गारूई की जल धारण क्षमता में आयी कमी झाग से

आसनसोल : इस बार गारूई नदी में आयी बाढ़ से रेलपार के कई इलाके जलमग्न हो गये थे. रेलपार के तरी मोहल्ला संलग्‍न इलाकों में बारिश का पानी लोगों के घरों में प्रवेश करने से अनाज, फर्निचर, कपड़ा, राशन, इलेक्ट्रोनिक सामान आदि का नुकसान उठाना पड़ा. देर रात हुए बारिश के कारण लोगों को अपने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 10, 2017 7:38 AM
आसनसोल : इस बार गारूई नदी में आयी बाढ़ से रेलपार के कई इलाके जलमग्न हो गये थे. रेलपार के तरी मोहल्ला संलग्‍न इलाकों में बारिश का पानी लोगों के घरों में प्रवेश करने से अनाज, फर्निचर, कपड़ा, राशन, इलेक्ट्रोनिक सामान आदि का नुकसान उठाना पड़ा. देर रात हुए बारिश के कारण लोगों को अपने घरों को छोड़ सुरक्षित स्थलों पर आश्रय लेना पडा.
रेलपार तरी मोहल्ला निवासी राजू यादव ने कहा कि वे पिछले 22 वर्षो से तरी मोहल्ला में सपरिवार रह रहे हैं. कभी सोचा नहीं था इन परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा. इस बार आयी बाढ़ से घर में रखा राशन, कपड़ा और कई सामान नष्ट हो गये. काफी क्षति उठानी पड़ी.
उन्होंने बताया कि गारूई नदी की नियमित सफाई की जाये और तरी मोहल्ला में जरूरत के मुताबिक कुछ और नालियों का निर्माण किया जाये. सोनू पंडित ने कहा कि वे पिछले 15 वर्षो से यहां रह रहे हैं. इस बार की बारिश में उनके घर में रखा हजारों रूपये मूल्य का सामान नष्ट हो गया. घर के दो मवेशी बह गये. जो काफी खोजने के बाद भी नहीं मिले. उन्होंने कहा कि गारूई नदी की गहराई बढ़ायी जाये. जेसीबी मशीन से नदी को गहरा किया जाये और नालियों की सफाई हो. तरी मोहल्ला में 18 सालों से रह रहे राजा गुप्ता ने कहा कि इस बार जैसी परिस्थिति उन्होंने पहले कभी भी नहीं देखा था.
इस बार गारूई नदी में दो बार लगातार बाढ़ आने से उनका काफी नुकसान हो गया. घर में रखा अनाज, चावल, आटा की बोरियां, कपड़े , फर्निचर, गददा बिस्तर नष्ट हो गये. 50 हजार रूपये का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा. उन्होंने कहा कि गारूई नदी के किनारों पर अवैध निर्माण हटाया जाये और नदी के किनारों पर दिवार बना कर इलाके को सुरक्षित किया जाये. गोपाल वर्मन ने कहा कि वे पिछले 40 सालों से तरी मोहल्ला में रह रहे हैं. इस बार की बारिश से आयी बाढ़ में उनके परिजनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. घर के सदस्यों को आधी रात को घर छोड़ कर परिचितों के यहां आश्रय लेनी पड़ी.
बारिश का पानी घर में प्रवेश करने से अनाज, कपड़ा, गद्दा, पलंग, इलेक्ट्रोनिक सामान नष्ट हो गये. 50 हजार रूपये की क्षति उठानी पड़ी. उन्होंने कहा कि गारूई नदी के किनारों को अतिक्रमण मुक्त किया जाये और गारूई नदी की नियमित सफाई की जाये. मोनू यादव ने कहा कि वे तरी मोहल्ला में 22 सालों से सपरिवार रह रहे हैं.
इस बार जैसी स्थिति पहले कभी नहीं देखी थी. इस बार लगातार दो बार आयी बाढ़ में घर में रखा कपड़ा, इलेक्ट्रोनिक सामान, चौकी, बिस्तर, गद्दा नष्ट हो गये. 30 हजार की क्षति हुई. गारूई नदी की नियमित सफाई न होने से नदी की जल धारण क्षमता नहीं रह गयी है. किनारे बसे लोग घरों का कूडा कर्कट नदी में ही फेंक देते हैं. ऐसा करने से रोका जाये.

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