एसएससी के माध्यम से 2016 में की गयीं 25,753 नियुक्तियां की रद्द

कलकत्ता हाइकोर्ट की विशेष खंडपीठ ने पश्चिम बंगाल के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों

By Prabhat Khabar News Desk | April 23, 2024 2:04 AM

24,640 रिक्त पदों के लिए 23 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने 2016 एसएलएसटी परीक्षा दी थी

कुल 25,753 नियुक्ति पत्र जारी किये गये थे

हाइकोर्ट ने क्या-क्या दिये निर्देश

– नौकरी पाने वालों को चार सप्ताह के भीतर उनके द्वारा वेतन के मद में लिये गये रुपये 12 प्रतिशत ब्याज समेत वापस लौटाने होंगे

– सीबीआइ मामले की जांच जारी रखेगी

– खंडपीठ ने सुपर-न्यूमेरिक पदों के सृजन के राज्य कैबिनेट के फैसले पर भी संज्ञान लिया, इसके मास्टरमाइंड से पूछताछ कर सकती है सीबीआइ

– आवश्यकता पड़ने पर मामले में सीबीआइ किसी भी आरोपी को गिरफ्तार कर पूछताछ कर सकती है

– डब्ल्यूबीएसएससी को नये सिरे से नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का आदेश

कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट की विशेष खंडपीठ ने पश्चिम बंगाल के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में राज्य स्तरीय चयन परीक्षा-2016 (एसएलएसटी) की चयन प्रक्रिया के जरिये की गयी सभी नियुक्तियों को रद्द करते हुए सोमवार को इसे ‘अमान्य’ करार दे दिया. इसमें ग्रुप-सी और ग्रुप-डी श्रेणियों में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक के शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारी शामिल थे. हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति देवांशु बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) को नियुक्ति प्रक्रिया के संबंध में और जांच करने तथा तीन महीनों में एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने पश्चिम बंगाल विद्यालय सेवा आयोग (एसएससी) को नयी नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश भी दिया. उल्लेखनीय है कि 24,640 रिक्त पदों के लिए 23 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने 2016 एसएलएसटी परीक्षा दी थी. कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील फिरदौस शमीम ने कहा कि इन रिक्तियों के लिए कुल 25,753 नियुक्ति पत्र जारी किये गये थे.

खंडपीठ ने आदेश पर रोक लगाने के कुछ अपीलकर्ताओं के अनुरोध को भी खारिज कर दिया. कलकत्ता हाइकोर्ट के आदेश के बाद उसके परिसर के बाहर इंतजार कर रहे सैकड़ों आकांक्षी खुशी में रो पड़े. इनमें से एक अभ्यर्थी ने कहा कि हम वर्षों से इस दिन का इंतजार कर रहे थे. सड़कों पर किये वर्षों के संघर्ष के बाद आखिरकार न्याय मिल गया है.

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा गठित खंडपीठ ने एसएलएसटी-2016 के जरिये नौवीं, दसवीं, 11वीं और 12वीं कक्षाओं के शिक्षकों तथा ग्रुप-सी और ग्रुप-डी पदों पर एसएससी द्वारा नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों के चयन से संबंधित कई याचिकाओं तथा अपीलों पर विस्तारपूर्वक सुनवाई की. इस मामले की सुनवाई 20 मार्च को पूरी हुई थी और पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.

उल्लेखनीय है कि इससे पहले न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली की एकल पीठ ने एसएलएसटी-2016 में परीक्षा देनेवाले अभ्यर्थी, लेकिन नौकरी न पाने वाले कुछ अभ्यर्थियों की रिट याचिकाओं पर नियुक्ति प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं की सीबीआइ से जांच कराने का आदेश दिया था. हाइकोर्ट ने अनियमितताएं पाये जाने के बाद शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों की कई नौकरियों को खत्म करने का भी आदेश दिया था.

इस मामले के संबंध में याचिकाओं का निस्तारण करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नौ नवंबर 2023 को कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से एसएलएसटी-2016 के जरिये नियुक्ति प्रक्रिया से जुड़ी याचिकाओं तथा अपीलों पर सुनवाई के लिए एक खंडपीठ गठित करने का अनुरोध किया था. सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार इस मामले की जांच पूरी की और एक रिपोर्ट उच्च न्यायालय को सौंप दी थी.

गौरतलब है कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और कथित घोटाले के वक्त पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) में विभिन्न पदों पर रहे कुछ पदाधिकारियों को भी गिरफ्तार किया है.

खंडपीठ ने यह भी निर्देश दिया कि नियुक्ति पाने वालों को चार सप्ताह के भीतर उनके द्वारा लिया गया पूरा वेतन वापस करना होगा. उन्हें यह रकम 12 फीसदी सालाना ब्याज के साथ लौटानी होगी. डब्ल्यूबीएसएससी को नयी भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश देने के अलावा, खंडपीठ ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) को मामले में जांच जारी रखने का भी निर्देश दिया. खंडपीठ ने कहा कि सीबीआइ किसी भी व्यक्ति को पूछताछ के लिए हिरासत में ले सकती है, जिसे वह आवश्यक समझती है. खंडपीठ ने सुपर-न्यूमेरिक पदों के सृजन के राज्य कैबिनेट के फैसले पर भी संज्ञान लिया. डिविजन बेंच के आदेश के मुताबिक, जरूरत पड़ने पर सीबीआइ सुपर-न्यूमेरिक पोस्ट बनाने के पीछे के मास्टरमाइंड से भी पूछताछ कर सकती है. ऐसा माना गया कि अवैध रूप से भर्ती किये गये अयोग्य उम्मीदवारों के लिए ही सुपर-न्यूमेरिक पद बनाये गये थे. कोर्ट ने मानवीय आधार पर एक उम्मीदवार सोमा दास के मामले में एकमात्र अपवाद बनाया है. कैंसर की मरीज होने के कारण उनकी नियुक्ति रद्द नहीं की जायेगी. खंडपीठ के आदेश के मुताबिक, डब्ल्यूबीएसएससी को सभी ऑप्टिकल मार्क रिकग्निशन (ओएमआर) शीट भी अपनी वेबसाइट पर अपलोड करनी होगी, ताकि आम लोग उन तक पहुंच सकें.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद पश्चिम बंगाल में स्कूल में नौकरी के लिए करोड़ों रुपये के नकद मामले से संबंधित सभी मामलों की सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति देवांशु बसाक और न्यायमूर्ति शब्बर रशीदी की खंडपीठ का गठन किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने खंडपीठ को समयबद्ध तरीके से सुनवाई पूरी करने का भी निर्देश दिया था. मामले की सुनवाई 20 मार्च को पूरी हो गयी थी. लेकिन डिविजन बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.

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