कोल्ड स्टोरेज की कमी से राज्य को 13600 करोड़ रुपये का नुकसान

कोलकाता: देश में आलू व सब्जी के उत्पादन में पश्चिम बंगाल भले ही अव्वल स्थान पर हो, लेकिन यहां कोल्ड स्टोरेज की कमी के कारण राज्य सरकार को प्रत्येक वर्ष करीब 13600 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. ऐसी ही रिपोर्ट ब्रिटेन की संस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ मेकैनिकल इंजीनियर्स (आइएमइ) की ओर से पेश किया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 3, 2014 2:41 AM

कोलकाता: देश में आलू व सब्जी के उत्पादन में पश्चिम बंगाल भले ही अव्वल स्थान पर हो, लेकिन यहां कोल्ड स्टोरेज की कमी के कारण राज्य सरकार को प्रत्येक वर्ष करीब 13600 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. ऐसी ही रिपोर्ट ब्रिटेन की संस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ मेकैनिकल इंजीनियर्स (आइएमइ) की ओर से पेश किया गया है.

रिपोर्ट के अनुसार, बंगाल में फिलहाल सिर्फ 5.682 मिलियन मैट्रिक टन फल व सब्जी को ही कोल्ड स्टोरेज में रखने की क्षमता है, मांग के अनुसार अब भी यहां करीब 12 लाख मैट्रिक टन की क्षमता के अनुसार कोल्ड स्टोरेज बनाने होंगे. यह जानकारी मंगलवार को आइएमइ के ऊर्जा व पर्यावरण विभाग के प्रमुख डॉ टिम फॉक्स ने दी. उन्होंने कहा कि सिर्फ बंगाल ही नहीं, बल्कि पूरे देश में कोल्ड स्टोरेज की कमी के कारण यहां उत्पादित कुल सब्जी व फल का 40 प्रतिशत उत्पाद प्रत्येक वर्ष नष्ट हो जाता है.

जहां एक ओर केंद्र सरकार खाद्य सुरक्षा की बात कर रही है तो दूसरी ओर यहां प्रत्येक 40 प्रतिशत सब्जी के नष्ट होने से देश को प्रत्येक वर्ष 7.5 बिलियन डॉलर का नुकसान हो रहा है. इसे रोकने के लिए केंद्र सरकार के साथ ही विभिन्न राज्य सरकार को भी अहम कदम उठाने होंगे. पूरे देश में अभी भी 66 मिलियन टन फल व सब्जी रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज बनाना जरूरी है.

उन्होंने कहा कि अक्षय ऊर्जा द्वारा संचालित कोल्ड चेन के इंफ्रास्ट्रर में निवेश इस घाटे को रोकने, दुनिया की भूख को खत्म करने, बेहतर पोषण और हवा के माध्यम से स्वास्थ्य में सुधार करने में बेहद महत्वपूर्ण हैं. भारत सरकार के साथ-साथ विकास कार्यो में लगे गैर सरकारी संगठनों व सप्लाई चेन स्थापित करनेवाले रिटेलर्स को सस्ते, विश्वसनीय और टिकाऊ कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रर में निवेश को प्राथमिकता देनी चाहिए. पॉवर व कूलिंग दोनों का उत्पादन करने के लिए इसमें तरल हवा या नाइट्रोजन का इस्तेमाल करते हुए क्रायोजेनिक एनर्जी स्टोरेज जैसी नवीन तकनीकों के साथ अक्षय ऊर्जा का संयोजन भी शामिल है.

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