नियुक्तियां रद्द करने के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर तीन मई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
हाइकोर्ट ने एसएससी के माध्यम से 25,753 शिक्षकों व गैर-शिक्षण कर्मियों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया है
हाइकोर्ट ने एसएससी के माध्यम से 25,753 शिक्षकों व गैर-शिक्षण कर्मियों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया है राज्य सरकार, माध्यमिक शिक्षा पर्षद व स्कूल सर्विस कमीशन ने सर्वोच्च अदालत का किया रुख कोलकाता. राज्य सरकार ने राज्य के स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) द्वारा नियुक्त 25,753 शिक्षकों एवं गैर-शिक्षण कर्मियों की नियुक्तियों को रद्द करने के कलकत्ता हाइकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को चुनौती दी है, जिस पर तीन मई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने की संभावना है. जानकारी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में मामले को सुनवाई के लिए तीन मई को सूचीबद्ध किया गया है, हालांकि मामले की सुनवाई किस बेंच में होगी, यह अभी तक तय नहीं हुआ है. गौरतलब है कि कलकत्ता हाइकोर्ट की विशेष बेंच के आदेश को पश्चिम बंगाल सरकार व राज्य के शिक्षा विभाग की अधीनस्थ स्कूल सर्विस कमीशन (एसएससी) व माध्यमिक शिक्षा पर्षद ने सर्वोच्च अदालत में अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं. गौरतलब है कि कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश देवांशु बसाक व न्यायाधीश मोहम्मद शब्बर रशीदी की विशेष खंडपीठ ने 25,753 शिक्षकों एवं गैर-शिक्षण कर्मियों की नियुक्ति को अवैध ठहराया है. हाइकोर्ट ने सभी अभ्यर्थियों को वेतन के रूप में अब तक मिली राशि को 12 प्रतिशत ब्याज के साथ एक महीने के अंदर लौटाने का आदेश दिया है. वहीं, राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी अपील में कहा कि हाइकोर्ट ने ‘मनमाने ढंग‘ से नियुक्तियों को रद्द कर दिया. राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा कि पूरा पैनल रद्द होने से योग्य अभ्यर्थियों की नौकरी पर सवाल खड़ा हो गया है. योग्य शिक्षकों और शिक्षाकर्मियों की नौकरी क्यों जानी चाहिए.
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