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सोनपुर बाजारी क्षेत्र में एंबुलेंस की कमी से सहायक प्रबंधक की मौत का आरोप

कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनी इसीएल के सोनपुर बाजारी में सोमवार को दिल का दौरा पड़ने से सहायक प्रबंधक रसीक बाघमारे की मौत हो गई, बताया जाता है कि समय पर एडवांस लाइफ स्पोर्ट एंबुलेंस नही मिला. जो भी एंबुलेंस था वह साधारणथा जिसमें जिसमे ना ही ऑक्सीजन की व्यवस्था थी और ना ही कोई जीवन रक्षक प्रणाली मौजूद थी.

अंडाल.

कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनी इसीएल के सोनपुर बाजारी में सोमवार को दिल का दौरा पड़ने से सहायक प्रबंधक रसीक बाघमारे की मौत हो गई, बताया जाता है कि समय पर एडवांस लाइफ स्पोर्ट एंबुलेंस नही मिला. जो भी एंबुलेंस था वह साधारणथा जिसमें जिसमे ना ही ऑक्सीजन की व्यवस्था थी और ना ही कोई जीवन रक्षक प्रणाली मौजूद थी. एंबुलेंस में जीवन रक्षक प्रणाली की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इसीएल में 2020-21 में 22 दिसंबर को तत्कालीन कार्मिक निदेशक विनय रंजन ने सात एडवांस लाइफ स्पोर्ट (एएलएस) एंबुलेंस शुरु किया था, लेकिन कहा जा सकता है कि इसीएल ने अपने श्रमिकों को जिस एएलएस एंबुलेंस का सपना दिखाया था वह कुछ ही दिनों के लिए था. एंबुलेंस सेवा बंद होने से सपना भी चूर-चूर हो गया. इस एंबुलेंस का संचालन एक एनजीओ रुद्रा इंटरप्राइजेज तथा आरकेएचआइवी की देखरेख में चल रहा था.

यह समूचे इसीएल के राजमहल क्षेत्र, एसपी मांइस चित्रा, केंदा क्षेत्र और काजोरा क्षेत्र का कवरेज करता था, झांझरा क्षेत्र, बंकोला क्षेत्र, उखड़ा रीजनल वर्क सोप और पांडवेश्वर क्षेत्र के लिए एक एंबुलेंस था. वहीं कनुस्तोड़िया और सोनपुर बाजारी क्षेत्र के लिए एक एंबुलेंस तथा इसीएल मुख्यालय और सीतारामपुर माइंस रेस्क्यू स्टेशन के लिए भी एक एएलएस एंबुलेंस मौजूद था. वहीं सेंट्रल अस्पताल कल्ला के लिए भी एक एंबुलेंस था. इसके अलावा सोदपुर वर्कशॉप को भी इसकी सेवा मिली थी.

श्रमिकों को इसका सीधा लाभ मिलता था. शुरुआत में इस एंबुलेंस की इतनी मांग बढ़ी कि इससे कोरोना जैसी बीमारी में हजारों श्रमिकों की जान बचायी गयी थी, इस एएलएस एंबुलेंस का शुभारंभ झांझरा क्षेत्र में तत्कालीन इसीएल के कार्मिक निदेशक विनय रंजन ने किया था. तब ऑल जेसीसी सदस्यों के सामने श्री रंजन ने कहा था कि एएलएस एंबुलेंस अभी तीन वर्षों के लिए शुरु की जा रही है. इसकी जरूरत को देखते हुए इसे और समय के लिए बढ़ाया जायेगा. उसके बाद जरूरत पड़ती है तो दोबारा और तीन वर्षों के लिए टेंडर किया जायेगा. लेकिन इतनी डिमांड के बाद भी एएलएस एंबुलेंस पिछले एक साल से बंद है. इस एंबुलेंस के बंद हो जाने से इसीएल के श्रमिकों, अधिकारियों और जेसीसी सदस्यों को भारी परेशानी उठानी पड रही है.

किसी श्रमिक की आपात बीमारी या फिर खदान में किसी तरह की घटना घटने पर एएलएस एंबुलेंस की आवश्यकता पडती है. इसके अलावा इस एंबुलेंस में जो सुविधा उपलब्ध है वह आपात स्थिति में बहुत काम में आती है. इसके अंदर जीवनरक्षा का कमोबेश हर जरूरी सामान मौजूद है जो किसी मरीज को चाहिए. जब से एएलएस एंबुलेंस बंद हुआ है तब से इसमें काम करने वाले टेक्निकल स्टाफ, इसके चालक का बकाया है. यहां तक कि इस एंबुलेंस के मालिक की किश्त भी पूरी नहीं हुई है. लेकिन जरूरत को देखते हुए इस एंबुलेंस को फिर से शुरू करने की मांग की जा रही है.

पहले भी इस एंबुलेंस की सेवा शुरू करने की उठी थी मांग

इस संबंध में कल्ला अस्पताल के सीएमओ आइसी पार्थ सारथी मन्ना का कहना है कि इस जीवन रक्षक एंबुलेंस की बढ़ती मांग को देखते हुए इसीएल में दो दो बार नोटिस भेजा गया ताकि बंद होने से पहले इसे मान्यता मिल जाये. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और तीन वर्ष पूरा होने के बाद यह सेवा बंद हो गयी. बंद के बाद भी इसे दोबारा शुरू करने के लिए नोटिस भेजा गया लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया.

इस संबंध में कारपोरेट जेबीसीसीआइ के सदस्य एसके पांडे ने भी इसीएल से जेबीसीसीआइ की बैठक में इस एंबुलेंस को चालू करने की मांग की थी.

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