शहर की सड़कें सौर ऊर्जा से जगमगायेंगी

कोलकाता: बढ़ते बिजली बिल से हो रही परेशानी से निजात पाने के लिए कोलकाता नगर निगम सौर उर्जा पर अपनी निर्भरता बढ़ाने जा रहा है. जिसकी शुरुआत निगम मुख्यालय में सोलर पैनल लगाने से हो भी चुकी है. इस पैनल से फिलहाल निगम में कुछ बल्ब व पंखे सौर उर्जा की सहायता से चल रहे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 17, 2013 8:19 AM

कोलकाता: बढ़ते बिजली बिल से हो रही परेशानी से निजात पाने के लिए कोलकाता नगर निगम सौर उर्जा पर अपनी निर्भरता बढ़ाने जा रहा है. जिसकी शुरुआत निगम मुख्यालय में सोलर पैनल लगाने से हो भी चुकी है. इस पैनल से फिलहाल निगम में कुछ बल्ब व पंखे सौर उर्जा की सहायता से चल रहे हैं. पर यह तो परीक्षण के तौर पर है.

निगम की योजना सीईएससी के बिजली बिल के गड़बड़झाले से निकलने की है. ट्रायडेंट लाइट की जगमगाहट बढ़ने से बिजली का खर्च भी बेतहाशा बढ़ा है. स्वयं निगम स्वीकार करता है कि स्ट्रीट लाइट के लिए हमें सीईएससी को लगभग 30 करोड़ रुपये चुकाने पड़ते हैं, पर विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रायडेंट लाइट लगने के बाद से इस रकम में काफी इजाफा हो चुका है. निगम का वार्षिक बिजली बिल 250 करोड़ रुपये से अधिक तक पहुंच चुका है. निगम को भी स्थिति का एहसास है.

इसलिए निगम प्रशासन अब सौर उर्जा के इस्तेमाल पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है. मेयर परिषद सदस्य देवाशीष कुमार के अनुसार सौर उर्जा परियोजना के प्रथम चरण में हम लोग गरियाहाट मार्केट को जगमगायेंगे. इसके लिए ढाई करोड़ रुपया खर्च होगा. जेएनएनयूआरएम परियोजना के तहत इस फंड की व्यवस्था की गयी है. इस परियोजना से 200 किलो वाट बिजली का उत्पादन होने का लक्ष्य है. गरियाहाट मार्केट के बाद दूसरे चरण में न्यू मार्केट एवं धापा इलाके को सौर उर्जा से जगमगया जायेगा. श्री कुमार का कहना है कि तकनीक बदल चुकी है. अब हम अपनी जरूरत से बचे बिजली को सीईएससी के ग्रिड में डाल देंगे. उसके बदले में हमें अतिरिक्त कमाई भी होगी.

अगली बारी स्ट्रीट लाइट की है. स्ट्रीट लाइट को भी सोलर एनर्जी से ही जलाया जायेगा. इसके लिए निगम ने ब्रिटिश हाई कमिश्नर से सहायता मांगी है. श्री कुमार ने बताया कि ब्रिटेन को इस क्षेत्र में काफी अनुभव है. हम लोग उनके अनुभव व तकनीक को काम में लगायेंगे. सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए कोलकाता नगर निगम बिल्डिंग नियम में बदलाव करने की भी योजना बना रहा है. फिलहाल यह योजना केवल उन बहुमंजिली इमारतों के निर्माण पर लागू होगी, जहां रोजाना बिजली की खपत 500 किलो वाट होगी. इस स्थिति में उन इमारतों के डेवलपरों को अनिवार्य रूप से सौर उर्जा का इस्तेमाल करना होगा. श्री कुमार ने कहा कि मामला केवल बिजली के बिल से बचने का नहीं है, बल्कि अपनी सरजमीं व यहां रहने वाले लोगों को खतरनाक कार्बन गैस से भी बचाना है. आने वाला दिन वैकल्पिक उर्जा का है, जिसके लिए अभी से तैयारी करनी होगी.

Next Article

Exit mobile version