पूर्व न्यायमूर्ति के खिलाफ आरोप ने लिया राजनीतिक रंग

कोलकाता: उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति व राज्य मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन अशोक गांगुली पर यौन उत्पीड़न के लगे आरोप ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है. एक तरफ राज्य सरकार से जुड़े कुछ संगठन उन पर लगे आरोप को सही बताते हुए उनके पद से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 5, 2013 9:13 AM

कोलकाता: उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति व राज्य मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन अशोक गांगुली पर यौन उत्पीड़न के लगे आरोप ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है. एक तरफ राज्य सरकार से जुड़े कुछ संगठन उन पर लगे आरोप को सही बताते हुए उनके पद से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ विरोधी संगठन इसे साजिश बता रहे हैं. वे राष्ट्रपति व राज्यपाल को पत्र लिखकर न्यायमूर्ति के खिलाफ लगे आरोप को खारिज करने की मांग कर रहे हैं.

हेयर स्ट्रीट थाने में दर्ज करायी शिकायत
न्यायमूर्ति गांगुली के खिलाफ लगे आरोप के बाद उनके इस्तीफे की मांग को लेकर भारत बचाओ संगठन की ओर से हेयर स्ट्रीट थाने में बुधवार शाम को लिखित शिकायत दर्ज करायी गयी. संगठन की तरफ से न्यायमूर्ति के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने का आवेदन किया गया है. संगठन के अध्यक्ष विनीत रुइया ने बताया कि इससे पहले विगत दो दिसंबर को संगठन के सदस्य मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन अशोक गांगुली से मिल कर उनके इस्तीफे की मांग के लिए आयोग के दफ्तर गये थे. लेकिन वह नहीं मिले. उनके इस्तीफे की मांग पर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया था, जिसमें 24 घंटे का समय दिया गया था. इसके बावजूद उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया. उन्होंने बताया कि अंत में कोलकाता पुलिस आयुक्त को ईमेल कर इस मामले की जांच करने का आवेदन किया गया. लेकिन उनके दफ्तर से लिखित शिकायत दर्ज कराने की बात कही गयी. इसके बाद बुधवार शाम को लिखित जनरल डायरी दर्ज करायी गयी.

समर्थकों ने राष्ट्रपति व राज्यपाल को लिखा पत्र
उधर, इस मामले में न्यायमूर्ति के बचाव पक्ष ने मंगलवार को राष्ट्रपति व राज्यपाल को पत्र देकर न्यायमूर्ति पर लगे सभी आरोपों को खारिज करने का आग्रह किया है. एशियन ह्यूमन राइट सोसाइटी के तरफ से क्वाजी सद्दीक हुसैन ने न्यायमूर्ति अशोक गांगुली को निदरेष बताया है. उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति को साजिश के तहत फंसाया गया है. उन्होंने पत्र के जरिये राष्ट्रपति से इस मामले में हस्तक्षेप की बात कही है. पत्र में उन्होंने लिखा है कि अशोक गांगुली शुरुआत से ही जरूरत मंद की मदद करते आये है. अपनी कड़ी मेहनत वाली छवि के कारण उन्होंने आमलोगों के दिलों में जगह बनायी है. ऐसी स्थिति में इस मामले को खारिज कर देना चाहिए.

थाने में दर्ज शिकायत को लेकर संयुक्त पुलिस आयुक्त (मुख्यालय) राजीव मिश्र ने बताया कि जनरल डायरी के आधार पर आरोपों की जांच की जा रही है. जरूरत पड़ने पर एफआइआर दर्ज की जायेगी.

क्या है आरोप
सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत न्यायमूर्ति अशोक कुमार गांगुली पर एक युवा महिला इंटर्न ने यौन शोषण का कथित आरोप लगाया है. न्यायमूर्ति गांगुली वर्तमान में पश्चिम बंगाल राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूडिशियल साइंसेज के मानद प्रोफेसर हैं.

अगर दोषी पाये गये, तो कानून करेगा अपना काम : मीरा कुमार
लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने बुधवार कहा कि यौन उत्पीड़न के मामलों से निपटने के लिए देश में कानून है और अगर आरोपी दोषी पाये जाते हैं, तो कानून अपना काम करेगा. उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अशोक गांगुली के खिलाफ यौन उत्पीड़न के कथित मामले में जब उनसे पूछा गया, तो उन्होंने कहा : ऐसे मामलों से निपटने के लिए देश में कानून है. अगर दोषी पाये जाते हैं, तो आरोपी के खिलाफ कानून अपना काम करेगा. न्यायमूर्ति गांगुली पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष भी हैं. पश्चिम बंगाल विधानसभा के प्लैटिनम जुबली समारोह में हिस्सा लेने के लिए लोकसभा अध्यक्ष महानगर आयी हुई हैं.

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