प्रस्तावित बस हड़ताल वापस

कोलकाता: बस किराया बढ़ाने की मांग पर गौर करने का परिवहन मंत्री मदन मित्र से आश्वासन मिलने के बाद शनिवार को बस मालिकों ने 19 और 20 अगस्त को प्रस्तावित हड़ताल वापस ले ली. हालांकि बस मालिकों ने कहा है कि किराया बढ़ाने के लिए राज्य सरकार को दो हफ्ते का समय दिया गया है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 18, 2013 8:06 AM

कोलकाता: बस किराया बढ़ाने की मांग पर गौर करने का परिवहन मंत्री मदन मित्र से आश्वासन मिलने के बाद शनिवार को बस मालिकों ने 19 और 20 अगस्त को प्रस्तावित हड़ताल वापस ले ली. हालांकि बस मालिकों ने कहा है कि किराया बढ़ाने के लिए राज्य सरकार को दो हफ्ते का समय दिया गया है. इस दौरान भाड़ा नहीं बढ़ा तो हड़ताल पर जाने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचेगा. उधर, परिवहन मंत्री ने कहा कि बस मालिकों की मांग जायज है. किराया बढ़ाने पर मंत्री समूह फैसला लेगा. हालांकि उन्होंने कहा कि मांग मनवाने के लिए हड़ताल का सहारा लेना जायज नहीं है.

शनिवार को राइटर्स बिल्डिंग में परिवहन मंत्री और निजी बस मालिकों के संगठन ज्वाइंट काउंसिल ऑफ बस सिंडिकेट के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत हुई. बैठक में बस मालिकों ने मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के हस्तक्षेप की मांग की. बस मालिकों की मांग सुनने के बाद श्री मित्र ने आश्वासन दिया कि वह खुद मुख्यमंत्री से इस संबंध में बातचीत करेंगे. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री अमित मित्र, बिजली मंत्री मनीष गुप्ता और उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी को लेकर बनी मंत्री समूह की जल्द ही बैठक बुलायी जायेगी और उसमें बस किराया बढ़ाने को लेकर फैसला लिया जायेगा.

परिवहन मंत्री ने बस किराया बढ़ाये जाने की मांग को जायज ठहराते हुए कहा कि पिछले छह महीने में नौ बार पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत में इजाफा हुआ है. उन्होंने प्रस्तावित बस हड़ताल वापस लेने के सिंडिकेट के फैसले का स्वागत किया और कहा कि बस मालिक राज्य की जनता के बारे में सोच रहे हैं तो राज्य सरकार भी उनकी मांगों पर विचार करेगी.

सरकार को दो हफ्ते का समय
वहीं, इस संबंध में ज्वाइंट काउंसिल ऑफ बस सिंडिकेट के महासचिव साधन दास ने कहा कि राज्य सरकार को दो सप्ताह का समय दिया गया है. इस समय सीमा के अंदर ही राज्य सरकार को बस किराया बढ़ाने के संबंध में फैसला करना होगा. अगर ऐसा नहीं होता है तो हड़ताल करने के अलावा उनके पास कोई और रास्ता नहीं बचेगा.

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