फेसबुक ट्विटर के जमाने में पत्र मित्र
कोलकाता : ईमेल, ट्विटर और फेसबुक के दौर में पत्र मित्र. जी हां यह सच है. कोलकाता के एक स्कूल के छात्र पुराने परंपरागत डाक पत्र के जरिये अमेरिका में पत्र मित्र बना रहे हैं.कोलकाता के सिल्वर प्वाइंट स्कूल में छात्रों को पढ़ाने के दौरान एलेक्जेंडर लेविन नाम के युवक के मन में यह विचार […]
कोलकाता : ईमेल, ट्विटर और फेसबुक के दौर में पत्र मित्र. जी हां यह सच है. कोलकाता के एक स्कूल के छात्र पुराने परंपरागत डाक पत्र के जरिये अमेरिका में पत्र मित्र बना रहे हैं.कोलकाता के सिल्वर प्वाइंट स्कूल में छात्रों को पढ़ाने के दौरान एलेक्जेंडर लेविन नाम के युवक के मन में यह विचार कौंधा कि किस तरह से पत्र लिखे जायें और कैसे प्रभावी तरीके से बातचीत की जाये.
कक्षा के कार्य को मौज मस्ती भरे अंदाज में करने के मकसद से उन्होंने छठी, सातवीं और आठवीं कक्षा के छात्रों को एक चिट्ठी लिखने और उसे न्यू हैम्पशायर में रह रहे उनके एक दोस्त को पोस्ट करने को कहा.छात्रों से कुछ ही साल बड़ा जारडे उनके लिए बिल्कुल अनजान था. उन्होंने उससे अपने परिचय के साथ इसकी शुरुआत की और जल्द ही उनकी भूमिका सांस्कृतिक आदान प्रदान करने वाले एजेंट में तब्दील हो गयी क्योंकि उन्होंने अपने नये मित्र से कोलकाता के लोकप्रिय दुर्गा पूजा के बारे में बातचीत शुरू कर दी.
पत्र मित्र बनाने की कला ने कैसे कक्षा में पढ़ाने में मदद पहुंचाई, इस बारे में लेविन ने विस्तार से बताते हुए कहा, इससे उन्हें यह सीख मिली कि जब किसी के लिए कोई बिल्कुल अनजान हो ऐसे में उससे अचानक बातचीत कैसे शुरू की जाये. इन छात्रों के लिए दुर्गा पूजा उनके जीवन में काफी अहम है लेकिन किसी दूसरे देश में लोगों ने इसके बारे में शायद ही सुना हो. इसने छात्रों को न केवल भाषाई अभ्यास बल्कि सांस्कृतिक आदान प्रदान को प्रचारित करने में भी मदद पहुंचाई.
यूनाइटेड स्टेट्स-इंडिया एजुकेशनल फाउंडेशन (यूएसआईईएफ) के फुलब्राइट-नेहरु कार्यक्रम के तहत एक अंग्रेजी भाषा के शिक्षक के रूप में कार्यरत लेविन कहते हैं कि डाक पत्र के जरिये चिट्ठी का जवाब पाने को लेकर छात्रों में बहुत रोमांच था.