बिना हाथ-पैर के शिशु ने लिया जन्म

मालदा: आज मालदा मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में एक मां ने बिना हाथ-पैर वाले एक कन्या संतान को जन्म दिया. इस नवजात बच्ची की मां का कहना है उनका गरीब परिवार इस बच्ची को बचा नहीं पायेगा. इसलिए बच्ची को अस्पताल में छोड़ जाने के अलावा उनके पास और कोई चारा नहीं है. इस बच्ची […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 16, 2014 7:34 AM

मालदा: आज मालदा मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में एक मां ने बिना हाथ-पैर वाले एक कन्या संतान को जन्म दिया. इस नवजात बच्ची की मां का कहना है उनका गरीब परिवार इस बच्ची को बचा नहीं पायेगा. इसलिए बच्ची को अस्पताल में छोड़ जाने के अलावा उनके पास और कोई चारा नहीं है.

इस बच्ची की खबर पाकर राज्य की समाज कल्याण दफ्तर की मंत्री सावित्री मित्र मेडिकल कॉलेज व अस्पताल पहुंची. मंत्री के साथ चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के चेयरमैन हसान अली शाह, शुभमय बसु, सागर गोस्वामी भी थे. मंत्री सावित्री मित्र ने विकलांग नवजात की मां व उसके परिवार के साथ बातचीत की.

मंत्री द्वारा हरसंभव सहायता का आश्वासन दिये जाने के बाद नवजात के परिवारवाले बच्ची को घर ले जाने में राजी हुए. मालदा मेडिकल कॉलेज व अस्पताल की महिला विशेषज्ञ ने कहा कि 10 लाख में एक शिशु ऐसा होता है. कम उम्र में शादी, कुपोषण व गर्भवती बनने के बाद अनियमों के कारण इस तरह का बच्च जन्म लेता है. इसके अलावा और भी कई कारण हो सकते हैं. जन्म के बाद नवजात को दो दिन न्यूनेटल विभाग में रखा गया. इसके बाद उसे मां के गोद में दिया गया. जन्म के वक्त उसका वजन करीब दो किलो था. नवजात का रोना, शौच बाकी सब स्वाभाविक है.

गाजोल थाना के बाबुपुर ग्राम पंचायत के मासीमपुर गांव के निवासी पेशे से मजदूर सादिकुल इस्लाम की पत्नी तसलिमा बीबी विगत मंगलवार की सुबह प्रसव पीड़ा लेकर अस्पताल में भरती हुई थी. उसी दिन रात को सीजर के जरिये उन्होंने कन्या संतान को जन्म दिया, लेकिन इस नवजात का दो हाथ व दो पैर संपूर्ण नहीं है. सिर से कमड़ तक शरीर है. नवजात की मां का कहना है वह कैसे अपनी बेटी को बचायेंगे, समझ नहीं पा रही हैं. मंत्री सावित्री मित्र ने कहा कि शिशु स्वस्थ्य है.

थोड़ी बड़ी होने पर सरकार की ओर से उसे कृत्रिम हाथ-पैर देने का बंदोबस्त किया जायेगा. चाईल्ड वेलफेयर कमेटी के जिला चेयरमैन हसान अली शाह ने मंत्री सावित्री मित्र की पहल की सराहना की. उन्होंने कहा कि मंत्री की पहल से एक बच्ची अनाथ होने से बच गयी.

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