एक अगस्त से बगैर रजिस्ट्रेशन और लाइसेंसवाले तीन पहिया वाहनों पर शुरू होगी कार्रवाई

एडीपीसी में ऑटो, टोटो और ई-रिक्शा पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी में जुटी पुलिस, कहा डीसीपी ट्रैफिक ने

By Prabhat Khabar News Desk | July 8, 2024 12:58 AM

आसनसोल. आसनसोल दुर्गापुर पुलिस कमिश्नरेट (एडीपीसी) इलाके में अवैध रूप से तीन पहिया वाहनों के परिचालन पर अंकुश लगाने की तैयारी में पुलिस प्रशासन जुट गयी है. एक अगस्त से बिना रजिस्ट्रेशन और ड्राइविंग लाइसेंस के तीन पहिया वाहनों पर परिचालन पर कानूनी कार्रवाई शुरू होगी. पुलिस उपायुक्त (ट्रैफिक) पीबीजी सतीश ने कहा कि ई-रिक्शा निर्माण करनेवाली 68 कंपनियों के उत्पादों को परिवहन विभाग की अनुमति मिली है. इसके अलावा अन्य सभी कंपनियों के ई-रिक्शा अवैध हैं. जिन 68 कंपनियों के ई-रिक्शा सड़कों पर दौड़ रहे हैं, सभी का रजिस्ट्रेशन और चालक का ड्राइविंग लाइसेंस होना अनिवार्य है. अवैध ई-रिक्शा और बिना कागजात के ई-रिक्शा दोनों के खिलाफ कार्रवाई शुरू होगी. इसके साथ ही वैध सारे तीन पहिया वाहनों को अपने निर्धारित रूट पर ही चलना होगा. बिना रूट के चलने पर पकड़े जाने पर कार्रवाई होगी. पुलिस की इस तैयारी की झलकियां मिलते ही रविवार को आसनसोल बीएनआर मोड़ के समक्ष टोटो चालक एकजुट होकर आंदोलन पर उतर गये और राज्य के कानून व श्रम मंत्री मलय घटक से मिलने उनके कुछ प्रतिनिधि आये. मंत्री श्री घटक ने उनकी समस्याओं से अवगत होने के लिए आइएनटीटीयूसी नेता व आसनसोल सबडिवीजन मोटर ट्रांसपोर्ट यूनियन के संयोजक राजू अहलूवालिया को आंदोलकारियों के पास भेजा. श्री अहलूवालिया ने आंदोलकारियों की समस्या सुनी और मंत्री श्री घटक को इससे अवगत कराया. उन्होंने बताया कि समस्या सुनने के बाद श्री घटक ने कहा कि जल्द ही इस मुद्दे पर पुलिस और प्रशासन के साथ एक बैठक की जायेगी. किसी को बेरोजगार नहीं होने दिया जायेगा.

गौरतलब है कि एडीपीसी इलाके में ई-रिक्शा की बाढ़ आ गयी है. 23 फरवरी 2016 को आसनसोल महकमा क्षेत्र के नगर निगम इलाके में राज्य सरकार ने 1870 ऑटो चलने की मंजूरी दी थी. जिसे लेकर जिला परिवहन विभाग की ओर से ऑफर लेटर जारी किया गया. जिसमें से सिर्फ 531 लोगों को ही ऑफर लेटर मिला. जिसके आधार पर उन्होंने ऑटो लिया. उस समय 72 रूट निर्धारित किये गये थे. जिन सड़कों पर बसें नहीं चलती हैं, उन्हीं सड़कों पर ऑटों का रूट बनाया गया था. 1870 ऑटो के ऑफर लेटर के मामले का निष्पादन अबतक नहीं हुआ है. इस बीच ई-रिक्शा और टोटो बाजार में आ गये और इसकी बिक्री धड़ल्ले से होने लगी. जिस आसनसोल महकमा के नगर निगम इलाके में 1870 ऑटो के चलने की अनुमति मिली थी, वहां फिलहाल 10 हजार से अधिक तीन पहिया वाहन दौड़ रहे हैं. इससे शहर की गति धीमी पड़ गयी है. जाम की समस्या काफी बढ़ी है. बस रूट पर तीन पहिया वाहनों के चलने से बस मालिक नियमित आंदोलन करते रहते हैं. कई रूटों पर बसें बंद हो गयी हैं.

जीटी रोड पर गिरजा मोड़ से आश्रम मोड़ तक तीन पहिया वाहनों पर रोक

कुछ माह पूर्व जीटी रोड पर आसनसोल गिरजा मोड़ से आश्रम मोड़ के बीच तीन पहिया वाहनों के चलने पर पुलिस ने रोक लगायी थी. जिसे लेकर तीन पहिया वाहन चालकों ने आंदोलन किया और शहर को ठप कर दिया था. भारी पुलिस बल का प्रयोग करके स्थिति सामान्य हुई. कुछ दिनों बाद स्थिति पहले से भी अधिक खराब हो गयी. पुलिस भी पीछे हट गयी. पुनः इसपर अंकुश लगाने की दिशा में पहल शुरू हुई है.

एक अगस्त से शुरू होगी धरपकड़ पुलिस ने दिये साफ संकेत

पुलिस उपायुक्त (ट्रैफिक) श्री सतीश ने कहा कि परिवहन विभाग द्वारा मान्यताप्राप्त जो भी ई-रिक्शा बाजार में बिक रहे हैं, सभी का रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. तीन पहिया वाहन चालकों को ड्राइविंग लाइसेंस बनाना होगा. एक आदमी के नाम पर सिर्फ एक ही वाहन रजिस्ट्रेशन होगा. ई-रिक्शा के लिए भी परिवहन विभाग से रूट दिया जायेगा. बिना रूट के कोई अपना वाहन सड़कों पर यदि दौड़ाता है तो उसपर कानूनी कार्रवाई की जायेगी.

रोजगार के चक्कर में लाखों रुपये लगाकर फंस गये बेरोजगार युवक-युवती

आइएनटीटीयूसी नेता श्री अहलूवालिया ने बताया कि वर्ष 2017 से टोटो बेचनेवाले शोरूम मालिकों ने युवाओं को रोजगार का एक बेहतर विकल्प देने का झांसा देकर करोड़ों का मुनाफा कमाया. अब बेरोजगार पुलिस और प्रशासन के जाल में फंस गये हैं. कौन सी कंपनी का ई-रिक्शा वैध या कौन सा अवैध है? इसकी जानकारी परिवहन विभाग या पुलिस महकमे के अच्छे से अच्छे अधिकारियों को भी नहीं पता है. बाजार में खुलेआम अवैध ई-रिक्शा की बिक्री हो रही है, उसपर कोई कार्रवाई नहीं है. अपना सबकुछ बेचकर ई-रिक्शा खरीदनेवालों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई कर रही है. 1870 ऑटोचालकों को आजतक ऑफर लेटर देने का कार्य पूरा नहीं हुआ, नये रूप से हजारों ई-रिक्शा को कौन से रूट में चलने की अनुमति दी जायेगी. काफी लंबे समय तक चले बहस के बाद पुलिस, प्रशासन, यूनियन नेता, बस मालिकों ने एक साथ बैठक करके ही 1870 ऑटो के लिए रूट निर्धारण का काम पूरा किया था. नये सिरे से रूट देने के लिए भी आपसी सहमति जरूरी है. बिना किसी ऑफर लेटर के वैध 64 कंपनियां अपना ई-रिक्शा बेचते जा रही हैं. जब इन वाहनों का कॉमर्शियल रजिस्ट्रेशन होगा उस समय तो रूट देना होगा. यह रूट कौन तय करेगा? कई उलझने हैं, जिसका समाधान करना होगा. बिना ऑफर लेटर के ई-रिक्शा बिकता रहा तो शहर में लोग कम और ई-रिक्शा की संख्या ज्यादा हो जायेगी.

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