सुप्रीम कोर्ट में दायर होगी याचिका

कोलकाता: नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल द्वारा राज्य में पटाखों की आवाज की समयसीमा 90 डेसिबल से बढ़ाकर 125 डेसिबल किये जाने के खिलाफ आवाज चारों ओर से उठायी जा रही है. पर्यावरण हितैषी संस्थाओं व लोगों के मंच, ‘सबुज मंच’ की ओर से बताया गया है कि इस फैसले के खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट में भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 7, 2013 9:00 AM

कोलकाता: नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल द्वारा राज्य में पटाखों की आवाज की समयसीमा 90 डेसिबल से बढ़ाकर 125 डेसिबल किये जाने के खिलाफ आवाज चारों ओर से उठायी जा रही है. पर्यावरण हितैषी संस्थाओं व लोगों के मंच, ‘सबुज मंच’ की ओर से बताया गया है कि इस फैसले के खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट में भी जायेंगे. इस बाबत उन्होंने राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक पत्र भी लिखा है.

सबुज मंच की ओर से संयोजक नव दत्त ने बताया कि ऐसा प्रचार करना कि 90 डेसीबल ही आवाज की सीमा रखने से पटाखा बनाने वालों को भारी नुकसान होगा, गलत है. श्री दत्त व मंच के अन्य सदस्यों का कहना था कि तेज आवाज वाले पटाखों से श्रवण संबंधी स्थायी या अस्थायी समस्या देखी जा सकती है. हृदय की समस्या में भी वृद्धि होती है खासकर जो पहले से ही इससे जूझ रहे हैं.

फेफड़ों का संक्रमण बढ़ता है. नींद व दृष्टि की भी समस्या देखी जाती है. श्री दत्त का कहना था कि पूर्व में जब 90 डेसिबल सीमा तय की गयी थी तब भी रोगियों को भारी कष्ट का सामना करना पड़ता था. विश्व भर में रोशनी वाले पटाखों का चलन बढ़ रहा है, लेकिन यहां पर आवाज वाले पटाखों को ही प्रमुखता देने के लिए कदम उठाये जा रहे हैं. नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल के इस फैसले को लागू न करने का अधिकार भी राज्य सरकार के पास है.

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