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छह दिवसीय पौष मेला का उद्घाटन

उत्सव. नये वर्ष की आगवानी को लेकर शांतिनिकेतन में भी अनुष्ठान आयोजित डेढ़ सौ से अधिक वर्षो से होता रहा है इसका आयोजन बदलते स्वरूप में पर्यावरण सुरक्षा को लेकर आतिशबाजी पर लगी रहेगी रोक, विदेशी पर्यटक पानागढ़ : वीरभूम जिले के बोलपुर स्थित शांतिनिकेतन का 123 वां पौष मेला शनिवार से शुरू हो गया. […]

उत्सव. नये वर्ष की आगवानी को लेकर शांतिनिकेतन में भी अनुष्ठान आयोजित

डेढ़ सौ से अधिक वर्षो से होता रहा है इसका आयोजन बदलते स्वरूप में
पर्यावरण सुरक्षा को लेकर आतिशबाजी पर लगी रहेगी रोक, विदेशी पर्यटक
पानागढ़ : वीरभूम जिले के बोलपुर स्थित शांतिनिकेतन का 123 वां पौष मेला शनिवार से शुरू हो गया. उद्घाटन सत्न के बाद उक्त मेला का आयोजन किया गया. सुबह शांतिनिकेतन गृह में शहनाई बजायी गयी. छातीम तला में बैठकर उपासना की गयी.
कुलपति स्वपन कुमार दत्त तथा सुप्रिय ठाकुर उपस्थित थे. विश्व भारती ट्रस्ट के सचिव अनिल कुमार ने बताया कि वर्ष 1894 में महर्षि देवेंद्रनाथ ठाकुर जब शैय्या पर थे, तब उन्हीं के आदेश पर उनके ज्येष्ठ पुत्न द्विजेन्द्रनाथ ठाकुर ने उपासना गृह का उद्घाटन किया .उस समय स्वयं रवींद्रनाथ ठाकुर भी उपस्थित थे.
उपासना गृह के पास ही कांच घर के सामने मैदान में एक दिन का पौष मेला लगता था. तब इलेक्ट्रिक लाइट और विद्युत उपलब्ध नहीं थे. फलस्वरूप दिन में ही विभिन्न कार्यक्र म और जात्ना काआयोजन होता था. वर्ष 1894 से 1921 तक एक दिवसीय पौष मेला चलता रहा. 1921 में विश्व भारती विश्वविद्यालय के गठन के बाद वर्ष 1961 तक दोदिवसीय पौष मेला का आयोजन किया गया. इसे लेकर पर्यटकों का समागम शुरू हो गया .तब से उक्त मेला पल्ली माठ में आयोजित होने लगा. वर्ष 1961 से 2015 तक मूल मेला तीन दिनों का चलता रहा. गत वर्ष परिवेश अदालत के निर्देश के बाद तीन दिन के मेले को लेकर कोर्ट ने ग्राउंड खाली कर देने का आदेश विश्वभारती प्रबंधन को दिया था .जिसे लेकर काफी बहस भी हुई. इस वर्ष से कोर्ट ने छह दिन का आधिकारिक तौर पर पौष मेला कर दिया है. कोर्ट के इस आदेश के बाद मेला आयोजन व व्यवस्थापको में उत्साह का माहौल है. आधिकारिक तौर पर छह दिनों तक मेला का आयोजन रहेगा. इसी दौरान आयोजित होने वाले मेले में आतिशबाजी पर कोर्ट ने प्रतिबंध लगा दिया. प्रदूषण को देखते हुए प्रतिबंध इस वर्ष से जारी होगा. मेला परिसर में प्रदूषण को देखने के लिए मॉनिटरिंग कमेटी का भी गठन किया गया है. जो कि इस दिशा में कार्य करेगी .पौष मेला को लेकर स्थानीय लोगों के साथ ही देश-विदेश व राज्य के विभिन्न क्षेत्नों के अलावा अन्य प्रांतों से भी भारी तादाद में पर्यटक उपस्थित होते हैं.

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