रक्तदान कर भी जरूरतमंदों की जिंदगी बचाने में जुटा है एक वर्दीधारी जवान

महज कुछ ही वर्षों में अबतक 31 बार रक्तदान कर लोगों की जिंदगी में खुशहाली का एक जरिया बन चुके हैं पुलिसकर्मी बापन दास.

By Prabhat Khabar News Desk | June 14, 2024 1:06 AM

अब तक 31 बार रक्तदान कर की है लोगों की मदद , शहर में खून की आवश्यकता होने पर भेज देते हैं डोनरराष्ट्रपति को पत्र भेजकर आधार कार्ड में ब्लड ग्रुप लिखने की कर चुके हैं मांग विकास कुमार गुप्ता, कोलकाता आम तौर पर पुलिस की वर्दी पहनने के बाद पुलिसकर्मियों का मूल ध्यान समाज में अपराध कम करने एवं अपराधियों को पकड़ने के साथ थानों में लोगों की समस्या से उन्हें मुक्ति दिलाने में केंद्रित होता है. इन सबसे हटकर पुलिस की ड्यूटी को पूरा करने के साथ एक पुलिसकर्मी समाज में रक्तदान के महत्व को बताने के साथ-साथ खुद भी रक्तदान कर लोगों की जिंदगी बचाते आ रहे हैं. हम बात कर रहे हैं कोलकाता पुलिस के स्पेशल ब्रांच (एसबी) में कार्यरत बापन दास की. बापन कोलकाता पुलिस की तरफ से पिछले कई वर्षों से तृणमूल सांसद सौगत राय की सुरक्षा में तैनात हैं. इसके साथ वह महज कुछ ही वर्षों में अबतक 30 से अधिक बार रक्तदान कर लोगों की जिंदगी में खुशहाली का एक जरिया बन चुके हैं. मौजूदा समय में बापन की प्रेरणा से उत्तर बंगाल के विभिन्न इलाकों में 150 से ज्यादा क्लब हर दो-तीन महीने के अंतराल पर रक्तदान का आयोजन करते हैं, ताकि खून के अभाव में किसी की जान न जाये. कोलकाता में बापन दास एक ऐसे ग्रुप का निर्माण किये हैं, जो लोगों को इमरजेंसी (आपातकालीन) स्थिति में डायरेक्ट अस्पतालों में जाकर किसी भी ग्रुप का ब्लड डोनेट करते हैं. इस बेहतरीन सेवा के लिए उन्हें इंडोनेशिया के डॉक्टर एसोसिएशन की ओर से सम्मान भी प्राप्त हो चुका है. खून के अभाव में किसी अपने को खोने से मिली थी प्रेरणा: बापन कहते हैं कि पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज में ट्रेनिंग ले रहा था. उस समय अचानक मेरे परिवार के एक सदस्य की खून न मिलने के कारण जान चली गयी थी. इस घटना से मुझे रक्त की कीमत और इसकी अहमियत का अच्छी तरह एहसास हो गया था. इसके कुछ महीनों बाद ही पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज में ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन किया गया. उस समय मैंने रक्त के महत्व को समझते हुए पहली बार रक्तदान किया. वह मेरे जीवन में खुशी का बेहतरीन पल था. रक्तदान के बाद मुझे लगा कि मेरे द्वारा दिये गये रक्त से किसी की जान बचेगी. इसके बाद पुलिस की नौकरी करने के साथ ही मैंने यह ठान लिया कि अब किसी भी इंसान को रक्त के अभाव में जिंदगी न गंवानी पड़े, इसके लिए हर संभव प्रयास करूंगा. इसके बाद से रक्तदान के लिए शहर से लेकर जिलों तक लोगों को मैंने जागरूक करना शुरू कर दिया.ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को रक्तदान का महत्व बताकर लगवाने लगा ब्लड डोनेशन कैंप बापन दास कहते हैं कि कोलकाता महानगर में कई ऐसी संस्थाएं हैं, जो रक्तदान के महत्व को समझकर आये दिन रक्तदान का शिविर लगाती हैं. लेकिन ग्रामीणों में इसे लेकर जागरूकता का अभाव है. इसके बाद पुलिस की ड्यूटी करने के साथ-साथ उत्तर बंगाल के विभिन्न जिलों में जाकर क्लब के सदस्यों से संपर्क कर उन्हें रक्तदान के बारे में बताने लगा. समय के साथ-साथ मेरे इस प्रयास का लोगों में असर होता गया. आज उत्तर बंगाल के विभिन्न जिलों के अधिकतर इलाकों में स्थित 150 से ज्यादा क्लब रक्तदान के महत्व को समझकर हर दो से तीन महीने के अंतराल पर रक्तदान करते रहते हैं. मोबाइल में सिर्फ नाम ही नहीं, कांटैक्ट पर्सन का ब्लड ग्रुप भी कर लेते हैं सेव बापन दास कहते हैं, रक्तदान से प्रेरित होकर कुछ लोग मुझसे जुड़े हैं. जो एक ग्रुप के जरिये इस सेवाकार्य को मेरे साथ करते रहते हैं. मैं अपने मोबाइल फोन में मेरे ग्रुप के सदस्यों के अलावा हर संपर्क में रहनेवाले लोगों का पहले ब्लड ग्रुप फिर उनका नाम सेव करता हूं, ताकि किसी भी व्यक्ति को जिस ब्लड ग्रुप के रक्त की आवश्यकता हो. जिससे मुझे मेरे मोबाइल में वह ग्रुप टाइप करने पर तुरंत वैसे ग्रुप वाले लोगों का नाम सामने आ जाये. शहरों में इसी तरह से मैं इमरजेंसी सर्विस के जरिये लोगों की सेवा करता हूं. किसी भी व्यक्ति को या उनके परिवार के किसी भी सदस्य के लिए किसी भी ब्लड ग्रुप के रक्त की आवश्यकता होने पर मैं अपने साथ जुड़े ग्रुप के सदस्यों को जरूरतमंद द्वारा कहे अस्पताल में भेज देता हूं. कभी-कभी खुद भी चला जाता हूं. इसके बाद जिस अस्पताल में वह भर्ती हैं, वहां जाकर डायरेक्ट ब्लड डोनेट कर लोगों की सेवा कर सुकून के पल को महसूस करता हूं. रक्तदान दिवस पर लोगों से मेरा आग्रह है कि आप भी बढ़-चढ़ कर रक्तदान करें और अन्य को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें, जिससे जरूरतमंदों को रक्त के अभाव से भटकना न पड़े. रक्त के अभाव में किसी की असमय जान न जाये.

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