आधार कार्ड नागरिकता और निवास का प्रमाण नहीं

हाइकोर्ट में यूआइडीएआइ ने दी जानकारी

By Prabhat Khabar News Desk | July 6, 2024 1:59 AM

कोलकाता. भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में आधार (नामांकन और अद्यतन) अधिनियम के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि आधार संख्या होना नागरिकता या निवास का प्रमाण नहीं है. वरिष्ठ वकील लक्ष्मी गुप्ता ने कहा कि देश में लक्षित सरकारी सब्सिडी के उद्देश्य से 182 दिनों तक रहने वाले निवासियों को आधार कार्ड जारी किया जाता है. लक्ष्मी गुप्ता एनआरसी के खिलाफ संयुक्त मंच द्वारा आधार अधिनियम, 2023 के विनियमन 28ए को रद्द करने की प्रार्थना का विरोध करने के क्रम में अपनी दलील पेश कर रहे थे. कलकत्ता हाइकोर्ट में यह मामला विशेष रूप से विदेशी नागरिकों से संबंधित चल रहा है. लक्ष्मी गुप्ता ने कहा कि यूआइडीएआइ देश में लंबे समय तक रहने वाले किसी विदेशी नागरिक के आधार कार्ड को उसके वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद निष्क्रिय कर सकता है. एनआरसी के खिलाफ संयुक्त मंच ने मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें बंगाल में आधार कार्ड को निष्क्रिय करने पर भ्रम की ओर इशारा किया गया था. फोरम की वकील झूमा सेन ने कहा था कि केंद्रीय मंत्रियों के बयानों में भ्रम और विरोधाभास है. इस मुद्दे पर सीएमओ से एक पत्र पीएमओ को भेजा गया है और बंगाल से राज्यसभा के एक सदस्य ने भी केंद्र सरकार के सामने मामला उठाया है. यूआइडीएआइ के वकील ने तर्क दिया कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि यह उन लोगों के लिए याचिका दायर करती है, जो भारत के नागरिक नहीं हैं. गुप्ता ने कहा कि पासपोर्ट अधिकारियों या विदेशी अधिनियम को नियंत्रित करने वाले अधिकारियों से इनपुट मिलने पर यूआइडीएआइ विनियमन 29 के तहत व्यक्तियों के दस्तावेजों की जांच कर सकता है. झूमा सेन ने अदालत के समक्ष नियमन 28ए को रद्द करने की प्रार्थना की. यह पिछले दरवाजे वाली एनआरसी है. गौरतलब है कि इससे पहले उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने आधार कार्ड को ऐसे ही निष्क्रिय करने पर रोक लगा दी थी. एएसजी अशोक कुमार चक्रवर्ती ने दलील दी कि जनहित याचिका इस आधार पर सुनवाई योग्य नहीं है कि याचिकाकर्ता ने आधार अधिनियम की धारा 54 को चुनौती नहीं दी है. चक्रवर्ती ने यह भी सवाल किया कि क्या कोई याचिकाकर्ता किसी देश की संप्रभुता को चुनौती दे सकता है. मुख्य न्यायाधीश ने एक हालिया मामले का हवाला दिया, जहां बालीगंज में रहने वाले और आधार कार्ड और आइटी रिटर्न दाखिल करने वाले एक विदेशी नागरिक ने बंगाल में 11 संपत्तियां हासिल कीं. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को तय की है.

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