नंदीग्राम के भाजपा कार्यकर्ताओं को राहत, एफआइआर की जांच पर रोक

अदालत ने कहा कि दुर्भावना से संबंधित आरोपों के खिलाफ अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार को हलफनामा दायर करने का मौका देने के बाद याचिका पर निर्णय लिया जा सकता है. न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने राज्य को सात दिन में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.

By Prabhat Khabar Print | July 2, 2024 11:24 PM

कोलकाता.

कलकत्ता हाइकोर्ट ने मंगलवार को नंदीग्राम में भाजपा के कुछ कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज 47 एफआइआर में आगे की जांच पर अंतरिम रोक लगा दी. ये एफआइआर तमलुक सीट पर लोकसभा चुनाव से ठीक पहले और चुनाव बाद में दर्ज की गयी थीं. अदालत ने राज्य सरकार से कहा कि वह उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करने में दुर्भावना के आरोप पर अपना जवाब दाखिल करे. यह भी कहा गया कि चूंकि प्राथमिकियों की प्रारंभिक जांच इस समय तक पूरी हो चुकी होगी, क्योंकि ये लगभग एक महीने पहले दर्ज की गयी थीं. इसलिए पुलिस द्वारा मामले में आगे की जांच की आवश्यकता नहीं है. अदालत ने कहा कि दुर्भावना से संबंधित आरोपों के खिलाफ अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार को हलफनामा दायर करने का मौका देने के बाद याचिका पर निर्णय लिया जा सकता है. न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने राज्य को सात दिन में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. अदालत ने याचिकाकर्ताओं (विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी और नौ अन्य) को राज्य सरकार के उत्तर का जवाब देने के एक सप्ताह के भीतर अपना प्रत्युत्तर दाखिल करने का निर्देश दिया गया था. अदालत ने निर्देश दिया कि हलफनामा दाखिल करने के तुरंत बाद मामले को आगे की सुनवाई के लिए उसके समक्ष प्रस्तुत किया जाए. याचिका दायर में दावा किया गया था कि तमलुक लोकसभा क्षेत्र में लोकसभा चुनाव से पहले और चुनाव के बाद केवल 40 दिन की अवधि में पूर्व मेदिनीपुर जिले के नंदीग्राम पुलिस थाने में इन नौ भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ 47 प्राथमिकियां दर्ज की गयी थीं. राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने दावा किया कि याचिकाकर्ताओं के आरोप सही नहीं हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version