संवाददाता, कोलकाता
मवेशी तस्करी के मामले में बीरभूम के तृणमूल कांग्रेस नेता अनुब्रत मंडल को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गयी. यह जमानत मवेशी तस्करी की जांच कर रहे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) के मामले में मिली है. न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति एससी शर्मा की पीठ ने मंडल को इस आधार पर राहत दी कि मामले की सुनवाई में समय लगेगा और वह करीब दो सालों से जेल में हैं. शीर्ष अदालत ने मंडल को जांच में सहयोग करने और पासपोर्ट जमा कराने का निर्देश दिया. मंडल को जमानत मिलने के बावजूद तिहाड़ जेल में ही न्यायिक हिरासत की अवधि काटनी होगी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट से उन्हें राहत सीबीआइ के मामले में मिली है. मवेशी तस्करी मामले में धनशोधन पहलू की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (इडी) के मामले में उन्हें अभी जमानत नहीं मिली है.
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अनुब्रत को…
सीबीआइ के बाद इडी ने मंडल को शोन अरेस्ट किया था. इसके बाद वह दिल्ली ले जाये गये थे. इडी की हिरासत में रहने के बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया गया. इडी के मामले में जमानत के लिए मंडल की ओर से दिल्ली हाइकोर्ट में याचिका दायर की गयी है, जो अभी भी विचाराधीन है.
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में मंडल की तरफ से पेश अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि मामले में चार आरोप पत्र दायर किये जा चुके हैं और तृणमूल नेता (मंडल) को छोड़कर सभी आरोपी जेल से बाहर हैं. सीबीआइ की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जमानत अर्जी का विरोध किया और कहा कि मंडल एक बहुत प्रभावशाली व्यक्ति हैं. उनके जमानत मिलने के सबूतों से छेड़छाड़ी की जा सकती है. सीबीआइ ने आरोप लगाते हुए दावा किया कि मंडल पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले से बांग्लादेश में मवेशियों की तस्करी के मुख्य सूत्रधार थे. हालांकि, मंडल के वकील ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि इस संबंध में कोई सबूत नहीं मिला है. दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अदालत ने मंडल को सशर्त जमानत दे दी. गौरतलब है कि वर्ष 2022 के अगस्त में बीरभूम के नीचुपट्टी इलाका स्थित मंडल के आवास से सीबीआइ ने उन्हें गिरफ्तार किया था. बाद में इडी ने उन्हें शोन अरेस्ट किया.
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