आसनसोल. काजी नजरूल विश्वविद्यालय (केएनयू) में तृणमूल छात्र परिषद (टीएमसीपी) के आंदोलन को लेकर राजनीति तेज हो गयी है. आसनसोल साउथ की विधायक सह भाजपा की प्रदेश सचिव अग्निमित्रा पाल ने कुलपति डॉ. देबाशीष बंधोपाध्याय पर कथित हमले के खिलाफ बुधवार को राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया. उन्होंने बयान जारी करके कहा कि केएनयू के वीसी डॉ. बंधोपाध्याय को जिस प्रकार तृणमूल से जुड़े छात्र संगठन की ओर से अपमानित किया गया, वह लज्जाजनक है, लेकिन यहां यही अपेक्षित है.
इस राज्य में जो योग्य शिक्षक हैं, वे वर्षों से सड़क पर बैठकर अपनी नौकरी की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं और सरकार उन्हें नौकरी नहीं दे रही है. इसी राज्य में घूस देकर परीक्षा में कोरा पेपर जमा करके नौकरी मिलती है. राज्य की मुख्यमंत्री इन्ही के समर्थन में खड़ी हैं. इनकी रक्षा के लिए सुपर न्यूमेरिक पोस्ट क्रियेट करती हैं, जहां हजारों स्कूल बंद हो रहे हैं वहां शिक्षा की यही हालत होगी. केएनयू में तृणमूल से जुड़े छात्र संगठन के कुछ लड़के बाहर से लड़कों का एक समूह लेकर आते हैं और वीसी जो हमारे शिक्षक हैं, जिनपर समाज गढ़ने की मुख्य जिम्मेदारी होती है, उन्हीं पर हमला किया गया. उनके सिर पर थप्पड़ मारा गया. जिस चेयर पर वह बैठे थे वहां से उन्हें गिरा देना और उन्हें धमकी देना कि सीढ़ी से नीचे फेंक दिया जायेगा. सिर्फ इसलिए कि उनकी नियुक्ति राज्यपाल जो विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति हैं उन्होंने की है. यह लज्जाजनक है. अबतक मुख्यमंत्री और शिक्षामंत्री का इसपर कोई बयान नहीं आया है. कविगुरु रवींद्रनाथ ठाकुर, स्वामी विवेकानंद, बंकिमचंद्र, विभूति भूषण के इस पश्चिम बंगाल में शिक्षा प्रतिष्ठान और गुरुओं का जिस प्रकार अपमान किया जा रहा है, वह निंदनीय है.छात्रों की फीस का पैसा अदालती कार्रवाई में खर्च होने का आरोप
गौरतलब है कि केएनयू में छात्रों की फीस का पैसा विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा अदालती कार्रवाई में खर्च करने के आरोप को लेकर आठ जुलाई से टीएमसीपी ने आंदोलन शुरू किया. जिस दिन आंदोलन शुरू हुआ, उस दिन कुलपति और रजिस्ट्रार छुट्टी पर थे. आंदोलनकारियों ने दोनों के कार्यालयों में ताला जड़ दिया. लॉ के छात्रों की काउंसिलिंग में कठिनाई उत्पन्न होने के कारण अभिभावकों ने रजिस्ट्रार के कार्यालय का ताला तोड़ दिया और यहां कार्य शुरू हुआ लेकिन कुलपति के कार्यालय में ताला लगा रहा. इस बीच टीएमसीपी के इस आंदोलन को वेस्ट बंगाल कॉलेज यूनिवर्सिटी प्रोफेसर्स एसोसिएशन (वेबकूपा) ने अपना समर्थन दिया और विश्वविद्यालय में आकर आंदोलनकारी टीएमसीपी सदस्यों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए.एक माह बाद कुलपति 29 जुलाई को पहली बार विश्वविद्यालय में आये और आंदोलनकारियों द्वारा लगाये ताले को खोलकर अपने कार्यालय में घुसे. इसकी सूचना मिलते ही टीएमसीपी के सदस्य वहां पहुंच गये और कुलपति को घेरकर आंदोलन शुरू कर दिया. कुलपति ने पत्रकार सम्मेलन करके कहा कि चार घंटे तक उनके कक्ष का बिजली पानी बंद करके उन्हें घेरकर रखा गया. उसके बाद उनपर हमला हुआ. उन्हें धकेल करके कक्ष से बाहर निकाला गया. उन्होंने मीडिया के जरिये मुख्यमंत्री को भी पूरी स्थिति बतायी और कहा कि मुख्यमंत्री का नाम लेकर टीएमसीपी के सदस्यों ने विश्वविद्यालय में अराजक स्थिति बनाकर रखी है. यह वीडियो वायरल होने के बाद भाजपा नेत्री व आसनसोल साउथ की विधायक ने अपना बयान जारी किया. जिसके बाद इस मुद्दा अब राजनीतिक रंग लेने लगा है.
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