profilePicture

दस के नोट ने बचाया दो लड़कियों को

– रीता दास – – शादि का झांसा देकर सिलीगुड़ी के चकलाघर में 65 हजार में बेचा – इसी दस के नोट से बची कमला – एक बार एक ही ग्राहक से करते थे सौदा : रंगू सौरिया – ग्राहक को कुछ बताने पर पीठ पर बेल्ट और जूतो की होती थी बरसात – चार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 21, 2013 3:36 AM

– रीता दास –

– शादि का झांसा देकर सिलीगुड़ी के चकलाघर में 65 हजार में बेचा

– इसी दस के नोट से बची कमला

एक बार एक ही ग्राहक से करते थे सौदा : रंगू सौरिया

– ग्राहक को कुछ बताने पर पीठ पर बेल्ट और जूतो की होती थी बरसात

चार माह तक नारकीय जीवन भोगा

सिलीगुड़ी : कहते हैं कि जिस्मफरोसी के धंधे में कोई एक बार फंस जाता है, तो निकलना मुश्किल होता है, लेकिन यदि निकलने की जिद्दोजहद हो, तो कोई दीवार दरवाजा उसे रोक नहीं सकते. असम के गौड़पाड़ा जिले की कमला बेगम (काल्पनिक नाम) भी सिलीगुड़ी की रेडलाइट एरिया, के पिली बिल्डिंग में 30 जुलाई से छटपटा रही थी.

उसका तन और मन बागी हो गया था, यहां से निकलने के लिए. वह खुद से नहीं आयी थी. असम में वह एक सभ्य परिवार में काम करती थी, लेकिन प्रभात नामक एक लड़के ने उसे प्रेम जाल में फंसाया. उसने कहा कि सिलीगुड़ी में मेरा व्यवसाय है, तुम रानी बन कर रहोगी.

कमला ने बिना जांचेपरखे परिवार को छोड़ कर प्रभात के साथ सिलीगुड़ी आयी. उसे खालपाड़ा स्थित चकलाघर में रखा गया. बकौल कमला, मुझे पहले नमक खिलाया गया, फिर चीनी, फिर निंबू और उसके बाद मेरा नजर उतारा गया. बाद में मुझे वहीं की लड़कियों ने बताया कि यह चकलाघर है और मुझे 65 हजार में बेचा गया है. मोना और प्रभात से चकलाघर में सब डरता था.

मेरा नाम बदल कर अंजू दास रख दिया गया. एक रात एक आर्मी का जवान मेरा ग्राहक बन कर आया. जब भी कोई ग्राहक आता था, दरवाजे के बाहर मोना और प्रभात कान लगा कर सारी बातें सुनते थे. असम के नाम आते ही, बाद में मुझे पीटा जाता था. एक ग्राहक को दुबारा नहीं भेजा जाता था.

स्वयंसेवी संस्था कंचनजंघा उद्धार केंद्र की रंगू सौरिया ने बताया कि कमला को बचा पाना काफी जोखिम भरा था. कारण इतनी सुरक्षा के बाद वह बाहर नहीं निकल सकती थी और उसकी हालत और संदेश को कोई जान नहीं सकता था. कमला ने एक फेरीवाले को 10 अगस्त को दस का नोट दिया.

जिस पर उसने संक्षिप्त में लिखा सेव मी..मैं असम की हूं..मेरी मां का यह नं. है..मैं रेडलाइट एरिया में बेच दी गयी हूं..मुझे बचाओ.. यह नोट घूमतेघूमते 10 अक्टूबर को कर्सियांग में अंकित तमांग (काल्पनिक नाम) के हाथ में आया. वह डर गया था. उसने उस नंबर पर फोन भी किया. उसने कई स्वयंसेवी संगठन से बातचीत की. बाद में अंकित रंगू के संपर्क में आया.

कैसी बची कमला : सिलीगुड़ी पुलिस प्रशासन और कंचनजंघा उद्धार केंद्र ने 10 अक्टूबर से कमला को बचाने की ठानी. कमला के घर में फोन किया. बाद में 20 अक्तूबर को कमला को इस चकलाघर से मुक्त कराया गया. कमला के साथ असम, नीलबाड़ी जिला की फरजाना बेगम (काल्पनिक नाम) को भी बचाया गया.

उसे ब्यूटीशियन का काम देने के बहाने 15 जुलाई को बेचा गया. कमला इस नरक से मुक्ति से काफी खुश है. असम पुलिस प्रशासन को इसकी सूचना दे दी गयी है. प्रभात और मोना से पुलिस पूछताछ कर रही है. सिलीगुड़ी थाना में दोनों के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज करायी गयी है.

Next Article

Exit mobile version