मौलवियों ने रूकवाया महिला फुटबॉल मैच, ममता बनर्जी की पार्टी और प्रशासन ने दिया साथ
मालदा : हमारे देश में कट्टरपंथ किस कदर हावी है और खुद को धर्मनिरपेक्ष बताने वाली पार्टियां भी इस कदर सांप्रदायिक घटनाओं को अंजाम देने में शामिल होती हैं कि पूरा समाज शर्मसार होता है. जी हां, हम बात कर रहे हैं उस घटना की जब पश्चिम बंगाल प्रशासन ने मालदा जिले में आयोजित महिलाओं […]
मालदा : हमारे देश में कट्टरपंथ किस कदर हावी है और खुद को धर्मनिरपेक्ष बताने वाली पार्टियां भी इस कदर सांप्रदायिक घटनाओं को अंजाम देने में शामिल होती हैं कि पूरा समाज शर्मसार होता है. जी हां, हम बात कर रहे हैं उस घटना की जब पश्चिम बंगाल प्रशासन ने मालदा जिले में आयोजित महिलाओं के फुटबॉल मैच को इसलिए रूकवा दिया, क्योंकि कुछ कट्टरपंथी मुसलमान इसकी मांग कर रहे थे.
यह मैच 14 मार्च को खेला जा रहा था. कट्टरपंथियों को इस बात की कोई चिंता नहीं थी कि उस मैच में राष्ट्रीय फुटबॉल टीम की कई खिलाड़ी और अर्जुन पुरस्कार विजेता खिलाड़ी भी शामिल थीं. फुटबॉल मैच का विरोध करने वाले मौलवियों और ग्रामीणों को तृणमूल कांग्रेस के नेताओं का समर्थन मिला. हरिशचंद्रपुर ब्लॉक के बीडीओ बिप्लव रॉय ने इंडियन एक्सप्रेस अखबार से बातचीत में कहा कि जब मुझे यह पता चला कि गांव में फुटबॉल मैच का विरोध हो रहा है तो, मैंने इसकी सूचना एसपी, डीएम और स्थानीय पुलिस को दी. उच्चाधिकारियों से प्राप्त निर्देश के बाद मैच को रद्द कर दिया गया, ताकि क्षेत्र में शांति बनी रहे.
प्रोग्रेसिव यूथ क्लब हरिशचंद्र रजा रजी ने बताया कि मैच आयोजित करने का उद्देश्य महिलाओं में फुटबॉल के प्रति रुचि जागृत करना था. लेकिन अंतिम समय में कुछ मौलवी और स्थानीय लोगों ने मैच का विरोध शुरू कर दिया. इनका कहना था कि इससे महिलाओं पर गलत असर पड़ेगा.रजा रजी ने बताया कि कुछ लोगों का यह भी कहना था कि मैच में महिलाएं जिस तरह के कपड़े पहन रहीं हैं वह शरिया कानून का उल्लंघन है.