दार्जिलिंग में भूस्खलन का कारण बेतरतीबी सडक निर्माण

दार्जिलिंग:पिछले सप्ताह दार्जिलिंग में बेतरतीबी सड़क निर्माण और फिर क्षरण रोकने संबंधी उपायों की अवहेलना के कारण भीषण भूस्खलन हुआ. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान ‘एनआईडीएम’ के प्रोफेसर एवं जियो हैजार्ड्स प्रभाग के प्रमुख चंदन घोष ने यहां प्रेस ट्रस्ट को बताया कि मैदानी इलाकों में सड़क निर्माण और उन्हें चौड़ा करना आसान है लेकिन पहाड़ियों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 6, 2015 12:59 PM

दार्जिलिंग:पिछले सप्ताह दार्जिलिंग में बेतरतीबी सड़क निर्माण और फिर क्षरण रोकने संबंधी उपायों की अवहेलना के कारण भीषण भूस्खलन हुआ.

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान ‘एनआईडीएम’ के प्रोफेसर एवं जियो हैजार्ड्स प्रभाग के प्रमुख चंदन घोष ने यहां प्रेस ट्रस्ट को बताया कि मैदानी इलाकों में सड़क निर्माण और उन्हें चौड़ा करना आसान है लेकिन पहाड़ियों में यह किसी चुनौती से कम नहीं है. उन्होंने कहा कि पहाड़ों में निर्माण के कारण खुली सतह की रक्षा के लिए सहारा देने वाली एक स्थिर प्रणाली की जरुरत होती है.

समुचित दिशानिर्देशों और सहारे के बिना ही बेतरतीबी से बहुत निर्माण कार्य चल रहा है.

घोष का कहना है कि पानी का जमाव भूस्खलन का मुख्य कारण है क्योंकि इसका सीधा प्रवाह अंदर चला जाता है और एकत्र हो जाता है जिससे चट्टान, मलबा और धरती की सतह नीचे की ओर के ढाल में सरकने लगते हैं.

उन्होंने कहा कि बारिश के मौसम में जो 80 से 85 फीसदी भूस्खलन देखते हैं उसे बहने देने की समुचित व्यवस्था होने पर, टाला जा सकता है. इन उपायों पर सड़क निर्माण में लगने वाली राशि का मात्र 2 या 3 फीसदी ही खर्च होगा. जापान जैसे देशों में 80 से 85 फीसदी हिस्सा पहाडी है लेकिन वहां बार बार भूस्खलन नहीं होते.

उनका मानना है कि भूस्खलन अचानक नहीं होता और स्थानीय लोग भी पानी का प्रवाह रुकने और कटान जैसी विसंगतियों देख कर समझ सकते हैं कि उन्हें क्या करना है.

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