कोलकाता/मालदा: दुर्गा पूजा की छुट्टियों के दौरान सरकारी अस्पतालों की लचर व्यवस्था फिर सामने आ गयी है. राज्य के दो जिलों के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी का वहां की परिसेवाओं पर खासा असर पड़ा है.
पिछले तीन दिनों में राज्य के दो जिले बांकुड़ा व मालदा में इलाज के दौरान करीब 35 शिशुओं की मौत हो गयी. बांकुड़ा जिले के बांकुड़ा सम्मिलनी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में पिछले 72 घंटों में 17 शिशुओं की मौत हुई है, जबकि मालदा जिले में पिछले तीन दिनों में 18 बच्चों की मौत हुई. स्थानीय लोगों ने इस मौत के लिए चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाया है, जबकि दोनों ही अस्पतालों के अधीक्षकों ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है.
हासेम ने लिया जायजा
घटना की सूचना मिलते ही शुक्रवार सुबह 11.30 बजे केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अबू हासेम खान चौधरी मालदा अस्पताल पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया. उन्होंने अस्पताल के अधीक्षक से भी मुलाकात की. बाद में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए उन्होंने इस घटना के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया.
सरकार पर बरसे
केंद्रीय मंत्री ने नवजातों की मौत के लिए राज्य सरकार की उदासीनता को जिम्मेदार ठहराया. मंत्री ने कहा कि गर्भवती महिलाएं कुपोषण की शिकार हैं. इस कारण जन्म के समय नवजात का वजन कम व उन्हें सांस की तकलीफ हो रही है.
जांच करवाने का भरोसा
उन्होंने पूछा कि गर्भवती महिलाओं के लिए आइसीडीएस सेंटर के कर्मचारी क्या कर रहे हैं, समझ में नहीं आता. उन्होंने कहा कि इससे पहले भी मालदा मेडिकल कॉलेज में शिशुओं की मौत हो चुकी है. बच्चों की मौत रोकने में राज्य सरकार पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है. शिशुओं के प्रति अस्पताल की सेवा लचर है. उन्होंने पूरे मामले की जांच कर केंद्र सरकार को अवगत कराने का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि अब इन घटनाओं को सहन नहीं किया जायेगा.
अस्पताल प्रबंधन ने दी सफाई
मालदा मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के अधीक्षक एम राशिद ने बताया कि यहां रेफर किये गये सभी शिशुओं की हालत गंभीर थी. उन्हें सांस लेने की समस्या हो रही थी. उनका वजन भी काफी कम था. बीते 24 घंटे में आठ बच्चों की मौत हुई है. यहां रेफर किये गये मामले उत्तर दिनाजपुर, मुर्शिदाबाद और यहां तक कि बिहार व झारखंड से भी थे. वहीं, मालदा मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के उपकुलपति उच्छल भद्र ने कहा कि किस कारणों से शिशुओं की मौत हुई है, इसकी विस्तारित रिपोर्ट स्वास्थ्य भवन में भेज दी गयी है. इस बारे में जो भी कहना है, राज्य स्वास्थ्य विभाग ही कहेगा.