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घर में सात दिन तक डिजिटल अरेस्ट करके रखा, लूट ली 1.04 करोड़ रुपये की गाढ़ी कमाई

बैंकाक के लिए भेजे गये एक कूरियर पैकेट में ड्रग्स होने का डर दिखा कर शातिरों ने उन्हें अपने झांसे में लिया.

आसनसोल. आसनसोल साउथ थाना क्षेत्र के समीरन राय रोड इलाके में स्थित सावित्री सदन के निवासी व दूरदर्शन के पूर्व कर्मचारी चंचल बंद्योपाध्याय को साइबर क्राइम के शातिरों ने सात दिनों तक उनके अपने ही घर में डिजिटल अरेस्ट करके 1,03,85,000 रुपये लूट लिया. 10 जनवरी सुबह 9:20 बजे से 16 जनवरी शाम तक शातिरों ने बंद्योपाध्याय को डिजिटल अरेस्ट करके रखा. उस दौरान 24सो घंटे उन्हें वीडियो कॉल के जरिये अपनी निगरानी में रखा और किसी से भी बात करने नहीं दी. बैंकाक के लिए भेजे गये एक कूरियर पैकेट में ड्रग्स होने का डर दिखा कर शातिरों ने उन्हें अपने झांसे में लिया. जब तक उनके सारे रुपये खत्म नहीं हो गये, तब तक उन्हें डिजिटल अरेस्ट करके रखा. जब तक यह बात चंचल बंद्योपाध्याय को समझ आती, तब तक काफी देर हो चुकी थी और उनका बैंक खाता खाली हो गया था.

उन्होंने ने एनसीआरपी पोर्टल के अलावा आसनसोल साइबर क्राइम थाना में शिकायत की. उसके आधार पर साइबर क्राइम थाना में केस नंबर 08/25 में अज्ञात बदमाशों को आरोपी बना कर बीएनएस की धारा 316(2)/318(4)/319(2)/336(3)/338/340(2)/61(2) के तहत मामला दर्ज हुआ. पुलिस आयुक्त (सीपी) सुनील कुमार चौधरी ने कहा कि डिजिटल अरेस्ट कुछ नहीं होता है, लोगों को लूटने के लिए साइबर क्राइम के शातिरों का यह एक जाल है. जो अपराध किसी ने किया ही नहीं, उससे बचने के लिए अपराधियों को कैसे पैसा दे सकते हैं? पुलिस की ओर से विभिन्न माध्यमों से इसे लेकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है. इसके बावजूद लोग साइबर ठगी के शातिरों के झांसे में आकर अपनी गाढ़ी कमाई गंवा रहे हैं. जागरूकता से ही साइबर अपराध को खत्म किया जा सकता है. अन्यथा कहीं, किसी भी देश में बैठकर अपराधी लोगों को लूटते रहेंगे. अपराधियों को पकड़ने और ठगी का पैसा बरामद करने के लिए पुलिस लगातार कार्य कर रही है. काफी लोगों के ठगी का पैसा पुलिस लौटा भी रही है. जागरूकता ही इससे बचने का एकमात्र रास्ता है.

गौरतलब है कि डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को जागरूक करने के लिए देश के नाम अपना संदेश जारी किया था. मीडिया में काफी समय तक यह खबर चली. इसके बावजूद भी डिजिटल अरेस्ट के मामले लगातार हो रहे हैं. आसनसोल दुर्गापुर पुलिस कमिश्नरेट (एडीपीसी) में डिजिटल अरेस्ट के जरिये सबसे बड़ी राशि की ठगी का मामला सामने आया है. जिसे लेकर पुलिस के अधिकारी भी चिंतित हैं.

पूर्व बैंक अफसर की तत्परता से बचे 30 लाख

आसनसोल के निवासी चंचल बंद्योपाध्याय ने अपनी शिकायत में बताया कि 10 जनवरी 2025 को सुबह उन्हें 98896590222 नंबर से कॉल आया. कॉल करनेवाले ने खुद को डीएचएल कुरियर कंपनी का कर्मचारी अमित कुमार बताया और कहा कि चार जनवरी 2025 को उनके द्वारा बैंकाक के लिए भेजे गये पार्सल में ड्रग्स पाया गया है. जिसे कस्टम विभाग ने जब्त किया है. चंचल बंद्योपाध्याय ने जब कॉल करनेवाले को बताया कि उन्होंने कोई पार्सल नहीं भेजा है. जिस पर अमित ने उन्हें कहा कि आपके आधार कार्ड का गलत उपयोग किया गया है. इसकी शिकायत तुरंत दिल्ली साइबर क्राइम सेल में करने की सुझाव देकर फोन काट दिया. इसके कुछ मिनटों बाद ही उन्हें कथित साइबर क्राइम सेल के अधिकारी का 917640867741 नंबर से व्हाट्सऐप पर आया. उसने कहा कि पार्सल में अवैध सामान है और यह अंतरराष्ट्रीय अपराध का हिस्सा है. उसने यह भी कहा कि इस ड्रग की सप्लाई दाउद इब्राहिम के स्लीपर सेल समन्वित करता है. बंद्योपाध्याय को इतना डराया कि वे कुछ समझने की स्थिति में नहीं रहे. उन्हें सीबीआइ के आदेश के रूप में जाली दस्तावेज भी दिखाया गया. 10 जनवरी सुबह 9:20 बजे उन्हें डिजिटल अरेस्ट किया गया और 16 जनवरी शाम तक उन्हें उनके घर में ही बंधक बनाकर रखा. किसी से बात करने नहीं दी और 24सो घंटे ऑडियो और वीडियो कॉल पर रहने को मजबूर किया. डरे हुए बंद्योपाध्याय ने उनकी सभी शर्ते मान लीं और अपराधियों के भेजे गये दो बैंक खातों आइसीआइसीआइ में 68,85,000 और यस बैंक महाराष्ट्र के खाते में 35,00,000 लाख रुपये, यानी कुल 1,03,85,000 रुपये अपने एसबीआइ बैंक खाते से ट्रांसफर कर दिये. 16 जनवरी को वे 30 लाख रुपये और भी अपराधियो को ट्रांसफर करने के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा में गये. उन्हें फोन पर बात करते हुए बैंक के एक अधिकारी ने सुना और उन्हें तुरंत फोन काटने के लिए. फोन काटने के बाद बैंक अधिकारी ने उनसे सारी बाते सुनी. उसने जब बताया कि वे डिजिटल अरेस्ट थे, तब उन्हें अहसास हुआ कि वे साइबर ठगी के शिकार हुए हैं. बैंक अधिकारी की मदद से तुरंत एनसीआरपी पोर्टल पर शिकायत दर्ज करायी. दो दिन बाद आसनसोल साइबर क्राइम थाना में शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज हुई. सूत्रों के अनुसार 1.04 करोड़ रुपये में से फिलहाल 668 रुपये सिस्टम में ब्लॉक हुआ है. पुलिस इस मामले की जांच में जुट गयी है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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