संवाददाता, हावड़ा.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा हावड़ा नगर निगम ( एचएमसी) व बाली नगरपालिका पर नाराजगी जाहिर करने के बाद अधिकारियों में खलबली मच गयी है. लेकिन शहर में धड़ल्ले से हो रहे अवैध निर्माण को रोकना दोनों प्रशासकों के लिए चुनौती बन गयी है. प्रमोटरों पर लगाम लगाने के लिए हावड़ा नगर निगम और बाली नगरपालिका भरसक कोशिश कर रहे हैं. लेकिन यह कितना कारगर होगा, यह आने वाला समय ही बतायेगा. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 90 के दशक में निगम इलाके में तालाबों की संख्या करीब 480 थी. आज यह संख्या 100 के नीचे आ गयी है. 80 फीसदी तालाबों को प्रमोटरों ने प्रशासनिक अधिकारियों की मदद से पाट दिया.
आरोप है कि बीएलआरओ और निगम अधिकारी की मिलीभगत से प्रमोटर बड़ी आसानी ने तालाब को सामान्य जमीन दिखा रजिस्ट्री करवा लेते हैं और निगम से प्लान पास करा निर्माण कार्य शुरू कर देते हैं. शहर में अवैध निर्माण की भरमार है. सीएम ने भी इस पर आपत्ति जतायी थी. शहर के अधिकतर प्रमोटर जी प्लस टू व थ्री का प्लान लेकर उसके अधिक फ्लोर का निर्माण किये हुए हैं. वर्ष 2018 तक हावड़ा नगर निगम ने जुर्माना वसूल कर अवैध निर्माण को वैध बनाया था.
इस बारे में पूछे जाने पर निगम के प्रशासनिक बोर्ड के चेयरमैन डॉ सुजय चक्रवर्ती ने कहा कि निश्चित तौर पर यह चिंता का विषय है, लेकिन इस रैकेट को तोड़ना जरूरी है, ताकि तालाब को पाट कर निर्माण कार्य नहीं किया जा सके. वहीं, मंत्री अरूप राय ने कहा कि वह शहरी विकास मामलों के मंत्री फिरहाद हकीम से भी नया कानून लाने के लिए कहेंगे. ताकि यदि कोई तालाब पाटता, हो तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सके.
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