22.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

राज्य में केंद्रीय बलों की तैनाती की अवधि बढ़ाने पर केंद्र को आपत्ति नहीं

मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान, केंद्रीय गृह मंत्रालय का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अशोक चक्रवर्ती ने न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया कि यदि स्थिति की मांग होती है, तो राज्य में केंद्रीय बलों की तैनाती बढ़ाये जाने पर उसे कोई आपत्ति नहीं है.

कोलकाता.

राज्य में लोकसभा चुनाव बाद हिंसा की घटनाओं के मद्देनजर चुनाव आयोग ने पहले 19 जून तक यहां केंद्रीय सुरक्षा बलों को तैनात करने का निर्देश दिया था. चुनाव बाद हिंसा की घटनाओं को लेकर हाइकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी और न्यायाधीश हरीश टंडन व न्यायाधीश हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने 21 जून तक यहां केंद्रीय बलों को तैनात करने का निर्देश दिया था.

मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कलकत्ता हाइकोर्ट को सूचित किया कि राज्य में अभी भी कई हिस्सों से हिंसा की खबरें सामने आ रही हैं. यदि राज्य में चुनाव के बाद हुई हिंसा के आरोपों के मद्देनजर स्थिति की मांग है, तो पश्चिम बंगाल में केंद्रीय बलों की तैनाती की समय-सीमा बढ़ाये जाने पर केंद्र सरकार को कोई आपत्ति नहीं है. इसके बाद ही हाइकोर्ट ने केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया कि वे याचिकाकर्ताओं द्वारा लगाये गये चुनाव के बाद हुई हिंसा के आरोपों के बाद स्थिति का आकलन करें और 21 जून को अगली सुनवाई पर इनसे संबंधित सभी प्रासंगिक तथ्यों का खुलासा करते हुए रिपोर्ट पेश करें. उसके बाद ही अदालत फैसला लेगी कि यहां केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती की समय-सीमा बढ़ायी जायेगी या नहीं.

मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान, केंद्रीय गृह मंत्रालय का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अशोक चक्रवर्ती ने न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया कि यदि स्थिति की मांग होती है, तो राज्य में केंद्रीय बलों की तैनाती बढ़ाये जाने पर उसे कोई आपत्ति नहीं है.

वहीं, दो जनहित याचिकाओं में याचिकाकर्ताओं में से एक, विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के वकील ने प्रस्तुत किया कि पश्चिम बंगाल सरकार की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 12 जून तक कुल 107 एफआइआर दर्ज की गयी हैं और इनमें से 18 चुनाव के बाद हुई हिंसा से संबंधित नहीं हैं. उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार की रिपोर्ट से ही स्पष्ट है कि राज्य में वास्तव में चुनाव बाद हिंसा हो रही है.

स्कूलों में केंद्रीय बलों के रहने की व्यवस्था पर राज्य ने पेश की रिपोर्ट

गौरतलब है कि आयोग व उसके बाद हाइकोर्ट के निर्देश पर भी केंद्रीय बल के जवान विभिन्न क्षेत्रों में तैनात हैं और उनको यहां के स्कूलों में रखा गया है. इसे लेकर हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी थी. मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने इसे लेकर रिपोर्ट पेश की है, जिसमें बताया गया है कि राज्य के 95 स्कूलों में अभी भी केंद्रीय बल हैं. उन्हें स्थानांतरित करना कठिन है. लेकिन न्यायमूर्ति हरीश टंडन ने कहा कि केंद्रीय बलों के लिए आपको वैकल्पिक स्थान ढूंढे जाने चाहिए, क्योंकि शिक्षा को सबसे पहले प्राथमिकता देनी होगी.

वहीं, केंद्र सरकार के वकील के मुताबिक, राज्य के 125 स्कूलों और 107 कॉलेजों में केंद्रीय बल मौजूद हैं. मंगलवार को याचिकाकर्ता ने अदालत में मांग की है कि इन केंद्रीय बलों को बैरक में स्थानांतरित किया जाना चाहिए. वहीं, राज्य सरकार ने कहा कि दूरदराज के इलाकों में स्कूलों के बिना वैकल्पिक स्थान ढूंढ़ना मुश्किल है. उन क्षेत्रों से सेनाएं हटायी जा सकती हैं, जहां चुनाव के बाद हिंसा की कोई घटना सामने आयी है. वहीं, अदालत ने कहा कि चरण दर चरण केंद्रीय बलों को यहां से हटाया जा सकता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें