर्थकों को दूर के यात्री देने, हावड़ा में पुलिस व तृणमूल नेताओं की मदद से गैर कानूनी प्राइवेट गाड़ी चलाना बंद करने व आंदोलन में शामिल टैक्सी चालकों पर दर्ज झूठे मामलों को रद्द करने आदि मांगों पर कदम उठायेंगे, लेकिन अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है.

उन्होंने कहा कि ट्रैफिक पुलिस की ज्यादती के शिकार टैक्सी चालक घूरन साव पर पुलिस व तृणमूल नेताओं की ओर से दबाव डाला जा रहा है कि वह मामला वापस ले लें. उन्होंने कहा कि उन लोगों ने इसके पहले 20 नवंबर को हावड़ा में टैक्सी बॉयकाट की घोषणा की थी, लेकिन परिवहन मंत्री के आश्वासन के बाद उसे स्थगित कर दिया गया था. अब जब उन लोगों की मांगें नहीं मानी जा रही हैं और वादाखिलाफी की जा रही है. इसके कारण आंदोलन के लिए बाध्य हुए हैं.

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