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जादवपुर विश्वविद्यालय में शीघ्र बनेगा एंटी रैगिंग प्रकोष्ठ

शिक्षकों को हॉस्टल वार्डन के रूप में किया जायेगा नियुक्त

कोलकाता. जादवपुर विश्वविद्यालय में शीघ्र ही एंटी रैगिंग प्रकोष्ठ बनाया जायेगा. एक्जीक्यूटिव काउंसिल (इसी) ने हाल की बैठक में सेल गठन के लिए कुलपति को अधिकृत किया है. शिक्षकों को हॉस्टल वार्डन के रूप में नियुक्त करने का निर्णय लिया गया है. वार्डन को प्रति माह 6,000 रुपये का भत्ता दिया जायेगा. बता दें कि यूजीसी की चार सदस्यीय टीम ने एंटी रैगिंग सेल नहीं होने पर यूनिवर्सिटी की आलोचना की थी. विश्वविद्यालय के मुख्य छात्रावास में कथित तौर पर रैगिंग के कारण स्नातक प्रथम वर्ष के एक छात्र की मौत के बाद टीम ने पिछले साल सितंबर में जेयू का दौरा किया था. यूजीसी ने जनवरी में जेयू को लिखा था कि शिक्षकों को छात्रावास के प्रशासन की जिम्मेदारी दी जाए और इस काम के लिए उचित पारिश्रमिक भी उन्हें मिले. नियामक संस्था का मानना है कि कम वेतन पाने वाले संविदा छात्रावास अधीक्षक रैगिंग की घटनाएं रोकने में सक्षम नहीं हैं. कार्यकारी परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि कुलपति को यूजीसी विनियमन के अनुसार, सेल के निदेशक के रूप में शिक्षकों में से एक के साथ एक एंटी रैगिंग मॉनिटरिंग सेल का गठन करने को अधिकृत किया जायेगा. उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग के खतरे को रोकने के लिए 2009 के यूजीसी विनियमन में कहा गया है: अगर संस्थान एक संबद्ध विश्वविद्यालय है, तो उसके पास रैगिंग पर एक निगरानी कक्ष होगा, जो गतिविधियों के संबंध में ऐसे संस्थानों के प्रमुखों से रिपोर्ट मांगकर उससे संबद्ध संस्थानों के साथ समन्वय करेगा. रैगिंग विरोधी समितियों, दस्तों और परामर्श कक्षों का भी परामर्श लिया जायेगा. जेयू के एक अधिकारी ने बताया कि नये सिरे से मॉनिटरिंग सेल गठित किया जायेगा. इसके साथ ही हॉस्टलों में एंटी-रैगिंग स्क्वाड द्वारा औचक निरीक्षण किया जायेग. छात्रावास वार्डन के रूप में शिक्षकों को नियुक्त करने के छात्र डीन के प्रस्ताव को भी सहमति दी गयी है. पूर्णकालिक छात्रावास अधीक्षक अपना कार्य करते रहेंगे. परिषद ने यह भी निर्णय लिया कि विश्वविद्यालय परिसर के पांच किमी के भीतर रहने वाले शिक्षकों को वार्डन के रूप में रखने के लिए विचार किया जायेगा.

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