सेल कर्मियों के वेतन में 16 फीसदी की वृद्धि

सुविधाओं में छह फीसदी की वृद्धि कंपनी पर बढ़ेगा सालाना 1000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ कोलकाता : सार्वजनिक क्षेत्र की इस्पात कंपनी सेल ने अपने 85,000 गैर-कार्यकारी कर्मचारियों के मूल वेतन व महंगाई भत्ते में 16 प्रतिशत की वृद्धि करने का फैसला किया है. साथ ही उन्हें दी जानेवालीं सुविधाओं (पर्क्‍स) में छह फीसदी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 13, 2014 6:42 AM

सुविधाओं में छह फीसदी की वृद्धि

कंपनी पर बढ़ेगा सालाना 1000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ

कोलकाता : सार्वजनिक क्षेत्र की इस्पात कंपनी सेल ने अपने 85,000 गैर-कार्यकारी कर्मचारियों के मूल वेतन व महंगाई भत्ते में 16 प्रतिशत की वृद्धि करने का फैसला किया है.

साथ ही उन्हें दी जानेवालीं सुविधाओं (पर्क्‍स) में छह फीसदी की वृद्धि के लिए कंपनी व यूनियन के प्रतिनिधियों के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किये गये हैं. इससे कंपनी पर सालाना कम से कम 1,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा.

सूत्रों ने बताया कि सेल में हर पांच साल में वेतन वृद्धि की जाती है और वेतन में कितनी वृद्धि की जाये, इस मुद्दे को लेकर प्रबंधन व कंपनी की यूनियनों के शीर्ष निकाय नेशनल ज्वाइंट कमेटी फॉर स्टील के बीच मतभेदों के चलते वेतन वृद्धि का मुद्दा जनवरी, 2012 से लंबित है.

लेकिन इस समस्या का समाधान हो गया है. कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार प्रबंधन और यूनियनों के बीच पिछले महीने हुई बैठक में एक संधि पर सहमति बन गयी है. इस महीने होने वाली अगली बैठक में एक समझौते के रूप में इसे अंतिम शक्ल दी जायेगी. उन्होंने बताया कि पिछली बैठक में प्रबंधन ने यूनियन के प्रतिनिधियों को सूचित किया कि इस्पात उद्योग का मौजूदा परिदृश्य को देखते हुए कंपनी पर्क्‍स व पेंशन में छह-छह प्रतिशत व मूल वेतन और महंगाई भत्ते में 16 प्रतिशत से अधिक वृद्धि वहन करने की स्थिति में नहीं है.

सूत्रों ने बताया कि यूनियन के प्रतिनिधि वेतन में 17-18 प्रतिशत की वृद्धि की मांग कर रहे थे. प्रबंधन ने उन्हें अगली बैठक में सहमत होकर आने को कहा है. उन्होंने कहा कि भले ही यूनियनें प्रबंधन के प्रस्ताव पर सहमत हो जाती हैं, लेकिन इससे प्रति वर्ष सेल पर कम से कम 1,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा. चूंकि वेतन वृद्धि मामला दो साल से लंबित है, तत्काल कंपनी को कर्मियों की बकाया राशि के रूप में 2,100 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान करना पड़ेगा.

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