सब कमेटी में सहमति न बनने पर मुद्दा जेबीसीसीआइ में रेफर

चिंताजनक. इसीएल सहित विभिन्न सरकारी कोयला कंपनियों में आश्रितों के नियोजन पर गतिरोध सेवाकाल में कोयला कर्मियों के डेथ होने या जटिल बीमारियों के कारण कार्य करने में असमर्थ होने पर आश्रितों के नियोजन के प्रावधान को प्रबंधन समाप्त करना चाहता है. इसके लिए दसवें जेबीसीसीआइ में प्रबंधन तथा यूनियन प्रतिनिधियों में टकराहट की स्थिति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 11, 2017 10:47 AM
चिंताजनक. इसीएल सहित विभिन्न सरकारी कोयला कंपनियों में आश्रितों के नियोजन पर गतिरोध
सेवाकाल में कोयला कर्मियों के डेथ होने या जटिल बीमारियों के कारण कार्य करने में असमर्थ होने पर आश्रितों के नियोजन के प्रावधान को प्रबंधन समाप्त करना चाहता है. इसके लिए दसवें जेबीसीसीआइ में प्रबंधन तथा यूनियन प्रतिनिधियों में टकराहट की स्थिति बनी हुई है.
आसनसोल. कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) तथा इसकी अनुषांगिक कोयला कंपनियों में डेथ केस और मेडिकल अनफिट (9:3:0, 9:4:0 तथा 9:5:0) के तहत आश्रितों तो नियोजन दिये जाने के मामले को जेवीसीसीआइ में रेफर कर दिया गया है. यह निर्णय एसइसाएल के सीएमडी बीआर रेड्डी की अध्यक्षता में दिल्ली में हुयी बैठक में लिया गया. बैठक में प्रबंधन प्रतिनिधियों ने सुप्रीम कोर्ट सहित कई अदालतों का हवाला देते हुए कोल कर्मियों के आश्रितों को नियोजन देने में असमर्थता जतायी.
प्रबंधन प्रतिनिधियों के इस प्रस्ताव को यूनियन प्रतिनिधियों ने एक सिरे से खारिज कर दिया. बैठक की जानकारी देते हुए कोलियरी मजदूर सभा (एटक) के महासचिव, पूर्व सांसद सह जेबीसीसीआइ सदस्य आरसी सिंह ने कहा कि प्रबंधन सुप्रीम कोर्ट समेत कई अन्य अदालतों का हवाला देते हुए कोयला कर्मियों के आश्रितों को नियोजन देने में समस्या खड़ा कर रहा था. जिसकी कमेटी में शामिल सभी यूनियन प्रतिनिधियों ने एक स्वर में विरोध करते हुए सिरे से इसे खारिज कर दिया. बैठक में सहमति नहीं बनने के कारण मामले को जेबीसीसीआइ में रेफर कर दिया गया. आगामी 17-18 अगस्त को जेबीसीसीआइ की अगली बैठक रांची में होगी. उसमें इस मुद्दे पर विचार किया जायेगा. श्री सिंह ने कहा कि प्रबंधन का रवैया पूरी तरह से श्रमिक विरोधी है. शुरू से ही किसी न कि सी बहाने दसवें राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौते को लटकाये रखने की कोशिश की जा रही है.
कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने पहले घोषणा की थी कि नौवें वेतन समझौता का अवधि समाप्त होने से पहले ही नया वेतन समझौता पूरा कर लिया जायेगा. लेकिन अवधि समाप्त होने के एक साल बाद भी मामले के सलटने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं. किसी न किसी बहाने मामले को लंबित किया जा रहा है. पहले जेबीसीसीआइ की पूर्ण बैठक हुयी. इसके बाद सबकमेटियां गठित की गयी. इसके बाद उन कमेटियों में निर्णय न लेकर उन्हें पुन: जेबीसीसीआइ में रेफर किया जा रहा है.
बैठक में प्रबंधन प्रतिनिधि के रूप में चेयरमैन सह एसइसीएल के सीएमडी श्री रेड्डी, इसीएल के कार्मिक निदेशक केएस पात्र, एनसीएल की कार्मिक निदेशक शांतिलता साहू, एमसीएल के कार्मिक निदेशक, सीसीएल तथा एससीसीएल के महाप्रबंधक (कार्मिक व औद्योगिक संबंध) तथा यूनियन नेताओं में एचएमएस के नत्थूलाल पांडेय, बीएमएस से श्रीनिवास राव, एटक से लखनलाल महतो तथा सीटू से मानस चटर्जी आदि शमिल थे.
श्रमिकों के हितों में लगातार हो रही है कटौती
सरकार तथा सीआइएल प्रबंधन श्रमिकों के हितों में लगातार कटौती कर रहा है.कोल इंडिया के विजन 2020 में ही स्पष्ट कर दिया गया है कि सरकारी कोयला कंपनियों में स्थायी कर्मियों की संख्या में कटौती की जायेगी तथा अधिकारियों की संख्या बढ़ायी जायेगी. इसी के तहत कोलियरियों की बंदी के नाम पर वीआरएस तथा मेडिकल व डेथ कोटा में नियोजन पर रोक लगायी जा रही है. यही स्थिति जमीन अधिग्रहण के बदले मिलनेवाली नौकरी में है. उन्होंने कहा कि कोयला श्रमिकों को लंबी लड़ाई के लिए तैयारी शुरू कर देनी होगी.

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