जान हथेली पर रख टूटे पुल को पार कर स्कूल जाते हैं गांव के बच्चे
ग्रामीणों के बार-बार आवेदन के बाद भी नहीं हो रही टूटे पुल की मरम्मत बरसात में िवकट हो जाती है समस्या, ग्रामीणों को घूम कर जाना पड़ता है गांव गांव में प्रवेश करने या बाहर जाने के िलए पुल पार करना बाध्यता पानागढ़. राज्य सरकार और प्रशासन की उदासीनता के कारण ही जान जोखिम में […]
ग्रामीणों के बार-बार आवेदन के बाद भी नहीं हो रही टूटे पुल की मरम्मत
बरसात में िवकट हो जाती है समस्या, ग्रामीणों को घूम कर जाना पड़ता है गांव
गांव में प्रवेश करने या बाहर जाने के िलए पुल पार करना बाध्यता
पानागढ़. राज्य सरकार और प्रशासन की उदासीनता के कारण ही जान जोखिम में डाल कर जर्जर सेतु से छात्र-छात्राओं के अलावा ग्रामीण प्रतिदिन आवाजाही कर रहे हैं. लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. बरसात के आने पर सेतु से आवागमन भी बाधित हो जाता है. समस्या पश्चिम बर्दवान जिले के कांकसा ब्लॉक के विदबिहार पंचायत के फुलझर ग्राम की है. इलाके की इस विकराल समस्या को लेकर प्रशासन की उदासीनता साफ देखी जा सकती है. ग्रामीणों का कहना है की गांव मे घुसने से पहले एकमात्र सहारा टूटा सेतु ही है.
यदि गांव में किसी की तबीयत खराब हो जाये तो एंबुलेंस गांव में प्रवेश नहीं कर सकता है. प्रसूता को मोटरसाइकिल पर ही बैठाकर अस्पताल ले जाना पड़ता है. शीत और गरमी में तो किसी तरह काम चल जाता है लेकिन बरसात में समस्या विकराल हो जाती है. ग्रामीणों ने बताया िक पिछले साल बरसात में ही सेतु जर्जर होने के कारण टूट गया था. बरसात में कादर नदी में तो पानी भर ही जाता है वही टूनी नदी और अजय नदी में भी पानी पूरी तरह से भर जाने के कारण ग्रामीणों का गांव से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में ग्रामीणों को पांच सौ मीटर घूमकर जाना पड़ता है.
स्थानीय पंचयात सदस्य गिरिधारी सिन्हा का आरोप है िक प्रशासन को बार-बार जानकारी देने के बाद भी कोई काम नहीं हो रहा है. ग्रामीणों को मुंह िदखाना मुश्किल हो गया है. कांकसा बीडीओ अरविन्द विश्वास ने कहा िक मामले की जानकारी नहीं है. यदि इस तरह की समस्या है तो जानकारी ली जायेगी. गलसी विधायक आलोक कुमार माझी का कहना है कि उन्हें इस समस्या की कोई जानकारी नही है. खोज खबर ली जायेगी.