27 एकड़ में फैले राजभवन का किराया मात्र 147
कोलकाता: सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, महानगर की आबादी लगभग 45 लाख है. देश के चार बड़े शहरों में से एक कोलकाता में भी अन्य महानगरों की तरह आवास एक बड़ी समस्या है. छोटे से छोटे फ्लैट का मासिक किराया भी हजारों रुपये में होता है. पर, इसी शहर में 27 एकड़ जमीन पर फैले भव्य […]
कोलकाता: सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, महानगर की आबादी लगभग 45 लाख है. देश के चार बड़े शहरों में से एक कोलकाता में भी अन्य महानगरों की तरह आवास एक बड़ी समस्या है.
छोटे से छोटे फ्लैट का मासिक किराया भी हजारों रुपये में होता है. पर, इसी शहर में 27 एकड़ जमीन पर फैले भव्य राजभवन का किराया केवल 147 रुपया है. राजभवन वक्फ की संपत्ति है. अब्दुल मतीन एवं मोहम्मद अयुब इस वक्फ संपत्ति के मोतवल्ली (केयर टेकर) हैं. 1797 ईं में इस संपत्ति को खुदा के नाम पर वक्फ (दान) कर दिया गया था. 84000 वर्ग फीट पर फैले राजभवन का निर्माण कार्य 1799 ई में तत्कालीन गर्वनर जनरल मारक्विस वेलेस्ली ने शुरू कराया था.
18 जनवरी 1803 को इसका निर्माण कार्य पूरा हुआ. इसके निर्माण पर उस समय 630291 पाउंड का खर्च हुआ था. इतना खर्च होने पर वेलेस्ली पर गबन का आरोप भी लगा था और उन्हें वापस इंगलैंड बुला लिया गया था. उस समय इस विशाल व भव्य इमारत को गवर्नमेंट हाउस कहा जाता था. तब कोलकाता ही भारत की राजधानी थी और इसी इमरात से देश पर हुकूमत की जाती थी. वर्ष 1912 में राजधानी के दिल्ली स्थानांतरित होने तक इस इमारत में 23 गवर्नर जनरल व वायसराय रह रहे थे. भारत में अंगरेजों द्वारा तैयार इस पहले औपनिवेशिक इमारत में बंगाल के पहले राज्यपाल के रूप में 15 अगस्त 1947 को चक्रवर्ती राज गोपालाचारी ने कदम रखा था.
तब से राजभवन की शान व शौकत में तो कोई कमी नहीं आयी है, पर जिसकी यह जमीन थी, उसे किराये के नाम पर भीख दी जा रही है. कुछ वर्ष पहले तक तो किराया केवल 66 रुपये था, जिसे बढ़ा कर हास्य जनक रूप से 147 रुपया किया गया. पश्चिम बंगाल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अब्दुल गनी का कहना है कि चूंकि यह मामला राज्यपाल के निवास स्थान का है, इसलिए हम लोग कोई कानूनी कार्रवाई करने से पहले इस मुद्दे पर राज्य सरकार से बात करेंगे. महानगर में केवल राजभवन ही नहीं और भी कई विशालकाय संपत्तियां वक्फ की हैं, जिनके किराये के नाम पर भीख दी जाती है.
उधर, 20 बीघा जमीन से अधिक पर फैले देश का सबसे बड़ा गोल्फ कोर्स रॉयल कलकत्ता गोल्फ कोर्स भी वक्फ की संपत्ति है. प्रिंस अनवर शाह चौराहे पर बनी टीपू सुलतान मसजिद के नाम यह वक्फ संपत्ति है, जिसके किराये के नाम पर भी कुछ सौ रुपये दे दिये जाते थे. जबकि बाजार दर पर इस संपत्ति का किारया करोड़ों में होना चाहिए था. किराये के मुद्दे पर काफी विवाद के बाद आखिरकार गोल्फ कोर्स प्रबंधन ने 5-6 वर्ष पहले एक लाख रुपये मासिक किराया देना मंजूर किया है. यह रकम भी बाजार दर के हिसाब से काफी कम है.
बैंकशाल कोर्ट के सामने बनी बहूमंजिली शॉ वालिस बिल्डिंग भी वक्फ संपत्ति है. जहां बाजार दर के हिसाब से इस इमारत के एक-एक फ्लैट का किराया कई हजार रुपया होना चाहिए था. वहीं इस पूरी इमारत का किराया महज 32000 रुपये था. मामले के तूल पकड़ने पर अब जाकर वक्फ बोर्ड को इसका किराया छह लाख रुपये मिलता है, लेकिन इससे वक्फ बोर्ड संतुष्ट नहीं है.
केवल यही नहीं, पश्चिम बंगाल विधानसभा, आकाशवाणी भवन, इडेन गार्डेस को भी वक्फ की संपत्ति बताया जा रहा है. पश्चिम बंगाल अल्पसंख्यक युवा विकास समिति के महासचिव मो. कमरुज्जमां का कहना है कि महानगर समेत सारे राज्य में वक्फ की जितनी संपत्ति है, अगर उन सभी को बाजार दर से किराया ही मिले तो वक्फ बोर्ड को वार्षिक 800 करोड़ रुपये की आमदनी हो सकती है. फिर हमें किसी सरकारी सहायता की जरूरत नहीं पड़ेगी.