32.2 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

लेटेस्ट वीडियो

नॉर्मल डेथ में मॉनीटरिंग कंपेंसेशन का प्रस्ताव

Advertisement

बदलाव. सरकारी कोयला कंपनियों में मृत्यु के बाद आश्रित को नौकरी नहीं एक साल से अधिक समय बीतने के बाद भी सीआइएल तथा उसकी अनुषांगिक कोयला कंपनियों के सवा तीन लाख कर्मियों तथा ठेका कर्मियों के वेतन पुनरीक्षण पर दोनों पक्षों में विवाद बना हुआ है. सब कमेटी गठित होने का भी सार्थक परिणाम सामने […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

Advertisement
बदलाव. सरकारी कोयला कंपनियों में मृत्यु के बाद आश्रित को नौकरी नहीं
एक साल से अधिक समय बीतने के बाद भी सीआइएल तथा उसकी अनुषांगिक कोयला कंपनियों के सवा तीन लाख कर्मियों तथा ठेका कर्मियों के वेतन पुनरीक्षण पर दोनों पक्षों में विवाद बना हुआ है. सब कमेटी गठित होने का भी सार्थक परिणाम सामने नहीं आ रहा है. गुरुवार से जेबीसीसीआइ की दोदिवसीय बैठक रांची में शुरू हो रही है.
आसनसोल : कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) तथा उसकी अनुषांगिक कोयला कंपनियों के कर्मियों के लिए डेथ केस में पहले से लागू प्रावधान के अनुसार आश्रित को तत्काल नौकरी देने के बदले अब प्रबंधन क्षतिपूर्ति राशि (मॉनीटरी कंपेंसेशन) देने के निर्णय पर गंभीरतापूर्वक विचार तथा मंथन कर रहा है. किसी भी कोल कर्मी के नॉर्मल डेथ केस में प्रबंधन ने मजदूर संगठनों के नेताओं को मॉनीटरी कंपेंसेशन देने का प्रस्ताव दिया है.
प्रबंधन के प्रस्ताव के तहत किसी भी कर्मी की यदि सेवा अवधि के दौरान सामान्य मौत होती है तो उसके आश्रित को कर्मी की मौत के दूसरे महीने से बेसिक तथा डीए मिला कर सेवा काल की बची हुयी अवधि तक की कुल राशि आश्रित को तीन किश्तों में दी जायेगी. मॉनीटरी कंपेंसेशन के प्रस्ताव के अनुसार किसी कोल कर्मी को 30 साल में नॉर्मल डेथ होती है तो उसकी नौक री के बचे शेष 30 साल तक हर महीने के हिसाब से उसका बेसिक और महंगाई भत्ता (डीए) जोड़ कर दे दिया जायेगा.
भुगतान तीन किश्तों में करने का प्रस्ताव है. पहली किश्त में 30 फीसदी, दूसरी किश्त में पुन: 30 फीसदी तथा तीसरी किश्त में शेष 40 फीसदी राशि का भुगतान कर दिया जायेगा. प्रबंधन इस प्रस्ताव को डेथ केस तथा मेडिकल अनफिट के तहत आश्रित के नियोजन को लेकर सब कमेटी ने पूरी तरह खारिज कर दिया. यूनियन ने फैटल एक्सीडेंट और नॉर्मल डेथ केस को वैकल्पिक रखने को कहा.
जेबीसीसीआइ सदस्य तथा एटक नेता आरसी सिंह ने कहा ने कहा कि यूनियन प्रतिनिधियों ने प्रस्ताव दिया दिया कि डेथ केस में किसी कर्मी की नौकरी 25 साल बची हुयी हो तो 25 साल में कुल तीन सौ महीने होते हैं. मौजूदा बेसिक व डीए मिला कर प्रतिमाह करीब 30 हजार रूपये का वेतन बनता है.
इसलिए तीन सौ माह का एकमुश्त वेतन करीब 90 लाख रूपये होता है. इसलिए कर्मी के आश्रित को एकमुश्त एक करोड़ रूपये का भुगतान प्रबंधन कर दे. प्रबंधन ने भी इस प्रस्ताव को एक सिरे से खारिज कर दिया.
डेथ केस और मेडिकल अनफिट के नाम पर आश्रितों को मिलनेवाले नियोजन को पूर्णत: बंद कर प्रबंधन सिर्फ माइंस में घटित फेटल एक्सीडेंट में आश्रित को नौकरी देना चाहता है. मेडिकल अनफिट के मामले में मात्र छह बीमारियों को शामिल किया गया है. डेथ केस और मेडिकल अनफिट मामले में पारदर्शी स्कीन बनाने के लिए प्रबंधन व यूनियन की संयुक्त कमेटी गठित की गयी है.
तीन बैठकों के बाद भी कमेटी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची. इसके बाद गत नौ अगस्त को दिल्ली में हुयी बैठक के मामले को दोबारा जेबीसीसीआइ को रेफर कर दिया गया. जानकारी के अनुसार आत्महत्या, संदिग्ध मौत अथवा अपराध के दौरान मारे गये कोयला कर्मियों के आश्रितों तो अनुकंपा के आधार के तहत नौकरी मिलने में अब परेशानी हो सकती है.
प्रबंधन का रवैया है अड़ियल
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आलोक में प्रबंधन मौजूदा प्रावधान में बदलाव ती तैयारी में है. प्रबंधन ने मौजूदा प्रावधान को बदल नयी योजना लाने की पूरी तैयारी कतर ली है. ट्रेड यूनियनों के विरोध के बावजूद इस मुद्दे पर फ्रबंधन के तेवर कड़े हैं. यदि कोई कोयला कर्मी आत्महत्या कर ले या आपराधिक कृत्य मसलन चोरी, डकैती करते मारा जाये तो उसके आश्रित को नौकरी क्यों मिले? इस पर अंतिम निर्णय लिया जाना है.
सेवाकाल में किसी कर्मी की मौत सड़क दुर्घटना या काम के दौरान मौत होती है तो आश्रित को नौकरी मिलनी चाहिए. पुराने प्रावधान में बदलाव कर नयी स्कीन लाने की तैयारी चल रही है. इस मामले में एटक नेता श्री सिंह ने कहा कि पिछले दो वेतन समझौते से यह मामला उठ रहा है. नयी स्कीम के लिए कोल इंडिया की ओर से भारी दबाव है. वैसे ट्रेड यूनियन अनुकंपा और मेडिकल अनफिट से संबंधित नियोजन की मौजूदा व्यवस्था को और उदार बनाने के पक्ष में हैं. उसके उलट प्रबंधन मौजूदा प्रावधान को और सख्त करने के मूड में है.
क्या कहता है 9:5:0
सनद रहे कि वेज बोर्ड में पहले से धारा 9:5:0 के तहत कहा गया है कि अगर कोई आश्रित नौकरी नहीं लेना चाहता है तो उसके लिए मॉनीटरी कंपेंसेशन का प्रस्ताव है. इसके तहत उसे प्रति माह शेष बची नौकरी का केटेगरी वन का वर्त्तमान तनख्वाह 15,712 रुपये देने का प्रावधान है. साथ ही यह भी प्रावधान है कि अगर किसी कर्मी की मौत हो जाती है और उसका 12 से 15 साल का कोई पुत्र है तो लाइफ रोस्टर में उसका नाम होगा तथा 18 साल का होने तक मां को उक्त राशि मिलेगी.
जेबीसीसीआइ की दो दिवसीय बैठक आज से
एटक नेता श्री सिंह ने कहा कि जेबीसीसीआइ की अगली दोदिवसीय बैठक गुरुवार से रांची में शुरू होगी. इसकी अध्यक्षता सीआइएल के चेयरमैन सुतीर्थ भट्टाचार्या करेंगे. उन्होंने कहा कि नये वेतन समझौते के प्रति प्रबंधन का रवैया काफी सकारात्मक नहीं है. वेतन वृद्धि में न्यूनतम वृद्धि करने के साथ ही कर्मियों के हितों में भी कटौती के प्रस्ताव रखे जा रहे है.
जबकि यूनियन प्रतिनिधि इन हितों की रक्षा के साथ ही और अधिक वृद्धि चाहते हैं. उन्होंने कहा कि सीआइएल के चेयरमैन श्री भट्टाचार्या शीघ्र रिटायर होने वाले हैं. नये चेयरमैन के आने के बाद वेतन समझौते में और अधिक विलंब हो सकता है. क्योंकि उन्हें सब कुछ नये सिरे से समझना होगा. इस कारण यह बैठक काफी महत्वपूर्ण है. इसमें कोई न कोई निर्णय जरूर होगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement

अन्य खबरें

Advertisement
Advertisement
ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snaps News reels