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अब सीआइएल में बहाल होंगे सिर्फ अधिकारी, ठेके पर होंगे कामगार

योजना. कोल इंडिया की विजन रिपोर्ट, एचआर पॉलिसी में किया गया जिक्र देश में कुल कोयले की 80 फीसदी का उत्पादन करनेवाली सीआइएल में श्रमिकों की संख्या कम करने के साथ ही उनकी स्थायी नौकरी खत्म करने की योजना पर कार्य चल रहा है. पहले अधिकारी अनुबंध पर होते थे तथा श्रमिक स्थायी. नयी नीति […]

योजना. कोल इंडिया की विजन रिपोर्ट, एचआर पॉलिसी में किया गया जिक्र
देश में कुल कोयले की 80 फीसदी का उत्पादन करनेवाली सीआइएल में श्रमिकों की संख्या कम करने के साथ ही उनकी स्थायी नौकरी खत्म करने की योजना पर कार्य चल रहा है. पहले अधिकारी अनुबंध पर होते थे तथा श्रमिक स्थायी. नयी नीति में श्रमिक ठेके पर रहेंगे तथा अधिकारियों की स्थायी नियुक्ति होगी.
आसनसोल : अनेवाले समय में देश के सार्वजनिक प्रतिष्ठान कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) में काफी अमूल परिवर्त्तन देखने को मिलेगा. फिलहाल कोल सेक्टर संरचनात्मक बदलाव के दौर से गुजर रहा है. इसलिए उसी हिसाब से एचआर पॉलिसी तय की जा रही है. कोल इंडिया के विजन-2020 में स्पष्ट किया गया है कि कोल इंडिया एवं उसकी अनुषांगिक कोयला कंपनियों में केवल अधिकारी तथा स्टेच्यूटरी पोस्ट में ओवरमैन, सव्रेयर, माइनिंग सरदार आदि पदों पर बहाली होगी. इसके साथ ही कामगार ठेके पर रखे जायेंगे.
विजन रिपोर्ट रणनीति का आइना
जिस कोल इंडिया में कभी सात लाख से अधिक कामगार होते थे, फिलहाल वहां करीब सवा तीन लाख कामगार रह गये हैं. इसके बावजूद कोल इंडिया में मैन पावर अभी भी जरूरत से ज्यादा है. इसका उल्लेख कोल इंडिया विजन रिपोर्ट और एचआर पॉलिसी में है.
विजन रिपोर्ट में जिक्र है कि कोल इंडिया से सलाना 750 अधिकारी रिटायर हो रहे हैं. इससे मिडिल एवं टॉप मैनेजमेंट में अनुभवी अधिकारियों की कमी हो गयी है. लगातार पांच साल से हर साल एक-एक हजार अधिकारियों की बहाली हो रही है. कोल इंडिया की मानव संसाधन नीति लगातार बदल रही है. विजन रिपोर्ट में बताया गया है कि कोल सेक्टर संरचनात्मक बदलाव के दौर से गुजर रहा है. इसलिए उसी हिसाब स एचआर पॉलिसी निर्धारित की जा रही है. कामगारों की छंटनी की नयी-नयी तरकीब इसी नीति का हिस्सा हैं.
प्रबंधन के सामने श्रमिक संगठन बेअसर
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड का देश के कोयला उत्पादन में 80 फीसदी हिस्सेदारी है. कंपनी ने 2020 तक एक अरब टन उत्पादन लक्ष्य निर्धारित किया है.
सीआइएल में आनेवाले समय में कोयला उत्पादन तो बढ़ेगा ही, लेकिन मैनपावर काफी कम हो जायेगा. आउटसोर्सिग से ही कोल इंडिया ने 2020 तक एक अरब टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य रखा है. हर साल कोयला कर्मियों के रिटायरमेंट होने की संख्या बढ़ती जा रही है. कोल इंडिया में 80 के दशक में बहाल हुए सारे कोयला कर्मी लगभग रिटायर होने के कगार पर हैं. नयी बहालियां बंद हैं. पहले से जारी सुविधा को भी समाप्त करने के लिए नित नयी नीतियों पर मंत्रालय एवं प्रबंधन कार्य कर रहा है.
70 फीसदी उत्पादन आउटसोर्स से
मौजूदा दौर में कोल इंडिया का 70 फीसदी तक उत्पादन आउटसोर्सिग से हो रहा है. अधिकतर ओपनकास्ट माइंस आउटसोर्सिग के हवाले हैं. खदानों में डेवलपर कम ऑपरेटर (एमडीओ) का प्रयोग काफी सफल रहा है. कई बड़े प्रोजेक्ट एमडीओ के हवाले हैं. इसके जरिये बड़ी निजी कंपनियों का मार्ग प्रशस्त हुआ है. कई निजी या सरकारी कंपनियों के सहयोग से ज्वायंट वेंटर में प्रोजेक्ट चलाये जा रहे हैं
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इसमें भी ज्यादातर कर्मी ठेके पर उपलब्ध होते हैं. एक ठेका कर्मी का मासिक वेतन 10-15 हजार रूपये तक है और काम के घंटों की कोई सीमा नहीं है. रोजाना तीन शिफ्ट में कोल इंडिया के तीन कामगारों का मासिक वेतन न्यूनतम सवा से डेढ़ लाख रुपये तक है. यहीं नहीं, ठेका मजदूरों को अभी तक हाई पावर कमेटी की अनुशंसा के तहत किसी तरह की सुविधा मयस्सर नहीं है. सलाना बोनस भी नहीं दिया जाता है.
कई एग्रीमेंट बदलना चाह रहा प्रबंधन
कोल इंडिया प्रबंधन वेजबोर्ड -एक से लेकर वेजबोर्ड -नौ में कोल कर्मियों के हित में कई ऐसे एग्रीमेंट को अब बदल कर मैन पावर कम करना चाहता है.
इसलिए जेबीसीसीआइ की छठी बैठक (छह-सात जुलाई) में प्रबंधन ने करोड़ों रूपये के घाटे में चल रही 37 भूमिगत खदानों को बंद कर इसमें कार्यरत करीब 15 हजार कर्मियों के लिए वीआरएस लाने का प्रस्ताव रखा था. सीआइएल प्रबंधन ने इसके लिए यूनयन नेताओं के साथ एक कमेटी गठित की है. कमेटी इसे लेकर एक पारदर्शी स्कीम बनायेगी. स्कीम बनते ही प्रबंधन इसे क्रमश: पूरी तरह खत्म कर देगा. अगर कुछ गंभीर मामलों में नियुक्ति होगी भी तो वह कोल इंडिया में नियुक्ति के आधार पर होगा.

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