संदेशखाली का एक और वीडियो हुआ वायरल

उत्तर 24 परगना के संदेशखाली का एक और वीडियो वायरल हुआ है. इसमें बशीरहाट से भाजपा प्रत्याशी रेखा पात्रा सहित मंपी दास नामक एक अन्य महिला राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करने वाली पीड़ित महिलाओं की पहचान पर सवाल उठाती दिख रही हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | May 9, 2024 10:17 PM

बशीरहाट. उत्तर 24 परगना के संदेशखाली का एक और वीडियो वायरल हुआ है. इसमें बशीरहाट से भाजपा प्रत्याशी रेखा पात्रा सहित मंपी दास नामक एक अन्य महिला राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करने वाली पीड़ित महिलाओं की पहचान पर सवाल उठाती दिख रही हैं. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह वीडियो कब और कहां का है. प्रभात खबर इस वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं करता. उक्त वीडियो में रेखा पात्रा के पास में खड़ी मंपी दास यह कहती दिख रही हैं कि संदेशखाली की कुछ पीड़ितों को राष्ट्रपति के पास ले जाया गया है, तो हमलोग कौन हैं? एक अन्य महिला बोल रही है कि हमलोग संदेशखाली की मुख्य पीड़िता एवं आंदोलनकारी हैं. हम प्रधानमंत्री से मिलने गये थे. फिर हमें छोड़कर और बिना बताये राष्ट्रपति के पास कौन लोग गये? रेखा पात्रा भी कहती दिख रही हैं कि हम पीड़िताएं संदेशखाली में पड़ी हैं. इसलिए हमें यह जानने की जरूरत है कि राष्ट्रपति भवन में हमारा चेहरा बनकर कौन गया. हम पीड़ित हैं, आंदोलन का मुख्य चेहरा हैं. फिर राष्ट्रपति के पास किसे पीड़िता बताकर ले जाया गया. वीडियो में दावा किया गया कि उन पीड़ितों को दिल्ली ले जाने में भाजपा नेता अनूप दास का हाथ है. मंपी नामक महिला वीडियो में आरोप लगा रही है कि अनूप, शेख शाहजहां के करीबी शिवप्रसाद हाजरा उर्फ शिबू से हर महीने 10,000 रुपये लिया करता था. मंपी आगे कहती है कि उन्हें खबर मिली है कि अनूप दास ही उन लोगों ले गया है.

इस नये वीडियो पर प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि जिस अनूप दास की बात हो रही है, वह उन्हें जानते हैं. वह लंबे समय से भाजपा के कार्यकर्ता हैं. उन्होंने यह भी दावा किया कि संदेशखाली के आंदोलन में कोई राजनीतिक दल नहीं था. जिन्होंने (वीडियो में) यह भाषण दिया, वे इस आंदोलन में नये लोग हैं. रेखा पात्रा भी नयी हैं. बर्दवान-दुर्गापुर से भाजपा प्रत्याशी दिलीप घोष ने कहा कि कौन जानता है कि जिन्हें आगे लाया गया है, वे ही पीड़िता हैं? जो लोग अपना मुंह नहीं खोलते, क्या वे पीड़िता नहीं हैं? उन्होंने यहां अपना मुंह नहीं खोला, राष्ट्रपति के सामने खोला. संदेशखाली में जगह-जगह पीड़िता हैं. वहीं, तृणमूल प्रवक्ता शांतनु सेन ने कहा कि संदेशखाली की पटकथा राज्य सरकार और तृणमूल को बदनाम करने के लिए लिखी गयी थी. भाजपा ने वोट हासिल करने के लिए नारी अस्मिता का इस्तेमाल किया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version