सोनारपुर के एक निजी अस्पताल पर आठ लाख रुपये का जुर्माना

वेस्ट बंगाल क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट रेगुलेटरी कमीशन ने दक्षिण 24 जिले के सोनारपुर में बैद्यपाड़ा रोड स्थित एक निजी अस्पताल पर आठ लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 12, 2024 1:36 AM
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संवाददाता, कोलकाता.

वेस्ट बंगाल क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट रेगुलेटरी कमीशन ने दक्षिण 24 जिले के सोनारपुर में बैद्यपाड़ा रोड स्थित एक निजी अस्पताल पर आठ लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. जुर्माने की राशि से पांच लाख रुपये मरीज के नाम पर फिक्स डिपॉजिट कराने और शेष तीन राख रुपये को 10 किस्तों में भुगतान किये जाने का निर्देश दिया गया है.

वेस्ट बंगाल क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट रेगुलेटरी कमीशन के चेयरमैन एवं पूर्व जस्टिस असीम कुमार बनर्जी ने यह जानकारी दी है. उन्होंने गुरुवार को बताया कि रीमा घोष (3) की हाथ की हड़्डी की चिकित्सा के लिए सोनारपुर के एटलस हेल्थ प्वाइंट में ले जाया गया. जहां ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ गौरव नस्कर ने बच्ची की सिंथेटिक प्लास्टर किया. शाम 7.30 बजे बच्ची की प्लास्टर की गयी थी. पर प्लास्टर किये जाने के बाद से वह दर्द में थी. रातभर सो नहीं पायी थी. उस रात वह अस्पताल में ही थी.

इस दौरान अस्पताल के दो रेसिडेंट मेडिकल ऑफिसरों ने बच्ची को देखा. इसके बाद दोनों चिकित्सकों ने कई बार डॉ गौरव नस्कर को फोन किया. अस्पताल की ओर से भी डॉ नस्कर को फोन किया गया था, पर डॉ नस्कर के साथ अस्पताल या उक्त दोनों चिकित्सकों की बात नहीं हो सकी थी. प्लास्टर किये जाने के 24 घंटे बाद शाम को 5.30 बजे चिकित्सक अस्पताल पहुंचा और प्लास्टर को काटा. पर तब तक हाथ में गैंगरीन हो गया था. हाथ के कुछ मसल भी नष्ट हो रहे थे. अभिभावक शिशु को अपोलो चेन्नई ले गये. जहां उसकी सर्जरी की गयी. अब बच्ची स्वस्थ है, पर उसके हाथ पूरी तरह से ठीक नहीं हैं. चेयरमैन ने बताया कि सुनवाई के दौरान विशेषज्ञ के तौर एसएसकेएम (पीजी) के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ मुकुल भट्टाचार्य भी थे.

उनकी राय थी कि तीन साल के शिशु का सिंथेटिक सर्जरी करना ही गलत निर्णय था. चेयरमैन एवं पूर्व जस्टिस असीम कुमार बनर्जी ने बताया कि एक तो 24 घंटे के बाद चिकित्सक ने बच्चे की दोबारा चिकित्सा की. वहीं अगर समय रहते ही बच्ची की प्लास्टर काट दी गयी होती तो उसके हाथ के मसल को नुकसान नहीं पहुंचता. श्री बनर्जी ने बताया कि इस मामले में हमें चिकित्सक व अस्पताल दोनों की लापरवाही देखने को मिली है.

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